बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अपने खोए जनाधार को वापस पाने के लिए मशक्कत कर रही है. 2027 में होने वाले चुनाव को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती एक्टिव हो चुकी हैं. वो फिर से पार्टी को मजबूत करने में जुटी हैं. इसी कड़ी में उन्होंने बड़ा बयान देते हुए ये भी बताया है कि बसपा के अच्छे दिन कब और कैसे लौट सकते हैं. मायावती ने मांग की है कि अब सभी चुनाव ईवीएम के बजाय बैलेट पेपर से कराए जाएं. अगर ऐसा होता है तो बसपा के ‘अच्छे दिन’ फिर से लौट सकते हैं.
मायावती ने आरोप लगाया कि सत्ताधारी और विपक्षी दल दोनों ही जातिवादी दल हैं. ये दोनों पार्टियां पर्दे के पीछे से दलितों और अन्य पिछड़े वर्गों के कुछ स्वार्थी, अवसरवादी लोगों को अपनी ओर मिलाकर उनके जरिए नए संगठन और पार्टियां खड़ी कर रहे हैं. ये पार्टियां उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में बहुजन वोटों को बांटने का प्रयास कर रही हैं. ताकि बसपा को कमजोर किया जा सके.
मायावती ने ईवीएम पर उठाए सवाल
बसपा प्रमुख ने ईवीएम पर भी गंभीर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, हमारे उम्मीदवारों को हराने के लिए ईवीएम में गड़बड़ी की जा रही है, जिससे दलितों और वंचित वर्गों का बसपा से विश्वास टूटे. राजनीतिक फायदे के लिए विरोधी दल बहुजन वोटों को अन्य छोटे दलों की ओर ट्रांसफर करा रहे हैं, ताकि कुछ सांसद या विधायक जीत सकें. अब खुद विपक्ष की कई पार्टियां भी ईवीएम को लेकर सवाल उठा रही हैं.
सत्ता परिवर्तन के बाद ये हो सकता है
मायावती ने कहा, हम चाहते हैं कि भविष्य में सभी चुनाव मतपत्रों के जरिए कराए जाएं. हालांकि मौजूदा सरकार के रहते इसकी संभावना नहीं है. मगर, सत्ता परिवर्तन के बाद ये हो सकता है. उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि कई स्वार्थी संगठन और पार्टियां जो खुद को बहुजन आंदोलन से जोड़ती हैं, उनका असल में डॉ. भीमराव आंबेडकर, कांशीराम और बसपा से कोई लेना-देना नहीं है.
जीडीपी में बहुजनों की हिस्सेदारी बहुत कम
उन्होंने कहा कि निजी स्वार्थों के चलते सांसद या मंत्री बनने वाले ऐसे नेताओं से दलित समाज को कोई लाभ नहीं होगा. मायावती ने देश की आर्थिक स्थिति पर भी चिंता जताई. उन्होंने कहा कि देश की जीडीपी में बहुजनों की हिस्सेदारी बहुत कम है. जब तक सबको समान भागीदारी नहीं मिलेगी, तब तक समावेशी विकास संभव नहीं है. बसपा सुप्रीमो ने इस दौरान पहलगाम आतंकी हमले को दुखद और चिंताजनक करार देते हुए ऐसी घटनाओं के राजनीतिकरण की आलोचना की.
