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July 8, 2025 2:44 am

तेहरान ने सिखा दिया सबक…….’ईरान के साथ डबल गेम खेल रहा था तुर्किए……

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जब ईरान इजराइल के साथ एक जंग में उलझा है ठीक उसी वक्त तुर्किए उसके पीठ पीछे नई चालें चल रहा था. लेकिन तेहरान ने वक्त रहते बाजी पलट दी. ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई के प्रमुख सलाहकार अली अकबर वेलायती ने खुलासा किया है कि ईरान ने अजरबैजान और तुर्किए के ‘जंगेज़ूर कॉरिडोर’ प्लान को सफलतापूर्वक रोक दिया है.

ये वही कॉरिडोर है जो अजरबैजान को अर्मेनिया के स्यूनिक प्रांत के रास्ते तुर्किए से जोड़ता, और ईरान की रणनीतिक पहुंच को काट देता. वेलायती ने इस योजना को ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट की आड़ में एक भू-राजनीतिक षड्यंत्र करार दिया. उनके मुताबिक, यह प्लान न केवल ईरान को यूरोप से काटने की कोशिश थी, बल्कि रूस को भी दक्षिणी मोर्चे से घेरने की पश्चिमी कोशिश का हिस्सा था.

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कैसे कटा कॉरिडोर का रास्ता?

वेलायती ने कहा कि तेहरान ने इस चाल को समय रहते समझा और सक्रिय कूटनीतिक प्रयासों के जरिए इस प्रोजेक्ट को ब्लॉक कर दिया. उन्होंने बिना नाम लिए अमेरिका को भी घेरा और दावा किया कि पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन तक इस कॉरिडोर की तैयारी से अवगत थे, हालांकि इसका कोई सार्वजनिक रिकॉर्ड नहीं है.

2020 के युद्ध से उपजा विवाद

नागोर्नो-काराबाख युद्ध के बाद रूस की मध्यस्थता से जो समझौता हुआ, उसके अनुच्छेद 9 में ट्रांसपोर्ट रूट्स खोलने की बात थी. अजरबैजान ने इसे जंगेज़ूर कॉरिडोर के रूप में देखा, एक सीधा रास्ता नखचिवान से अज़रबैजान मेनलैंड तक. लेकिन अर्मेनिया का कहना है कि यह केवल पारंपरिक मार्गों की बहाली है, और सभी रूट्स पर उसकी संप्रभुता बनी रहेगी.

तुर्किए का सपना टूटा

तुर्की इस कॉरिडोर को लेकर खासा उत्साहित था. राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोआन ने 2023 में अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव के साथ मुलाकात में कहा था कि अगर अर्मेनिया ने अड़ंगा डाला तो ईरान के रास्ते वैकल्पिक रूट तलाशे जाएंगे. इससे पहले दोनों देशों ने 2021 में शूषा डिक्लेरेशन पर भी दस्तखत किए थे, जिसमें इस कॉरिडोर को रणनीतिक हब बताया गया था.

ईरान का जवाब एनर्जी डिप्लोमेसी

कॉरिडोर पर नहीं कहने के बावजूद ईरान ने अर्मेनिया के साथ अपने रिश्तों को और मजबूत किया है. दोनों देशों के बीच तीसरी हाई-वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण 80% पूरा हो चुका है. 2026 तक इसके चालू होने की उम्मीद है. इससे दोनों देशों के बीच बिजली का व्यापार 350 मेगावॉट से बढ़कर 1200 मेगावॉट हो जाएगा, और ‘गैस फॉर पावर’ समझौता भी और कारगर होगा.

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