चूंकि वित्त वर्ष 2025-26 खत्म होने में अभी कई माह शेष हैं, इसलिए यदि आपने टैक्स सेविंग को लेकर कोई प्लानिंग नहीं की है तो अभी भी आप अपनी प्लानिंग कर सकते हैं, क्योंकि अभी कई महीने शेष हैं। इसलिए किसी भी अच्छी स्कीम में आप जल्द से जल्द अप्लाई कर लें। चलिए आज हम आपको बताते हैं कुछ उन चुनिंदे टैक्स सेविंग योजनाओं के बारे में, जो आपके आर्थिक जीवन में एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
आपको पता होना चाहिए कि आपकी टैक्स सेविंग के लिए अभी कई माह बचे हुए हैं, क्योंकि आगामी 1 अप्रैल 2026 से नए टैक्स ईयर की शुरुआत होगी। चूंकि लगभग तीन माह पहले यानी 1 अप्रैल से ही नए वित्त वर्ष 2025-26 की शुरुआत हुई है। ऐसे में अगर आप भी टैक्स सेविंग को लेकर प्लानिंग कर रहे हैं, तो अभी भी आपके पास कुछ माह समय बचा हुआ है। इसलिए जल्दी से अपना निर्णय लीजिए, क्योंकि दीर्घसूत्रता विनश्यति।
उल्लेखनीय है कि टैक्स सेविंग के लिए कई अलग-अलग तरह की उपलब्ध सरकारी स्कीम में अप्लाई किया जा सकता है। इसके साथ ही अगर आप टैक्स सेविंग के लिए प्लानिंग कर रहे हैं, तो आपको 31 मार्च 2026 से पहले किसी भी स्कीम में अप्लाई करना आवश्यक होगा।
लंबे समय तक नहीं होगा खराब……’इन 5 तरीकों से करें पुदीने को स्टोर…….
टैक्स सेविंग के लिए आप कई तरह की स्कीम में अप्लाई कर सकते हैं। इसके बाद आप ओल्ड टैक्स रिजीम को चुनकर आसानी से डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। मौजूदा समय में, कई सरकारी स्कीम जैसे पीपीएफ (PPF), एनपीएफ (NPS), एसएसवाई (SSY), ईएलएसएस (ELSS) और एससीएसएस (SCSS) में निवेश किया जा सकता है। ये सभी स्कीम्स निवेशकों के बीच काफी प्रसिद्ध है। इन स्कीम में निवेश कर आप लाखों रुपये का टैक्स बचा सकते हैं।
पहला, ईएलएसएस (ELSS) सेविंग स्कीम:
ईएलएसएस को इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम भी कहा जाता है। यह एक तरह से इक्विटी म्यूचुअल फंड है, जिसमें निवेश कर भविष्य के लिए अच्छा खासा फंड तैयार किया जा सकता है। इसके साथ ही लाखों रुपये का टैक्स भी बच जाता है।
दूसरा, पीपीएफ (PPF) सेविंग स्कीम:
पब्लिक प्रोविंडेंट फंड (PPF) में आपको 7.1 फीसदी तक ब्याज मिल जाता है। इसलिए यह निवेशकों की बीच सबसे लोकप्रिय स्कीम है। इस स्कीम में भी आपको इनकम टैक्स सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक की छूट मिल जाती है। हालांकि इसमें निवेशकों का पैसा 15 साल के लिए लॉकइन रहता है, यानि कि आप 15 साल से पहले, इस स्कीम से पैसे नहीं निकाल सकते हैं।
तीसरा, एसएसवाई (SSY) स्कीम: सुकन्या समृद्धि योजना का संक्षिप्त नाम एसएसवाई है। यह योजना खास तौर पर बेटियों के लिए बनाई गई है। इसके तहत आप 10 साल से कम उम्र की बेटियों का खाता खुलवा सकते हैं, जिसके तहत टैक्स पेयर्स 1.5 लाख रुपये तक टैक्स बचा सकते हैं। इस योजना के तहत आपको 8.2 फीसदी तक ब्याज मिल जाता है। यह योजना आपका टैक्स तो बचाता ही है। साथ ही इसके तहत आप लाखों रुपये भी बचा सकते हैं।
चतुर्थ, एनपीएस (NPS) सेविंग स्कीम:
इस योजना को नेशनल पेंशन सिस्टम भी कहा जाता है, जो खास तौर पर रिटायरमेंट के लिए बनाई गई है। इसके अंतर्गत भी आप सेक्शन 80 सी के तहत 1.5 लाख रुपये बचा सकते हैं।
इसके अलावा आपको धारा 80सीसीडी (1बी) के तहत 50 हजार रुपये की टैक्स छूट मिल जाती है। वहीं महज 1000 रुपये से एनपीएस में अप्लाई किया जा सकता है। कोई भारतीय नागरिक जिसकी उम्र 18 से 65 वर्ष है, वे इस स्कीम में अप्लाई कर सकता है। इस स्कीम का लॉक-इन पीरियड 3 साल है। वहीं ईएलएसएस से मिलने वाले 1 लाख रुपये तक के रिटर्न में कोई टैक्स नहीं लगता है।
यहां पर हम आपको बता रहे हैं कि एक वेतनभोगी कर्मचारी के रूप में सबसे पहले आपको अपने टैक्स स्लैब और अपने वेतन ब्रेकअप के घटकों का अर्थ समझना चाहिए। इससे आपको यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि आप अपने पैसे पर लगने वाले करों पर कैसे बचत करें। लिहाजा, आपको यह समझने की ज़रूरत है कि आपके लिए उपलब्ध कटौती अवसर क्या हैं? इसलिए आपको अपनी टैक्स फाइलिंग को अच्छी तरह से प्लान करने में आपकी मदद के लिए हम कुछ बातें बता रहे हैं, जो निम्नलिखित हैं-
पहला, मकान किराया भत्ता (एचआरए):
जो लोग किराए के घर/अपार्टमेंट में रहते हैं, वे कर कटौती के लिए एचआरए का दावा कर सकते हैं। एचआरए आंशिक रूप से या पूरी तरह से कर मुक्त है।
दूसरा, अवकाश यात्रा भत्ता (एलटीए):
भारत के भीतर यात्रा के लिए, कोई कर्मचारी एलटीए के तहत यात्रा के लिए छूट का लाभ उठा सकता है। यह छूट केवल यात्रा पर सबसे कम दूरी के लिए है। इसके तहत आप केवल अपने जीवनसाथी, बच्चों और माता-पिता के साथ की गई यात्रा के लिए ही इसका दावा कर सकते हैं। इसलिए, खर्च उठाने और नियोक्ताओं को बिल जमा करने पर आप इस छूट का दावा कर सकते हैं।
तीसरा, भविष्य निधि (पीएफ) में कर्मचारी का योगदान:
चूंकि प्रोविडेंट फंड एक सामाजिक सुरक्षा पहल है, जिसमें नियोक्ता और कर्मचारी हर महीने कर्मचारी की पेंशन और प्रोविडेंट फंड में बराबर राशि का योगदान करते हैं। यह मूल वेतन का 12 प्रतिशत है। इस पर सरकार ब्याज दर तय करती है जो लगभग 8.65 प्रतिशत है। इसलिए, परिपक्वता पर, रिटर्न को कर से छूट दी जाती है। इसके अलावा, आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत कर छूट के लिए ईपीएफ योगदान का दावा किया जा सकता है।
चतुर्थ, मानक कटौती:
मानक कटौती ने वाहन भत्ते और चिकित्सा भत्ते की जगह ले ली है, क्योँकि 2023 के बजट के बाद, कर्मचारी अब कुल आय से 50,000 रुपये की फ्लैट कटौती का दावा कर सकते हैं, जिससे कर व्यय कम हो जाएगा। करदाता पुरानी कर व्यवस्था के साथ-साथ नई कर व्यवस्था के तहत भी कटौती का दावा कर सकते हैं।
पंचम, व्यावसायिक कर:
प्रोफेशनल टैक्स राज्य द्वारा लगाया जाने वाला कर है, जिसकी राशि 2,500 रुपये है। इसे नियोक्ता द्वारा काटा जाता है और राज्य सरकार के पास जमा किया जाता है। इसलिए इसे आपके वेतन से कटौती के रूप में अनुमति दी जाती है।
छठा, अवकाश नकदीकरण से छूट:
कुछ नियोक्ता आपको कुछ दिनों की छुट्टी आगे ले जाने तथा उसे भुनाने की अनुमति देते हैं, जबकि अन्य नियोक्ता चाहते हैं कि आप उसी वर्ष में उसे पूरा कर लें।
सप्तम, धारा 89(1) के तहत छूट:
धारा 89(1) के अनुसार , बकाया या अग्रिम के रूप में प्राप्त कोई भी वेतन कर राहत के लिए अनुमत है।
अष्टम, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का विकल्प चुनने पर रसीद से छूट:
धारा 10(10सी) के अनुसार , स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति या अलगाव पर मिलने वाले किसी भी मुआवजे को कर से छूट दी जाती है। छूट इस शर्त के अधीन है कि प्राप्तियां नियम 2बीए का अनुपालन करती हैं। साथ ही, प्राप्त अधिकतम मुआवजा 5,00,000 रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए।
नवम, पेंशन:
प्राप्त पेंशन को वेतन माना जाता है और इस प्रकार यह कर योग्य है।






