“इंदौर बहुत सौभाग्यशाली है कि रामसर वेटलैंड साइटों में से हमारे पास सिरपुर (झील) तलाब और यश्वंतसागर प्रकृतिक विरासत है जिससे लाखों लोगों को स्वास्थ्य और जल वायु अच्छा रहने में जीवनदाई है इनका बहुत बड़ा योगदान है ! अब समय आ गया है कि इंदौर के लोगों को इन दोनों का संरक्षण करने आगे आना होगा गा इसे बचाना होगा क्योंकि इसे बचा कर हम बचेंगे ! क्योंकि हम जब यहां जाएंगे तो हमारा शरीरिक, मानसिक , सामाजिक ,और आध्यत्मिक विकास होगा ! मुझे याद है 1985 में मैं चंडीगढ़ से बहाई पाइनियर आदिवासी महिलआयों को प्रशिक्षित करने के लिए बरली ग्रामीण महिला विकास संस्थान की स्थापना करने के लिए इंदौर आई और यहाँ कही पानी ,तालाब नहीं दिखता था , चंडीगढ़ सुखना लेक पर रोज़ सुबह सैर पर जाती थी , सुखना लेक इतनी सुन्दर है, और किसी को नहीं पता कि वो सुखना लेक किसकी है, आज 39 साल यहाँ रहते हुए भी उसे मिस करती हूँ .
हर व्यक्ति ये मानता है कि हमारी लेक है, अपनी मानते हैं, और लोग उसका रख रखाव ठीक से करते हैं उसको गंदा नहीं करते बड़े-बड़े ऑफिसर और काम करने वाले लोग वहां के पढ़ने पढ़ाने वाले लोग युवा लोग जाकर वहां अपने हाथों से जब बारिश के बाद बहुत सिल्ट जम जाती है अपने हाथ से निकालते हैं जैसे एक बार बॉंबे के बीच को भी वहां एक युवा ने शुरू किया था उसको उसको खुद साफ करना ! अपने हाथों से सेवा कार-सेवा करते हैं हम इंदौरवालों को कमर कस कर अपने दोनों वेटलैंड पर कार सेवा करनी होगी ! जैसा जोश अयोद्या के प्रति ,श्रध्दा ,निष्ठा सद्भावना दुनिया ने देखी वैसा आज हमें इस बात की जुरूरत है कि हम हमारे ये दो वैट लैंड को अपनी अपना समय, अपना तन, मन और धन जो भी लगा सकते हैं , इसको बचाने के लिए इसको समझे कि कैसे बचाना है ! ताकि ये सस्टेनेबल बन सके ! आने वाली पीद्धीयों के लिए वरदान बना रहे ! देश और शहर में होता हुआ सीमेंटी करन और पेड़ों की कटाई और भूजल का बहुत नीचे चले जाना अगर हम ये दो वैटलेंड नहीं बचाएंगे तो हम बहुत बड़े आपात काल में चले जाएंगे ! हमें यह नहीं सोचना कि दो तरीक को होने वाले , परसों के वेटलैंड कार्यक्रम की तैयारी करना है इस कार्यशाला का उदेयश है ! उस वेटलैंड डे में बहुत दूर-दूर से लोग आने वाले हैं देश-विदेश से उनके सामने हम क्या रखेंगे ! परसों की तैयारी की बात हो रही है , लेकिन मैं कहती हूं परसों की तो हो रही है है लेकिन आने वाले बरसों के लिए हमें खड़े होना है ! हमें अपने हाथ पैर हिलाने है, अपना तन मन इसमें लगाना है ! अपने सिरपुर और यश्वन्त सागर वेटलैंड केवल मनुरंजन का साधन न बने ,हम लोग जाकर उस उसमें सहयोग करें जाकर अपनी वॉलंटरी सेवा दे ! वहां माता-पिता अपने बच्चों को ले जाए और बच्चे इतने जानकार हो जाए कि बच्चे अपने लोगों को अपने मित्रों को बताए कि मैं जाकर आया हूं वहां बहुत अच्छे पक्षी है, बहुत अच्छी तितलियां है, बहुत अच्छा पानी है, बहुत सुंदर है ,और वहां चलकर बहुत अच्छा लगता है …..! तो लोगों को ऐसी प्रेनिंग भी दी जानी चाहिए ! अभी ज़यादातर लोगो को पता नहीं सिरपुर तालाब/ लेक क्या है उत्साह नहीं है..! जब हम इसे ऐसी बना देंगे लोग खुद आने लगेंगे.!
मैं अपने स्वयं के अनुभूव से बताती हूं कि मैं इंदौर बरली संस्थान में 26 साल सेवा देने के बाद, मैंने और मेरे पति ने गांव सनावदिया में सस्टेनेबल घर बनाया और सस्टेनेबल जीवन ऐसा जीना शरू किया , अपने खाने के लिए खुद जैविक उगाना , अपनीसोलर और विड पावर से उसी से गुजारा करते हैं और 50 आदिवासी परिवारों को भी निशुल्क देते है, घर में कचरादान नहीं है और यह जगह अब सस्टेनेबल लिविंग का उदहारण बन गई है ! मैं किसी से फंड नहीं लेती हूं , मेरे कोई प्रोजेक्ट नहीं है, मैं किसी को निमंत्रण भी नहीं देती हूं ,प्रचार प्रसार नहीं करती हूं ,लेकिन इसको देखने के लिए इसको समझने के लिए 13 साल में एक लाख 74 हजार लोग जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डवलपमेंट जो कि मेरे स्वगिय पती जिम्मी मगिलिगल को समर्पित है I उन्होंने ब्रिटिन छोड़कर भारत में 25 साल सेवा दी और अपने हाथ से काम किया प्रकृति को बचाया संसाधनों को बचाया I यदि मेरी अकेली के पास देखने को समझने को आ सकते हैं ,और उन बच्चों लोगों ने इंदौर को स्वछ्तं बनाने में अगर मैंने स्टील का ग्लास हाथ में रखा कपड़े की थैली साथ में रखे और स्टील की बोतल साथ में रखे बिना प्लास्टिक के मैं जी रही हूँ बिना उपकर्णों के जी रही हूँ बिजली के तो सब जी सकते हैं मैं जितने साल की होती होते पेड़ लगाते हूँ हम सबको अगर अपने जीवन शैली को ऐसा बनाएं कि हम अपने इन वैटलैंड को बचाएं तो उसके लिए सभी लोगों को हमें जोड़ना पड़ेगा ! मै आवाहन करती हूँ उद्योगपती, हर विषय के शिक्षक और छात्र, चाहे वो botany पढ़ रहे हैं, geology पढ़ रहे हैं, ZOOLOGY gy पढ़ रहे हैं, सोशल एंथ्रोपोलोजी पढ़ रहे हैं चाहे वह टूरिजम की हेरिटेज वॉक कला ,पेंटिंग ,संगीत, नृर्त्य, नाटक वाले जो लोग इतिहास पढ़े हुए हैं वो इसका इतिहास लिखे कि आईएम जैसे इंस्टिट्यूशन जाए आईएटी जैसे लोग हैं बहुत सारे कॉलेज हैं स्कूल है और बहुत सारी लड़कियां महिलाएं और ऐसे लोग हैं जो रिसर्च करते हैं, ऐसे लोग जो आईटी में हैं, और में उनको कुछ assignment मिलती है इसमें योगदान दे documentation करे वकील लोग वहां जाएं इसके इलावा वकील लोग वहाँ जाएं, जज लोग वहाँ जाएं, कोई उस कानून को तोड़े तो वो उसके volunteer बन जाएं, उसके संरक्षक बन जाएं
मैं वायदा करती हूं कि एक इंदोर का सबसे बड़ा सोशल मीडिया ग्रुप ” इन्दोरेवाले ” ना राजनातिक है ना स्म्र्दायिक है ,केवल समाजहित एक दूसरे के साथ सदभावना और एक दूसरे को सहयोग करना और शहर और इसके आसपास प्रकृति को बचाने का लोगों को बचाने के लोगों को स्वास्थ बचाने का काम करते हैं। जिसके FOUNDR है समीर शर्मा , इंदोर वाले ग्रुप में लोग पूछते हैं इंदौर के आस पास घुमने, देखने दिखाने के स्थान है तो सिरपुर और यशवंतसागर का पता दो लाख लोगो को एक क्लीक पर पता चलेगा ! केवल सकारात्मक कामों के लिए और सेवा के लिए सहयोग के लिए अपनी पोस्ट डालें जैसे उसे प्रचार होने लगेगा पूरी दुनिया को पता चलेगा सोशल मीडिया पर लोग जाएं जाकर उसका जो काम करें कोई मिट्टी निकाल रहे हैं कोई कचरा वहां से निकाल रहे हैं प्लास्टिक किसी ने फेंक किया उठा रहे हैं , ऐसे फोटो डालें ! हम अपने वेटलैंड को बचाने के हर उम्र वर्ग के लोगो को रक्षक बनना और बनाना है 56 और सराफा के लिए लोगों को खाने के लिए ले जाना खाने के लिए ले जाना वो इंदोर की शान है! लेकिन इंदौर की आबो हवा और इंदौर की प्राण बचाने के लिए हमारे पास ये वैटलेंड है जो प्रकृतिक है ! ज्यादा से ज्यादा जुड़ना चाहिए अपने रिश्तेदारों को दिखाने के लिए लेकर जाएं और जाकर सेवा कार्य करें यह काम उतना ही पवित्र है जितना अपने किसी भी धार्मिक स्थाल पर जाकर पूजा अर्चना करना ! सिरपुर यश्वनत सागर वेटलेंड के हम मित्र बनें, संदक्षक बनें बचाएं मेरा यह सुझाव है ! मैं अपना समय इसमें जितना भी दे सकती हूं लोगों को जरूर प्रोत्साहित करूंगी और अपनी फेसबुक पर अपने ट्विटर पर लोगों को कहा करूंगी कि जाइए वेटलेंड देखिए वेटलेंड पर जाकर सीख कर आइए कुछ सेवा करके आइए धन्यवाद ” डॉ श्रीमति जनक पलटा मगिलिगन