Tata Trusts: टाटा ट्रस्ट इस समय बड़े बदलावों से गुजर रहा है। जहां एक तरफ रतन टाटा (Ratan Tata) के देहांत के बाद उनके सौतेले भाई नोएल टाटा (Noel Tata) को टाटा ट्रस्ट की कमान मिल गई है। वहीं, दूसरी तरफ टाटा ट्रस्ट अपने मैनेजमेंट और ऑपरेशनल खर्चों में कटौती करने जा रहा है। इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।
क्या है योजना
रिपोर्ट के अनुसार टाटा ट्रस्ट चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (CFO) और चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) की पोस्ट को खत्म करेगा। इसके अलावा, बाहरी कंसल्टेंसी सर्विसेज को भी घटाने की योजना है। बता दें कि मामले की जानकारी रखने वाले व्यक्ति के अनुसार खर्चों में होने वाली इस कटौती की प्रक्रिया की शुरुआत नोएल टाटा के कमान मिलने से पहले ही हो गई थी।
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क्यों लिया जा रहा है ऐसा फैसला
टाटा ट्रस्ट के खर्चों में कटौती का फैसला इंटरनल ऑडिट और फाइनेंशियल रिव्यू के बाद लिया जा रहा है। इस रिपोर्ट में यह सामने आया था कि स्टाफ पर होने वाले खर्चों में करीब 180 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है। 2022 से पहले डायरेक्ट इंप्लीमेंट प्रोजेक्ट्स जैसे अतिरिक्त खर्चों को जोड़कर कुल खर्च 400 करोड़ रुपये पहुंच गया था।
टाटा ट्रस्ट मैनेजमेंट के रोल को कम करने की प्रक्रिया में है। इस फैसले की वजह टाटा ट्रस्ट को मूल्य हैं। जिनका मानना है कि पैसा अपने स्टाफ की जगह जरूरतमंद लोगों के लिए खर्च करना ज्यादा महत्वपूर्ण है।
एक व्यक्ति ने कहा, “टाटा ट्रस्ट पब्लिक के एक सेवक के तौर पर काम करता है। यह सेवा पब्लिक के लिए है। ना कि अपने खुद के स्टाफ पर पैसा खर्च किया जाए। हमें अधिक खर्च पर बड़े पोस्ट की आवश्यकता नहीं है।” बता दें कि टाटा ट्रस्ट के पास अपने सीनियर फाइनेंस एक्सपर्ट्स और इंटरनल टैलेंट हैं। जो अकाउंट्स और आपरेशन्स को अच्छे से मैनेज कर सकते हैं।
टाटा ग्रुप की कमान है टाटा ट्रस्ट के पास
टाटा ग्रुप को होल्ड करने वाली कंपनी टाटा संस में टाटा ट्रस्ट की कुल होल्डिंग 66 प्रतिशत की है। इनमें से भी ज्यादातर हिस्सा 2 ट्रस्ट के पास है। 11 अक्टूबर को नोएल टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन बनाए गए थे। वो पहले से ही सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट के सदस्य थे। रतन टाटा की अगुवाई में टाटा ट्रस्ट पर नजर रखने के लिए कार्यकारी समिति बनाई गई थी। इस कमेटी में नोएल टाटा, मेहली मिस्त्री, वेणु श्रीनिवासन और विजय सिंह हैं।