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October 16, 2024 6:55 pm

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Jaipur News: जयपुर गोविंददेव मंदिर में 31 अक्टूबर, अयोध्या में 1 नवंबर को; कुछ बोले- दोनों दिन शुभ……’विद्वानों में एक राय नहीं- कब मनाएं दीपावली……

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दीपावली 31 अक्टूबर को मनाएंगे या 1 नवंबर को? इस सवाल का कोई एक जवाब अब तक नहीं मिला है। देश के अलग-अलग विद्वान इसको लेकर अलग-अलग तर्क दे रहे हैं।

देश के प्रमुख मंदिरों में भी दीपावली मनाने को लेकर अलग-अलग मत हैं। जयपुर के गोविंददेवजी समेत अन्य प्रमुख मंदिरों में 31 अक्टूबर को दीपावली मनाई जाएगी। वहीं अयोध्या में 1 नवंबर को दीप पर्व मनाया जाएगा।

दीपावली कब मनाई जाए…इस सवाल का जवाब ढूंढ़ने के लिए जगदगुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय में शनिवार को कुलपति की अध्यक्षता में अलग-अलग विभागों के विभागाध्यक्षों के साथ बैठक हुई। फिर भी इस मुद्दे पर एक मत नहीं हो पाए। धर्मशास्त्री 1 नवंबर को दीपावली बता रहे हैं तो ज्योतिषाचार्य 31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजन की बात कह रहे हैं।

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31 अक्टूबर को दीपावली मनाने के तर्क

जगदगुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राम सेवक दुबे कहते हैं- दीपावली को लेकर मतभेद पंचांगों की स्थितियों को लेकर है। पंचांगों के अनुसार, मुख्य रूप से अमावस्या कब होगी, इस पर दीपावली का त्योहार निर्भर करता है। 31 अक्टूबर की शाम 4 बजे के बाद सायंकाल अमावस्या मिल रही है और इस दिन पूरी रात अमावस्या तिथि है।

गृहस्थों और तंत्र साधना वालों को 31 अक्टूबर को प्रदोष काल में अमावस्या मिल रही है। इस तर्क के आधार पर 31 अक्टूबर को दीपावली मनाने की बात कही जा रही है।

1 नवंबर को दीपावली मनाने के तर्क

एक तर्क ये भी है कि दीपावली प्रदोष काल का पूजन है। प्राय: पर्व में उदया तिथि और सायं काल में कौन सी तिथि रहेगी इसे देख कर विचार करते हैं। ऐसे में 1 नवंबर को दोनों समय में अमावस्या की तिथि मिल रही है। इसी दिन शाम 6 बजकर कुछ मिनट तक अमावस्या मिल रही है। यानी उदय काल से लेकर सायं काल तक अमावस्या तिथि है।

अयोध्या के कुछ आचार्यों से हुई बातचीत

प्रो. राम सेवक दुबे ने बताया- इसमें हमें एक विचार और करना है कि दीपावली का पर्व भगवान श्रीराम के अयोध्या गमन से जुड़ा हुआ है। ऐसे में अयोध्या के कुछ आचार्यों से भी हमने बातचीत की। उनका कहना है कि वे 1 नवंबर को दीपावली मनाएंगे। चूंकि वहां हनुमत जयंती 31 अक्टूबर को मनाई जा रही है। धर्मशास्त्र में एक प्रसंग ऐसा भी आता है कि चतुर्दशी से लगी हुई अमावस्या में पूजन न करें।

प्रो. राम सेवक दुबे ने बताया- इसमें किसी प्रकार का कोई दोष नहीं है कि हम 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाएं या 1 नवंबर को नहीं मनाएं। हम दोनों ही दिनों में लक्ष्मी पूजन कर सकते हैं।

फिलहाल किसी एक तारीख को लेकर सहमति नहीं बन पाई है। एक-दो दिन में देखते हैं कि काशी, मथुरा और अयोध्या में सर्व सम्मति से कोई निर्णय लिया है तो इस पर फिर से अपनी राय हम सभी के सामने रखेंगे।

भविष्य पुराण में भी कार्तिक अमावस्या का जिक्र

जगदगुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर में दर्शन विभाग के अध्यक्ष शास्त्री कोसलेंद्रदास ने बताया- दीपावली पर्व कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है। इस बार अमावस्या 31 अक्टूबर को दिन में 3.45 बजे के आस पास शुरू हो रही है। 1 नवंबर को सूर्यास्त के आधे घंटे बाद तक सवा छह बजे तक अमावस्या है। कार्तिक अमावस्या का वर्णन भविष्य पुराण में है। इसके अनुसार दीपावली तब मनानी चाहिए जब अमावस्या हो और स्वाति नक्षत्र से संयुक्त हो।

ग्रंथ और पुराणों के जरिए तर्क

जगदगुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय में वेदवेदांग संकायाध्यक्ष प्रो. विनोद कुमार शर्मा ने बताया- धर्मशास्त्र और ज्योतिष के प्रामाणिक ग्रन्थों, धर्मसिन्धु, निर्णयसिन्धु, भविष्यधर्मोत्तर पुराण, जयसिंह कल्पद्रुम, मुहूर्तचिन्तामणि पीयूषधारा टीका, इण्डियन अल्मनाक, प्राचीन आचार्यों के मत हैं। दीपावली 31 अक्टूबर 2024 को ही मनाया जाना पूर्णतः शास्त्रसम्मत है।

बैठक कुलपति प्रो. रामसेवक दुबे की अध्यक्षता में हुई। इसमें राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय में वेदवेदांग संकायाध्यक्ष प्रो. विनोद कुमार शर्मा, ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. कैलाश चन्द्र शर्मा, आचार्य डॉ. शिवाकांत मिश्र, वेदविभागाध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र कुमार, धर्मशास्त्रीय विद्वान डॉ. शम्भू कुमार मिश्र, दर्शन संकायाध्यक्ष डॉ. कोसलेंद्रदास मौजूद रहे।

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