अभी तक आपने सुना होगा कि इंसान अहसानफरामोश होता है। लेकिन अगर तुर्किये की तरफ देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि एक देश भी अहसानफरामोश जो सकता है। एक तरफ हिंदुस्तान में हमला चल रहा था। कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादी बेकसूर पर्यटकों को मार रहे थे दूसरी तरफ शहबाज शरीफ अपने दोस्त एर्दोगन से मिलने के लिए पहुंचे थे। ट्वीट करके उन्होंने बकायदा जानकारी दी। ये वही एर्दोगन हैं जो लगातार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर के मुद्दे पर बोलते आये हैं और कहते आये हैं कि कश्मीर का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में हल होना चाहिए। आपको बता दें कि 2023 में वो भारत ही था जिसने अपने एनडीआरएफ को भेजकर तुर्किये की मदद की थी। जब भूकंप के बाद ये दर्द से कराह रहा था। लेकिन अब तार क्या जुड़ रहे हैं। शहबाज शरीफ एक तरफ तुर्किये में पहुंचते हैं दूसरी तरफ हिंदुस्तान में हमला होता है। बात दोनों लोग ही कश्मीर की करते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे को जोर शोर से उठाने की कोशिश करते हैं।
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तुर्किये से मिलने के बाद शहबाज शरीफ हो या पाकिस्तान का कोई भी नुमाइंदा होता है वो यही कहता है की सबसे पहले आप कश्मीर की बात कर दीजिए। कश्मीर पर कोई बयान दे दीजिये तब हम भी खुश हो जाएंगे। हमें सुकून मिल जाएगा। एर्डोगन लगातार उस बात को कहते रहे हैं। हालांकि एक बार ही ऐसा मौका था जब उन्होंने कश्मीर के मुद्दे पर यूएन में बास्त नहीं कि थी। लेकिन उसके बाद भी उन्होंने अपनी इस जिद को नहीं छोड़ा। आसान शब्दों में कहें तो वो यही चाहते हैं कि कश्मीर का मुद्दा पाकिस्तान के हक में चला जाये। ये उनके उसी सपने की तरह है जैसा 2ओ इस्लाम का खलीफा बनने की मंशा रखते हैं।
तुर्किये में अपने दोस्त से मुलाकात करने के बर्फ शहबाज़ शरीफ ने ट्वीट करते हुए कहा कि आज अंकारा में अपने प्रिय भाई, राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन से मिलकर बहुत खुशी हुई। तुर्की को निरंतर प्रगति और समृद्धि के मार्ग पर ले जाने में उनके नेतृत्व और दूरदर्शिता की सराहना की। हमने फरवरी में महामहिम की पाकिस्तान की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान लिए गए निर्णयों के तेजी से कार्यान्वयन की समीक्षा की। हम व्यापार, प्रौद्योगिकी, रक्षा, ऊर्जा और लोगों के बीच आदान-प्रदान में पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं।व्यापक पाकिस्तान-तुर्की रणनीतिक साझेदारी का दायरा और ताकत बढ़ती रहेगी, इंशाअल्लाह!
शहबाज शरीफ कश्मीर पर साथ देने वाले एर्दोगन को अपना भाई बता रहे हैं। इसे अहसानफरामोशी नहीं तो और क्या कहेंगे कि भारत ही था जो सबसे पहले अपने लोगों को भेजता है। मलबे में से आपके लोगों को निकाल सके। तुरंत उपचार मुहैया कराया गया। दवाईयां और जरूरी सामान भेजा गया। फिर भी आप कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ देते हैं। वो पाकिस्तान जिसको पूरी दुनिया आज जानती है कि जहां से आतंकवाद पनपता है। एक तरफ पाकिस्तान ये चाहता है कि हम इस्लामिक राष्ट्रों के साथ मिलकर बहुत अच्छे बने रहे। एक तरफ तुर्किए के एर्गोगन ये चाहते हैं कि मैं इस्लामिक देशों का खलीफा बन जाऊं। ऐसे में भारत के खिलाफ जो साजिशें रची जा रही हैं उसमें कहीं न कहीं एर्दोगन का भी हाथ हो सकता है।
