Explore

Search

October 29, 2025 9:41 pm

लेटेस्ट न्यूज़

World IVF Day: 25 जुलाई को पहली IVF बेबी ने रखा था दुनिया में कदम…..

WhatsApp
Facebook
Twitter
Email

25 जुलाई को विश्व IVF दिवस (World IVF Day on 25 July) मनाया जाता है, जिसे विश्व भ्रूणविज्ञानी दिवस (Embryologist Day) के रूप में भी जाना जाता है। यह दिन हमें उन महानुभूतियों को सम्मानित करने का मौका देता है जिन्होंने सूनी गोद को उम्मीद दी और लाखों लोगों के माता-पिता बनने का सपना साकार किया। इस दिन का इतिहास आशा, विश्वास और उम्मीद के धागे से बंधा है।

ऐतिहासिक सफलता

25 जुलाई 1978 को पहली आईवीएफ (IVF) बेबी का जन्म हुआ था, जिसका नाम लुईस जॉय ब्राउन रखा गया। यह एक अविश्वसनीय घटना थी जिसे भ्रूणविज्ञानी यानी एंब्रियोलॉजिस्ट्स (Embryologists) ने कर दिखाया। इस सफलता ने चिकित्सा विज्ञान की दुनिया को चौंका दिया और इसी के सम्मान में इस दिन को विश्व भ्रूणविज्ञानी दिवस (World Embryologist Day) के रूप में मनाया जाता है। भारत की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी कनुप्रिया अग्रवाल (First test tube baby Kanupriya Agarwal) थीं, जो लुईस के जन्म के 67 दिन बाद, 3 अक्टूबर 1978 को कोलकाता में जन्मीं।

भ्रूणविज्ञानी: पर्दे के पीछे के नायक

दिल्ली के मालवीय नगर स्थित निजी अस्पताल में बतौर भ्रूणविज्ञानी काम कर रहीं ललिता उपाध्याय बताती हैं, “हम डॉक्टर नहीं होते। भ्रूणविज्ञानी वे वैज्ञानिक होते हैं जो प्रयोगशालाओं में पर्दे के पीछे काम करते हैं। भ्रूण ट्रांसफर करने या उन्हें संरक्षित करने का जटिल काम! जैसे भ्रूण का विकास परखनली में सही हो, स्वस्थ हो, उसको बढ़ने के लिए जरूरी पोषण मिले, इस पर पैनी नजर बनाए रखते हैं।”

भ्रूणविज्ञानी (Embryologist) अक्सर रोगी के शुक्राणु, अंडे या भ्रूण के प्रोटेक्टर या “देखभालकर्ता” के रूप में देखे जाते हैं, जो शुरू से अंत तक उनके विकास यात्रा के साक्षी बनते हैं।

आईवीएफ: बांझपन का समाधान  

बांझपन (Infertility) एक ऐसी समस्या है, जिससे कई लोग प्रभावित होते हैं। पुरुष या महिला किसी में भी कोई कमी होती है या माता-पिता बनने में कोई परेशानी आती है। ऐसे लोगों के लिए परखनली शिशु विधि उम्मीद की नई दिशा की ओर बढ़ाती है।

एक्ट्रेस बोलीं- ये बहुत अजीब था……..’कपिल शर्मा ने किया था सुमोना को कॉमेडी शो से आउट?

आईवीएफ प्रक्रिया 

आईवीएफ तकनीक के तहत महिला के शरीर से अंडों को बाहर निकालकर इसे स्पर्म से फर्टिलाइज किया जाता है। इसके बाद तैयार हुए भ्रूण यानी एंब्रियो को महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है और इस तरह गर्भधारण की प्रक्रिया शुरू होती है। यह प्रक्रिया उन दंपतियों के लिए एक वरदान साबित होती है जो प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने में असमर्थ होते हैं।

विश्व IVF दिवस (World IVF Day) केवल एक चिकित्सा उपलब्धि का जश्न नहीं है, बल्कि यह उन लाखों दंपतियों की आशा, विश्वास और उम्मीद का प्रतीक है, जिन्हें इस तकनीक ने माता-पिता बनने का मौका दिया। यह दिन हमें उन नायकों को याद दिलाता है जो पर्दे के पीछे काम करके चमत्कार करते हैं और हमारे जीवन को खुशियों से भरते हैं।

DIYA Reporter
Author: DIYA Reporter

ताजा खबरों के लिए एक क्लिक पर ज्वाइन करे व्हाट्सएप ग्रुप

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर