फिल्म इंडस्ट्री में कई स्टार्स अपने चेहरे पर सर्जरी के एक्सपेरिमेंट कर अपनी नैचुरल बनावट को खराब कर लेते हैं और इस लिस्ट में कई बड़े नाम शामिल हैं. लेकिन यहां हम एक ऐसी हीरोइन के बारे में बात रहे हैं जिसने ऐसा कुछ भी नहीं किया था, फिर भी उनका पूरा फेस पूरा बिगड़ गया था. हालांकि, उन्होंने उसी चेहरे के बलबूते सैकड़ों फिल्मों में अभिनय किया था और लंबे वक्त तक वे पर्दे पर दिखती रहीं.
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तस्वीर में दिख रही जिस हीरोइन के बारे में बात कर रहे हैं, उन्होंने कई भाषाओं की फिल्मों में काम किया है जिनमें हिंदी, मराठी और गुजराती भाषाओं की फिल्में शामिल थीं. उन्होंने भारतीय सिनेमा पर 70 साल से ज्यादा समय तक राज किया और उनका आखिरी वक्त बेहद बुरा रहा.
अभिनेत्री का नाम है ललिता पवार, जिन्होंने एक समय सिल्वर स्क्रीन पर राज किया था. वे 1950 और 60 के दशक के सिनेमा में दुष्ट सास के प्रतिष्ठित चित्रण के लिए जानी जाती थीं. उस समय वो एक घरेलू नाम थीं और लोग आज भी उन्हें याद करते हैं.
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हालांकि, ऑन-स्क्रीन व्यक्तित्व में नकारात्मक भूमिका निभाने के बावजूद, वो वास्तविक जीवन में बहुत अलग और सकारात्मक व्यक्ति थीं. असल जिंदगी में वो काफी अलग थीं. अपनी प्रसिद्धि के बावजूद ललिता को व्यक्तिगत संघर्षों का सामना करना पड़ा, उनके अंतिम दिन भी चुनौतीपूर्ण थे.
रामानंद सागर की रामायण में वे दशरथ की वाइफ महारानी कैकेयी की दासी मंथरा के रोल में दिखी थीं. उनके इस किरदार को बेहद पसंद किया गया था और आज भी लोग उन्हें मंथरा के नाम से ही जानते हैं. वे अपनी जिंदगी भर सेहत संबंधी संघर्षों से जूझती रहीं.
ललिता पवार ने महज 9 साल की उम्र में एक बाल कलाकार के रूप में काम करना शुरू कर दिया था, हालांकि, फिल्म जंग-ए-आजादी के सेट पर हुई एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद उनके करियर को बड़ा झटका लगा. एक सीन की शूटिंग के दौरान उनके को-एक्टर भगवान दादा ने उन्हें इतनी जोर से थप्पड़ मारा कि उनके कान से खून बहने लगा था. चूंकि भगवान दादा उस वक्त नए थे तो उन्होंने गलती से ललिता को बहुत जोर से थप्पड़ मार दिया था. इस घटना से उनका चेहरा पूरी जिंदगी के लिए खराब हो गया था. उस थप्पड़ के बाद उनकी बायीं आंख स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो गई, जिससे वो आधी बंद ही रही. साथ ही उनके कान का पर्दा भी फट गया था.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, घटना के बाद ललिता पवार का गलत तरीके से इलाज किया जिससे उनके शरीर का दाहिना हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था. ठीक होने के लिए उनका करीब तीन साल तक इलाज चला. आश्चर्य की बात है कि इस दुर्घटना के कारण मुख्य भूमिकाओं के बजाय उन्हें सपोर्टिंग रोल ही मिले, खासकर वे निगेटिव किरदारों में दिखीं.
ललिता पवार की शादी निर्माता गणपतराव पवार से हुई थी, लेकिन उनकी छोटी बहन के साथ एक्स्ट्रामेरिटल अफेयर के कारण उनका तलाक हो गया था. पहली शादी तोड़ने के बाद ललिता ने बाद में फिल्म निर्माता राज कुमार गुप्ता से शादी कर ली. उनका जय पवार नाम का एक बेटा है, जो एक फिल्म निर्माता भी है.
अपनी दूसरी शादी के बाद, ललिता पवार को मुंह के कैंसर का पता चला और वो इलाज के लिए पुणे चली गईं. उनका मानना था कि उनकी नकारात्मक भूमिका ने उनकी पीड़ा में योगदान दिया.
ललिता का 1998 में अपने अंतिम क्षणों में अकेले ही दुनिया को अलविदा कहा था. उसके बेटे को उसके निधन का पता तब चला जब उसकी कॉल का जवाब नहीं मिला, जिसके बाद परिवार उसके घर की ओर दौड़ा.