Explore

Search
Close this search box.

Search

November 22, 2024 4:48 am

लेटेस्ट न्यूज़

CJI Chandrachud Retirement: बहुत लंबी है लिस्ट…….’रिटायरमेंट के बाद भारत के चीफ जस्टिस क्या-क्या काम नहीं कर सकते…….

WhatsApp
Facebook
Twitter
Email

भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल समाप्त हो गया है. अब उनके उत्तराधिकारी न्यायमूर्ति संजीव खन्ना इस पद को संभालेंगे. लेकिन मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपनी सेवा पूरी करने के बाद, चंद्रचूड़ और अन्य सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों पर कई प्रकार की पाबंदियां लागू हो जाती हैं. ये पाबंदियां न्यायपालिका की निष्पक्षता और गरिमा बनाए रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं.

Health Tips: इन 4 प्राकृतिक चीजों से मिलेगा छुटकारा……..’पेट फूलने की समस्या से परेशान हैं…….

न्यायालय में प्रैक्टिस पर प्रतिबंध

संविधान के अनुच्छेद 124(7) के अनुसार भारत के किसी भी सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश या सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश को भारतीय अदालतों में प्रैक्टिस करने की अनुमति नहीं है. इसका मतलब है कि डीवाई चंद्रचूड़ रिटायरमें के बाद किसी भी अदालत में वकालत नहीं कर सकते. यह नियम न्यायपालिका में निष्पक्षता बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण पहलू है ताकि किसी प्रकार का हित टकराव न हो और न्यायाधीशों की गरिमा बरकरार रहे.

प्रतिबंध का कारण

यह प्रतिबंध नैतिकता के महत्व को दर्शाता है और आम जनता के बीच न्यायपालिका की स्वतंत्रता में विश्वास बनाए रखने का प्रयास करता है. यदि न्यायाधीशों को सेवानिवृत्ति के बाद अदालतों में वकालत करने की अनुमति दी जाती, तो इस बात की संभावना रहती कि उनके फैसलों पर संदेह किया जा सकता. इस तरह के संदेह से न्यायपालिका की साख पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए यह प्रतिबंध लागू किया गया है.

महत्वपूर्ण कारण

हित टकराव से बचाव:

सेवानिवृत्त न्यायाधीशों पर यह प्रतिबंध लगाया गया है ताकि कोई पक्षपात या पूर्वाग्रह न उत्पन्न हो.

न्यायिक गरिमा बनाए रखना:

सेवानिवृत्ति के बाद अदालतों में प्रैक्टिस करने से न्यायाधीश की पूर्व प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच सकता है.

अनुचित प्रभाव को रोकना:

सेवा के दौरान प्राप्त संवेदनशील जानकारी का सेवानिवृत्ति के बाद गलत इस्तेमाल न हो, इस दृष्टिकोण से भी यह प्रतिबंध जरूरी है.

सेवानिवृत्त CJI के लिए अन्य भूमिकाएं

सेवानिवृत्त होने के बाद भी मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीश कई तरह की भूमिकाओं में सेवा दे सकते हैं. इनमें कुछ प्रमुख भूमिकाएं शामिल हैं..

मध्यस्थता और सुलहकर्ता के रूप में सेवा:

सेवानिवृत्त न्यायाधीश अक्सर मध्यस्थता के कार्य में शामिल हो सकते हैं और विवाद समाधान में अपनी विशेषज्ञता का योगदान दे सकते हैं.

आयोग और ट्रिब्यूनल का हिस्सा बनना:

सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण जैसे प्रमुख आयोगों में नियुक्त किया जा सकता है.

शैक्षणिक योगदान:

कई सेवानिवृत्त न्यायाधीश कानून शिक्षण, व्याख्यान देने या कानूनी लेखन में भी योगदान देते हैं, जिससे नई पीढ़ी को उनका ज्ञान प्राप्त होता है.

लोक सेवा के कार्य:

कुछ न्यायाधीशों को संवैधानिक भूमिकाएं जैसे राज्यपाल या सरकारी समितियों के सदस्य के रूप में भी नियुक्त किया जा सकता है.

विवाद और आलोचना

हालांकि, सेवानिवृत्त न्यायाधीशों द्वारा सरकारी निकायों में भूमिका स्वीकार करने को लेकर विवाद भी उठते रहे हैं. जैसे कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के राज्यसभा में नामांकन के बाद काफी चर्चा हुई थी कि क्या इस तरह के पद न्यायपालिका की स्वतंत्रता को प्रभावित करते हैं. आलोचकों का मानना है कि न्यायाधीशों को ऐसे पद लेने से बचना चाहिए ताकि न्यायपालिका पर जनता का विश्वास मजबूत रहे और उसकी निष्पक्षता पर कोई सवाल न उठे.

कई ऐतिहासिक फैसलों पर काम किया

डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल नवंबर 2022 में शुरू हुआ, और अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसलों पर काम किया. इसमें जम्मू-कश्मीर से संबंधित धारा 370 की संवैधानिकता को बनाए रखना और LGBTQ+ समुदाय के अधिकारों के समर्थन में फैसले शामिल हैं. सुप्रीम कोर्ट में अपने अंतिम दिन, उन्होंने कहा कि अब वह “न्याय नहीं दे पाएंगे, लेकिन संतुष्ट हैं.” उनके सेवानिवृत्त होने के बाद, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को उनके उत्तराधिकारी के रूप में चुना गया है, जो 11 नवंबर से भारत के मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभालेंगे.

ताजा खबरों के लिए एक क्लिक पर ज्वाइन करे व्हाट्सएप ग्रुप

Leave a Comment

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर