Supreme Court News: मनी लॉन्ड्रिंग केस में डीएमके नेता सेंथिल बालाजी को जमानत मिलने के तुरंत बाद तमिलनाडु के मंत्री के रूप में बहाल किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताई है। कोर्ट ने आज कहा कि किसी को भी यह अहसास हो जाएगा कि राजनेता के खिलाफ गवाह दबाव में होंगे। कोर्ट डीएमके नेता को जमानत देने वाले फैसले को वापस लेने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह याचिका के दायरे को इस बात तक सीमित रखेगी कि क्या बालाजी के खिलाफ गवाहों पर दबाव था।
Bigg Boss 18: कॉमेडी और रैप का तड़का लगाने आ रहे हैं ये खास मेहमान……..’धमाकेदार होगा वीकेंड का वार……
जस्टिस एएस ओका ने सवाल करते हुए कहा, ‘हम जमानत देते हैं और अगले दिन आप जाकर मंत्री बन जाते हैं, कोई भी इस धारणा से बंधा रहेगा कि अब वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री के तौर पर आपके पद के कारण गवाहों पर दबाव होगा। यह क्या हो रहा है?’ बालाजी के वकील ने निर्देश देने के लिए समय मांगा और मामले की सुनवाई 13 दिसंबर के लिए तय की गई। कोर्ट ने कहा कि वह फैसला वापस नहीं लेगा क्योंकि जिस कानून के तहत सेंथिल बालाजी को बेल दी गई, उसका और लोगों को भी फायदा मिला है।
सेंथिल बालाजी पर क्या-क्या आरोप?
डीएमके नेता सेंथिल बालाजी चार बार विधायक रह चुके हैं। उन्होंने अपने सियासी करियर की शुरुआत डीएमके से की थी। फिर एआईएडीएमके में शामिल हुए और फिर डीएमके में वापस आ गए। उन्हें 2011 से 2015 तक जे जयललिता सरकार में तमिलनाडु के परिवहन मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों के सिलसिले में पिछले साल जून में गिरफ्तार किया गया था। ईडी द्वारा सेंथिल बालाजी को गिरफ्तार किए जाने के आठ महीने बाद उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। सितंबर में जमानत पर रिहा होने के कुछ दिनों बाद एमके स्टालिन सरकार ने उन्हें कई सारे विभागों की जिम्मेदारी दे दी और मंत्री बना दिया।
जब सेंथिल बालाजी जेल से रिहा हुए थे तो डीएमके नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने बीजेपी पर राजनीतिक विरोधियों पर अत्याचार करने के लिए ईडी का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था। उन्होंने लिखा, ‘आपातकाल के दौरान भी कारावास इतना लंबा नहीं था। उन्हें लगा कि वे सेंथिल बालाजी के दृढ़ संकल्प को हिला सकते हैं।’