अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत समेत उन तमाम देशों पर ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ लगाने की योजना बनाई है, जो अमेरिकी वस्तुओं पर अधिक टैक्स लगाते हैं। रेसिप्रोकल टैरिफ का मतलब है जैसे को तैसा टैक्स’। यानी जो देश अमेरिका के उत्पादों पर अधिक टैक्स लगाते है, अमेरिका भी उनके सामानों के इंपोर्ट पर उतना ही टैक्स लगाएगा। ग्लोबल इनवेस्टमेंट फर्म गोल्डमैन सैक्स (Goldman Sachs) ने इस रेसिप्रोकल टैरिफ से भारत की इकोनॉमी पर असर पड़ सकता है और इसके ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (GDP) में 0.1% से 0.6% तक की गिरावट आ सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत, अमेरिकी सामानों पर अधिक टैक्स लगाता है। ऐसे में ट्रंप भारतीय सामानों के इंपोर्ट पर टैरिफ बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं।
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गोल्डमैन सैक्स के मुताबिक, अमेरिका के पास तीन मुख्य रास्ते हैं, जिनके जरिए वह भारत पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगा सकते हैं। पहला है देश के स्तर पर टैरिफ। इस नीति के तहत, अमेरिका भारतीय उत्पादों पर औसत 6.5% टैरिफ बढ़ा सकता है। यह तरीका सबसे आसान और जल्दी लागू किया जा सकने वाला विकल्प होगा।
दूसरा है, प्रोडक्ट के स्तर पर टैरिफ। अमेरिका हर भारत से आने वाले हर सामान पर उसी स्तर का टैरिफ लगाएगा, जितना भारत उन अमेरिकी उत्पादों पर लगाता है। इससे औसत टैरिफ अंतर 11.5% तक बढ़ सकता है। हालांकि, यह अधिक जटिल होगा और इसे लागू करने में भी अधिक समय लगेगा।
तीसरा तरीका है गैर-टैरिफ बाधाएं। यह एक जटिल तरीका है, जिसके जरिए अमेरिका एक्सपोर्ट लाइसेंस, प्रशासनिक अड़चनों और सब्सिडी जैसे अतिरिक्त प्रतिबंध भी लगा सकता है। इससे भारतीय एक्सपोर्ट पर काफी ज्यादा असर पड़ सकता है, लेकिन इसे लागू करना मुश्किल और जटिल होगा।
इमर्जिंग देशों में भारत का अमेरिका को एक्सपोर्ट सबसे कम है, जो इसके कुल जीडीपी का लगभग 2 प्रतिशत है। भारत के टैरिफ भी आम तौर पर अमेरिका के टैरिफ से ज्यादा हैं। खासतौर से एग्रीकल्चर, टेक्सटाइल और फार्मास्युटिकल सेक्टर में काफी ज्यादा अंतर है।
इसे देखते हुए गोल्डमैन सैक्स का अनुमान है कि अगर अमेरिका देश के स्तर या प्रोडक्ट के स्तर से भारत पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाता है, तो भारत की GDP में 0.1 से 0.3 प्रतिशत अंक तक कमी आ सकती है। हालांकि अगर सभी देशों पर ग्लोबल टैरिफ लगाता है तो तो भारत की GDP पर 0.1-0.6% तक का असर पड़ सकता है।
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