बांग्लादेश गंंभीर राजनीतिक संकट से गुजर रहा है. देश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने ऐसे वक्त में एक आपात बैठक बुलाई, जब उनके इस्तीफे की अटकलें तेज हैं. यह बैठक न केवल अचानक हुई, बल्कि इसके पीछे के राजनीतिक संकेतों ने कई सवाल भी खड़े कर दिए.
क्या वाकई यूनुस पद छोड़ने का मन बना चुके हैं, या यह एक सियासी चाल है दबाव में आई विपक्षी ताकतों और सेना को संतुलित करने की? आइए जानते हैं इस पूरे घटनाक्रम की परत-दर-परत कहानी.
आपात बैठक से बढ़ी हलचल
शनिवार को मोहम्मद यूनुस ने उस समय सलाहकार परिषद की अचानक बैठक बुलाई. उसी समय ढाका की सड़कों पर विपक्षी दलों के प्रदर्शन और सैन्य नेतृत्व के बयान माहौल को और गरम कर चुके थे. ECNEC (Executive Committee of the National Economic Council) की नियमित बैठक के ठीक बाद यूनुस ने अपने मंत्रियों (सलाहकारों) को बुलाकर यह साफ कर दिया कि स्थिति गंभीर है और कोई बड़ा निर्णय लिया जा सकता है. यह बैठक शाम 7 बजे होगी.
इस्तीफे की अटकलें और यूनुस का रुख
बीते कुछ दिनों से यह चर्चा तेज थी कि यूनुस पद छोड़ सकते हैं. यह भी कहा जा रहा था कि अगर राजनीतिक दल सहयोग नहीं करते, तो वह इस्तीफा दे देंगे. हालांकि, इस बैठक के बाद योजना सलाहकार वहीदुद्दीन महमूद ने साफ किया कि यूनुस न तो इस्तीफा दे रहे हैं और न ही उनकी मंशा है. उन्होंने कहा कि मुख्य सलाहकार हमारे साथ हैं, और सभी अन्य सलाहकार भी अपनी जिम्मेदारियां निभाते रहेंगे.
बीएनपी और जमात से मुलाकात के संकेत
आपात बैठक से कुछ घंटे पहले यूनुस ने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) और जमात-ए-इस्लामी के नेताओं से मुलाकात का कार्यक्रम तय किया था. प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने पुष्टि की कि यह बैठक बांग्लादेश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर चर्चा के लिए बुलाई गई है, हालांकि बैठक का एजेंडा सार्वजनिक नहीं किया गया.
सेना और यूनुस के बीच खिंचाव
यूनुस और बांग्लादेश की सेना के बीच चुनावों की टाइमिंग को लेकर तनाव साफ दिख रहा है. जबकि यूनुस ने कहा है कि चुनाव जून 2026 तक करवा दिए जाएंगे, सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमान का कहना है कि चुनाव इस साल दिसंबर तक हो जाने चाहिए. यह असहमति न केवल अंतरिम सरकार की स्थिरता पर सवाल उठाती है, बल्कि भविष्य के सत्ता संतुलन पर भी असर डाल सकती है.
विरोध-प्रदर्शन और विपक्ष का दबाव
BNP और अन्य विपक्षी दल सड़कों पर उतरकर जल्द चुनाव की मांग कर रहे हैं. गुरुवार को हजारों की संख्या में लोग ढाका में जुटे और चुनाव की स्पष्ट तारीख की मांग की. यूनुस के आश्वासन के बावजूद विपक्षी दल उनकी घोषणा को लेकर असंतुष्ट हैं. ऐसे में यूनुस की स्थिति जटिल होती जा रही है. एक ओर विपक्ष का दबाव, दूसरी ओर सेना की चेतावनी.
अपने पद को लेकर क्या बोले यूनुस?
यूनुस के विशेष सलाहकार फैज़ अहमद तैय्यब ने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि मुख्य सलाहकार पद नहीं छोड़ रहे हैं, और न ही उन्हें सत्ता की भूख है. परंतु देश में लोकतांत्रिक संक्रमण के लिए उनका बने रहना जरूरी है. इस बयान से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि यूनुस खुद को सिर्फ एक पदाधिकारी नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार लोकतांत्रिक मार्गदर्शक मानते हैं, जो किसी भी कीमत पर शांति और चुनावी प्रक्रिया को पटरी से उतरने नहीं देना चाहते.
