कांग्रेस शासन में हुए भ्रष्टाचार व कुप्रबंधन से आमजन को हुई परेशानी के मामले विधायक संदीप शर्मा निरंतर सदन में उठा रहे हैं। इसी क्रम में बुधवार को उन्होंने नियम 131 के तहत कोटा में भदाना, रानपुर और मोहनलाल सुखाड़िया में अफोर्डेबल आवासीय योजना में हुई अनियमितता की ओर सदन का ध्यान आकृष्ट किया।
विधायक शर्मा ने सदन में बताया कि कोटा शहर में अफोर्डेबल हाउसिंग पॉलिसी 2009 के अर्न्तगत रानपुर, भदाना, मोहनलाल सुखाडिया अफोर्डेबल योजना में आवास निर्माण के लिए संवेदक से अनुबंध किया गया था किंतु संवेदक द्वारा समय सीमा की पालना नहीं की गई और निर्धारित सीमा के 7 साल बाद भी गरीबों को आसरा नहीं मिल सका है। इसलिए अनुबंध की शर्तों के अनुसार समय पर काम पूरा नहीं होने से ठेकेदार फर्म पर 10 प्रतिशत की दर से लगभग 6.00 करोड़ की पेनल्टी लगाई जानी थी। लेकिन पिछली कांग्रेस सरकार को आवासों से कोई मतलब नहीं था। गरीबों को देखने के बजाय उन्होंने ठेकेदार से रिश्ता निभाया।
ठेकेदार से पेनल्टी वसूली करने के बजाय दिसम्बर 2018 में उसे राजीव गांधी नगर विस्तार में बेशकीमती भूखण्ड संख्या 12 व 13 आवंटित कर दिया। आवंटन भी 2012 की कीमत पर ही कर दिया गया जबकि आवंटन के समय यानि 2018 में इन भूखण्डों का बाजार मूल्य 66.11 करोड़ रूपये था। इसलिए संवेदक से अन्तर राशि के लगभग 2018 में ही 50.59 करोड लिये जाने थे लेकिन सरकार ने उससे कोई वसूली नहीं की। संवेदक ने होशियारी दिखाई और जो अफोर्डेबल हाउसिंग उसे बनाने के लिए दिये थे वो तो पूरे किये नहीं लेकिन राजीव गांधी नगर विस्तार में जो 2 भूखण्ड आवंटित करवाये थे उस पर बहुमंजिला इमारत का निर्माण शुरू कर लोगों से पैसा लेना भी शुरू कर दिया। बचे हुए दो भूखण्ड जिनकी कीमत आज 200 करोड़ से अधिक है
विधायक शर्मा ने मंत्री झाबर सिंह खर्रा का कहा कि आप पहनावे में सीधे सादे हैं, लेकिन आपकी जो इंटेजीजेंसी है, भ्रष्टाचार के विरूद्ध आपने पूरे राजस्थान में कठोर कार्रवाई की है। ऐसे मामलों में आप पूरी कठोरता से कार्रवाई करें। इस मामले की जांच आपकी निगरानी में कोटा कलेक्टर जो केडीए आयुक्त हैं उनसे करवाई जाए और संवदेक को आवंटित दोनों भूखण्ड निरस्त कराये जायें।
अपने जवाब में स्वायत्त शासन मंत्री ने स्वीकार किया कि अफोर्डेबल हाउसिंग पॉलिसी 2009 के तहत कोटा में निर्माणाधीन मोहनलाल सुखाड़िया, रानपुर और भदाना के आवासों के निर्माण के लिए मै0 नवभारत निर्माण कम्पनी और नगर विकास न्यास के बीच जो अनुबंध सम्पादित किया गया था उसकी बहुत सी शर्तों का उल्लंघन इस अवधि में हुआ है। उन्होंने बताया कि संवेदक द्वारा निविदा में 21 करोड़ 21 लाख 21 हजार 225 रूपये का प्रीमियम जमा करवाने का प्रस्ताव दिया गया था। परंतु संवेदक द्वारा विलंब से प्रीमियम राशि जमा करने के कारण नगर विकास न्यास द्वारा ब्याज सहित कुल प्रीमियम राशि रुपए 24,54,07,340 वसूल किए गए।
डीपीआर के अनुसार परियोजना की कुल लागत रुपए 57.94 करोड़ थी। भदाना एवं मोहनलाल सुखाड़िया अफॉर्डेबल आवासीय योजना की डीपीआर दिनांक 16 जनवरी 2015 को स्वीकृत हो चुकी थी। संवेदक को कार्य 18 माह की अवधि अर्थात अगस्त 2016 में पूर्ण करना था। जो उसने आज दिनांक तक नहीं किया है।
रानपुर योजना की डीपीआर 2 जुलाई 2015 को स्वीकृत की गई थी जिसके अनुसार संवेदक को समस्त कार्य माह जनवरी 2017 में पूर्ण करने थे, जो आज तक नहीं किये हैं। दिसंबर 2018 में संवेदक द्वारा 400 मकान का निर्माण पूर्ण कर न्यास को सुपुर्द करने की एवज में संवेदक को अनुबंध की शर्त के अनुसार भूखंड संख्या 12 एवं 13 राजीव गांधी नगर क्षेत्रफल 6300 वर्ग मीटर का आवंटन किया गया। 2012 में उसकी डीएलसी रेट 2323, 2018 में 10836 तथा 2024 में 11978 रुपये प्रति स्कवायर फीट थी। इसके अनुसार प्लॉट नं. 12 व 13 का मूल्य 2012 में 15.74, 2018 में 75.45 तथा 2024 में 81.19 करोड़ रूपये है। वहीं संवेदक पर निर्माण के विलम्ब के लिए 10 प्रतिशत यानि 57.94 करोड़ रूपये की वसूली भी शीघ्र ही कर ली जायेगी।
मंत्री खर्रा ने विधायक संदीप शर्मा को आश्वस्त किया है कि शेष दो भूखण्ड जो बच गये थे वो किसी भी सूरत में आवंटित नहीं किये जायेंगे, उन्हें हम निरस्त कर देंगे। वहीं जिला कलक्टर कोटा जो केडीए के आयुक्त हैं वो इस सम्पूर्ण मामले की जांच आने वाले 10 दिन में मुझे देंगे। जांच में दो बातों का विशेष ध्यान रखा जाएगा कि अनुबंध की किन किन शर्तों का उल्लंघन हुआ तथा कौन कौन से ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों थे जिन्होंने अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन होने के बावजूद ठेकेदार को प्लाटों का आवंटन किया। उन्होंने केडीए को निर्देशित किया है कि जब तक आयुक्त केडीए की रिपोर्ट नहीं आ जाती तब तक संवेदक द्वारा राजीव गांधी नगर में बनाये जा रहे एचआईजी के फ्लेट का निर्माण रोका जाये। उन्होंने कहा कि आयुक्त की रिपोर्ट मिलने के बाद राज्यस्तरीय कमेटी द्वारा संवेदक और दोषी अधिकारियों-कर्मचारियों पर कार्रवाई प्रारम्भ की जायेगी।