दिल्ली के विवेक विहार में बेबी केयर न्यू बोर्न हॉस्पिटल में हुए अग्निकांड ने पूरे देश को झकझोर दिया है. इस हॉस्पिटल के डॉक्टरों की लापरवाही से हुए हादसे में सात बच्चों की जलकर मौत हो गई. यहां 12 नवजात बच्चे थे, जिनमें 5 बच्चों का इलाज चल रहा है. पुलिस ने इस अस्पताल के मालिक डॉक्टर नवीन किची और हादसे के वक्त मौजूद डॉक्टर आकाश को गिरफ्तार कर लिया है. दिल्ली पुलिस की टीम इस घटना की जांच कर रही है.
दिल्ली अग्निशमन सेवा के एक अधिकारी ने बताया कि बेबी केयर न्यू बोर्न हॉस्पिटल में शनिवार रात करीब 11:30 बजे आग लगी थी, जो कि आसपास की दो इमारतों में फैल गई. यहां से 12 नवजात बच्चों को बचाया गया था, लेकिन सात की मौत हो गई. पांच बच्चों का एक सरकारी अस्पताल में इलाज चल रहा है. दिल्ली पुलिस ने हादसे के जिम्मेदार आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 336, 304, 304ए और 308 के तहत मामला दर्ज किया है.
अवैध तरीके से चल रहा था नर्सिंग होम, खत्म थी परमिशन
दिल्ली पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है कि इस नर्सिंग होम की परमिशन 31 मार्च को खत्म हो गई थी. दिल्ली सरकार का हेल्थ डिपार्टमेंट इसकी परमिशन देता है, लेकिन डॉक्टर नवीन किची अवैध तरीके से नर्सिंग होम चला रहा था. पहले यहां पांच बेड की इजाजत मिली थी, लेकिन कई बार 25 से 30 बच्चे तक भर्ती किए जाते थे. यहां से 32 ऑक्सीजन सिलेंडर भी बरामद किए गए हैं, जबकि पांच बेड के हिसाब से सिलेंडर होने चाहिए थे.
बीएएमएस डॉक्टरों के भरोसे था बेबी केयर न्यू बोर्न हॉस्पिटल
बेबी केयर न्यू बोर्न हॉस्पिटल को दिल्ली अग्निशमन सेवा की तरफ से एनओसी भी नहीं दी गई थी. यहां तक कि आग बुझाने तक के कोई इंतजाम नहीं थे. हॉस्पिटल में अंदर आने और बाहर जाने का सही इंतजाम नहीं था. कोई इमरजेंसी एग्जिट भी नहीं था. सबसे चौंकाने वाली बात तो ये है कि बीएएमएस डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई जाती थी, जो कि बच्चों के इलाज के लिए क्वालिफाइड नहीं थे. इस तरह से सारे नियम को ताक पर रखकर ये सेंटर चल रहा था.
डॉक्टर नवीन किची की डेंटिस्ट बीवी करती थी बच्चों का इलाज
बताया जा रहा है कि इस हॉस्पिटल के चार ब्रांच हैं, जो कि दिल्ली के विवेक विहार, पंजाबी बाग, हरियाणा के फरीदाबाद और गुरुग्राम में चल रहे हैं. डॉक्टर नवीन किची ने एमडी किया है. वो दिल्ली के पश्चिम विहार में रहता है. उसकी पत्नी जागृति एक डेंटिस्ट है. वो भी उसके साथ अस्पताल चलाने में मदद करती है. हदासे के वक्त मौजूद डॉक्टर आकाश भी बीएएमएस है, जो कि आग लगने के बाद बच्चों को बचाने की बजाए भाग गया था.
राफा पर हमला कर अलग-थलग इजरायल: यहां कदम रखा तो गिरफ्तार कर लेंगे; जर्मनी की नेतन्याहू को चेतावनी….
स्थानीय लोग बने नायक, जान जोखिम में डाल बच्चों को बचाया
इस अग्निकांड में बच्चों को बचाने में सबसे बड़ी भूमिका स्थानीय लोगों ने निभाई है. लोग दमकलकर्मियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर डटे रहे. हालांकि, कुछ लोग इस घटना का वीडियो बनाने में भी व्यस्त दिखे. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि स्थानीय लोगों की मदद से अस्पताल के पीछे की खिड़की से बच्चों को इमारत से बाहर निकाला गया. अस्पताल की इमारत का अगला हिस्सा तेजी से जल रहा था. इसलिए लोगों ने पीछे की खिड़कियां तोड़ दी थी.
धुएं और थकावट के कारण बेहोश हो गया एक स्थानीय निवासी
एक स्थानीय निवासी जीतेंद्र सिंह ने बताया, “मुझे रात 11:25 बजे के आसपास आग लगने की सूचना मिली. मैं 11:30 बजे तक घटनास्थल पर पहुंच गया. मेरे पहुंचने के बाद तीन विस्फोट हुए. पहले विस्फोट ने पूरी इमारत में आग लगा दी. दूसरे विस्फोट हुआ तो ऑक्सीजन सिलेंडर फट गया. इमारत की पीछे की खिड़कियां तोड़कर हम लोगों ने बच्चों को बाहर निकाला. धुएं और थकावट के कारण मैं बेहोश हो गया था. मुझे भी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ गया.”
बेबी केयर न्यू बोर्न हॉस्पिटल की लापरवाही का इतिहास रहा है
डॉक्टर नवीन किची के बेबी केयर हॉस्पिटल का आपराधिक लापरवाही का इतिहास रहा है. साल 2021 में इस हॉस्पिटल के मालिक के खिलाफ आईपीसी की धारा 325, 506, 34 और किशोर न्याय अधिनियम (बच्चों की सुरक्षा और देखभाल) की धारा 75 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी. इसमें नवीन किची के खिलाफ नर्सिंग होम का रजिस्ट्रेशन नहीं कराने और केस हिस्ट्री में हेराफेरी करने का आरोप था. इस केस को हाथरस के एक दंपति ने दर्ज कराया था.
अस्पताल में इलाज के लिए आए बच्चे का नर्स ने हाथ तोड़ा
दरअसल, वो दंपति अपने बच्चे के इलाज के लिए इस अस्पताल में आया था, लेकिन उनके बच्चे का बायां हाथ टूट गया था. जब उन्होंने अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज में देखा तो पता चला कि एक नर्स उनके बच्चे को पीट रही थी, जिससे उसकी हड्डी टूट गई. जब दंपति ने इसकी शिकायत नवीन किची से की तो उल्टा वो उनको ही धमकाने लगा. उस समय जांच के दौरान यह भी पाया गया कि दिल्ली नर्सिंग होम अधिनियम के तहत नर्सिंग होम का रजिस्ट्रेशन नहीं है.
सात बच्चों की जान जाने के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं
इस मामले में जुर्माना भरने के बाद निपटारा कर दिया गया था. लेकिन अब सात बच्चों की जान जाने के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं. इन मासूम बच्चों की मौत का जिम्मेदार कौन है? क्या स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने यहां का निरीक्षण किया था? क्या सभी नॉर्म्स को पूरा करके ही सेंटर चलाने की इजाजत दी गई थी? क्या लोकल पुलिस की मिलीभगत से ये अवैध अस्पताल चल रहा था? सवाल कई हैं, जिनके जवाब पुलिस जांच के साथ सामने आएंगे.