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April 25, 2025 12:59 am

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दुनिया में बजा डंका…….’पाकिस्तान ही नहीं इस मोर्चे पर भी मिली भारत को बड़ी जीत……

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पहलगाम की घटना के बाद भारत ने पाकिस्तान पर कई प्रतिबंध लगा दिए हैं. जिसकी वजह से पाकिस्तान काफी बौखला गया है. खासकर सिंधु जल ​संधि टूटने के बाद पाकिस्तान की जैसे कमर ही टूट गई है. इस डिप्लोमैटिक फैसले के बाद पाकिस्तान की हाल काफी खस्ता हो गई है. वहीं दूसरी ओर भारत को इकोनॉमिक मोर्चे पर बड़ी सफलता मिलती हुई दिखाई दे रही है. गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट के बाद दक्षिण कोरियाई कंपनी सैमसंग भी वियतनाम को छोड़कर भारत में आने का मन बना रही है. खासकर उस प्रोडक्शन के लिए तो अमेरिका के लिए करना है.

वहीं दूसरी ओर सैमसंग ने भारत सरकार ने उस एक साल की पीएलआई की डिमांड भी की है, जो उसे प्रोडक्शन टारगेट कम होने की वजह से एक साल नहीं मिल पाई थी. सरकार इस पर गौर करने पर विचार कर रही है. उसका एक कारण ये भी है पीएलआई में राहत देकर सैमसंग से 10 बिलियन डॉलर के प्रोडक्शन का इजाफा देखने को मिल सकता है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर इस मसले को लेकर किस तरह की खबरें सामने आई हैं.

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भारत में प्रोडक्शन बढ़ाने का विचार

माना जा रहा है कि साउथ कोरियन कंपनी अमेरिका द्वारा शुरू किए गए टैरिफ वॉर के बीच वियतनाम से भारत में प्रोडक्शन बढ़ाने की संभावना तलाश रही है और चालू वित्त वर्ष में कुछ प्रोत्साहन प्राप्त किए जाने पर अपने विकल्पों पर विचार कर रही है. सैमसंग के लिए योजना की अवधि समाप्त हो गई है, जबकि पीएलआई स्कीम दूसरे लाभार्थी, जिनमें एप्पल के सप्लायर शामिल हैं, योजना की अवधि के अपने अंतिम वर्ष में प्रवेश कर चुके हैं.सैमसंग वर्तमान में वियतनाम से अमेरिका की अधिकांश मांग को पूरा करता है, जबकि भारत में निर्मित फोन अन्य बाजारों में निर्यात किए जाते हैं. हालांकि, उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि कंपनी भविष्य में किसी भी टैरिफ कार्रवाई से बचने के लिए वियतनाम पर अपनी निर्भरता कम करने की कोशिश कर रही है.

अमेरिकी प्रशासन द्वारा रेसिप्रोकल टैरिफ को 90 दिनों के लिए रोके जाने से पहले, वियतनाम पर 46 फीसदी टैरिफ लगाया गया था, जो भारत के 26 फीसदी से कहीं अधिक था. वियतनाम पर हाई टैरिफ का कारण यह था कि दक्षिण पूर्व एशियाई देश का अमेरिका के साथ बहुत बड़ा ट्रेड सरप्लस है. रोक के प्रभावी होने के बाद, टैरिफ के मामले में भारत और वियतनाम बराबर हो गए हैं.हालांकि भारत सैमसंग के लिए एक अच्छा विकल्प प्रदान करता है. उद्योग के अनुमानों के अनुसार, दक्षिण कोरियाई कंपनी भारत में सालाना 70 मिलियन फोन बना सकती है, लेकिन वर्तमान में 43-45 मिलियन फोन बना रही है. इसमें से 23-25 ​​मिलियन घरेलू बाजार के लिए और बाकी निर्यात के लिए है. साथ ही, जरूरत पड़ने पर यह दो से तीन महीने में क्षमता बढ़ा सकती है.

सैमसंग ने वित्त वर्ष 2025 में भारत से 30,000 करोड़ रुपए (3.5 बिलियन डॉलर) से अधिक प्राइस के स्मार्टफोन निर्यात किए, जबकि वियतनाम से अनुमानित 35 बिलियन डॉलर का निर्यात हुआ, जिसमें से 10 बिलियन डॉलर के फोन अमेरिका गए. जानकारों ने कहा कि इसमें से अधिकांश (10 बिलियन डॉलर) अब भारत में ट्रांसफर किया जा सकता है, जिसकी शुरुआत चालू तिमाही से होगी. सैमसंग लंबे समय से भारत में मौजूद है, लेकिन स्मार्टफोन पीएलआई योजना का हिस्सा होने के बावजूद निर्यात स्थिर रहा है.

एक्सपोर्ट में तेजी

मीडिया रिपोर्ट में उद्योग से जुड़े अधिकारी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में इसका निर्यात 2-3.5 बिलियन डॉलर के आसपास रहा है, जिसमें थोड़ी वृद्धि हुई है, क्योंकि वियतनाम अमेरिका सहित दुनिया भर में सैमसंग फोन का प्राइमरी एक्सपोर्टर रहा है. एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि सरकार और सैमसंग मैन्युफैक्चरिंग क्षमता और निर्यात-बेस्ड ग्रोथ के बारे में चर्चा कर रहे हैं.

स्मार्टफोन पीएलआई योजना का उद्देश्य घरेलू उपयोग और निर्यात के लिए लोकल प्रोडक्शन को बढ़ाना भी था. कोविड-संबंधी व्यवधानों के कारण सैमसंग को छोड़कर अधिकांश लाभार्थी अपने पहले वर्ष के टारगेट को पूरा करने में विफल रहे, इसलिए इस योजना में एक साल बाद संशोधन किया गया. इस योजना की अवधि को इस शर्त के साथ छह साल तक बढ़ा दिया गया था कि कंपनियां अपनी पसंद के अनुसार लगातार पांच साल तक लाभ का दावा कर सकती हैं. सैमसंग को छोड़कर हर फर्म के लिए यह योजना वित्त वर्ष 26 में समाप्त हो जाएगी, जिसके लिए वित्त वर्ष ​2025 अंतिम वर्ष था.

इस योजना के 10 लाभार्थी में से पांच ग्लोबल कंपनियां, जिनमें एप्पल के तीन कांट्रैक्ट मेकर – फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन (अब टाटा समूह के स्वामित्व में) और पेगाट्रॉन, साथ ही सैमसंग और राइजिंग स्टार (भारत एफआईएच) शामिल हैं. स्थानीय कंपनियों में लावा, डिक्सन टेक्नोलॉजीज, भगवती (माइक्रोमैक्स) और ऑप्टिमस शामिल हैं.

इंसेंटिव की डिमांड

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सैमसंग ने पूछा है कि क्या फर्म को स्मार्टफोन के लिए प्रोडक्शन से जुड़ी पीएलआई स्कीम के तहत इंसेंटिव लेने का एक और वर्ष मिल सकता है? दक्षिण कोरियाई इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी को पांच साल के कार्यकाल के दौरान एक साल का इं​सेंटिव नहीं मिल सका था. अब वो पांच साल मार्च में खत्म हो गए हैं. जानकारी रखने वाले ​अधिकारियों में से एक ने जानकारी दी कि सैमसंग पांच साल के लिए इंसेंटिव हासिल करना चाहता है. हम इसकी जांच कर रहे हैं और उसके बाद कोई फैसला लिया जाएगा.

वित्त वर्ष 2021 में शुरू हुई स्मार्टफोन के लिए मौजूदा पीएलआई योजना के अनुसार, कोरियाई प्रमुख ने 31 मार्च को अपना कार्यकाल पूरा कर लिया है. सैमसंग को योजना के दूसरे वर्ष में प्रोत्साहन नहीं मिला क्योंकि वह प्रोडक्शन टारगेट को पूरा नहीं कर सका. कंपनी ने अब पूछा है कि क्या उसे छूटे हुए वर्ष के बदले में एक अतिरिक्त वर्ष मिल सकता है, ताकि वह 5 साल तक लाभ उठा सके. अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान स्थिति के अनुसार, इस योजना के तहत सैमसंग को चार वर्षों के लिए लगभग 3,200 करोड़ रुपए का प्रोत्साहन मिल सकता है.

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