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April 17, 2025 10:54 pm

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…तो क्या इस बार भी राजस्थान 1998 का इतिहास दोहराएगा

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जयपुर। भाजपा ने विधानसभा में पूर्ण बहुमत ले लिया है। लेकिन चुनाव परिणाम आने के चार दिन बाद भी भाजपा आलाकमान राजस्थान में सीएम घोषित नहीं कर पाया है। इधर एक चर्चा और चल पड़ी है कि भाजपा इस बार सीएम के लिए किसी चौंकाने वाला नाम ला सकती है। इनमें से वे नाम भी शामिल हो गए हैं कि जो विधानसभा का चुनाव नहीं लड़े और वर्तमान में विधायक भी नहीं है।

हालांकि राजस्थान में इस तरह का कोई पहला मौका नहीं होगा, जब बिना विधायक बने सीएम बनाया जा सकता है। इससे पहले भी राजस्थान में अशोक गहलोत को वर्ष 1998 में मुख्यमंत्री बनाया जा चुका है।
गहलोत ने इस तरह से मारी थी बाजीवर्ष 1998 के जब विधानसभा चुनाव हुए थे, तब कांग्रेस ने किसी सीएम फेस के आधार पर चुनाव नहीं लड़ा था।लेकिन तब के कद्दावर नेता पररराम मदेरणा सीएम पद के प्रमुख दावेदारों में आते थे। उस समय अशोक गहलोत कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष थे। इनके नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया था। तब इन्होंने भैरोसिंह शेखावत की सरकार को शिकस्त दी थी।चुनाव परिणाम में कांग्रेस ने बहुमत हासिल किया था। जब सीएम पद की बात आई तो आलाकमान में एक लाइन का प्रस्ताव बनाकर गहलोत को ही मुख्यमंत्री बनाया गया था। बाद में परसराम मदेरणा को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया

विधायक मानसिंह ने छोड़ी थी सीटअशोक गहलोत को जब राजस्थान का सीएम बनाया तो वे विधायक भी नहीं थे। उन्हें जोधपुर की सरदारपुरा सीट से चुनाव लड़ाया गया। उस समय इस सीट से मानसिंह देवड़ा विधायक थे। देवड़ा ने विधायक पद से इस्तीफा दिया और गहलोत के लिए जगह छोड़ी थी। गहलोत तभी से सरदारपुरा सीट से भी लड़ते आ रहे हैं। वे छठी बार इसी सीट से विधायक भी बने हैं। यह बात अलग है कि देवड़ा तो विधायक पद छोड़ने के बाद उन्हें राजस्थान आवासन मंडल के अध्यक्ष पद से नवाजा गया।

इस बार भी बिना विधायकी सीएम बनने की बन रही गणितइस चुनाव में भी लगभग ऐसी ही गणित बनती नजर आ रही हैं। वर्तमान में भाजपा में करीब दस नाम सीएम पद की दौड़ में चल पड़े हैं। इनमें से पांच नाम तो वर्तमान में राजस्थान विधानसभा में विधायक भी नहीं है। इनमें प्रमुख नामों से वर्तमान सांसद व केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, सांसद व केन्द्रीय मंत्री अर्जुनलाल मेघवाल, केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी, भाजपा के कद्दावर नेता ओम माथुर का भी नाम प्रमुखता से ल रहा है। इसके अलावा वर्तमान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला भी प्रमुख दावेदारी जताई जा रही है।

क्या कहता है संविधानसंविधान का आर्टिकल 164(4) कहता है कि कोई भी व्यक्ति किसी राज्य में मंत्री पद की शपथ ले सकता है, लेकिन छह महीने के भीतर उसे किसी विधानसभा क्षेत्र से चुनकर आना ज़रूरी है।

Sanjeevni Today
Author: Sanjeevni Today

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