Explore

Search
Close this search box.

Search

November 21, 2024 6:07 pm

लेटेस्ट न्यूज़

जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट में विश्व पर्यावरण सप्ताह 2024 की शुरुआत…..

WhatsApp
Facebook
Twitter
Email

डॉ जनक पलटा मगिलिगन द्वारा प्रत्येक वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य पर पर्यावरण से संबंधित कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैं , इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस 2024 यू.एन. ई. पी. की थीम “भूमि पुनर्स्थापन, मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने की क्षमता” हैं |

आज के कार्यक्रम की शुरुआत डॉ भरत रावत के द्वारा शंखनाद कर ,की गई |
केरोलिना ने अपने बेटे और बेटी के साथ ईश्वर से आशीर्वाद और मार्गदर्शन के लिए बहाई प्रार्थना गाई | गौतम काले के संगीत गुरुकुल के संगीतकार समूह ने प्रकृति को गा कर धन्यवाद दिया | माँ नर्मदा की महिमा गाई | पर्यावरण प्रेम के लिए प्रेरित किया| | डॉ भरत रावत ने जनक दीदी की तरह जीना सीखना पड़ेगा | धरती माँ का स्वाथ्य ठीक रखेंगे तो सभी ठीक रहेंगे


डॉ जनक पलटा मगिलिगन ने सभी का स्वागत कर चार दशकों में बहाई पायनीयर के रूप में सेवा करने आई दो बार बंजर जमीन की भूमि पुनर्स्थापन के अनुभव सुनाए | पहले 1985 से 2011 तक अपने पति ब्रिटिश बहाई पायनीयर के अथक प्रयासों के आदिवासी महिला ट्रेनिंग के लिए 6 एकड़ बंजर जमीन दी गयी थी | अपने एक पुराने सूखे कुए को रेनवाटर सिस्टम से हराभरा , जिस पर 6 -7 पेड़ थे, 26 साल बाद उन्होंने लगभग 900 पेड़, सोलर किचन, पानी संरक्षण की सुविधाओं के साथ , पर्यावरण संरक्षण, जल और मिटटी संरक्षण, वृक्षारोपण सस्टेनेबल बरली संसथान बनाकर सेवानिव्रती के बाद |

दूसरी बार सनावदिया ग्राम में एक बंजर टेकरी को भूमि पुनर्स्थापित कर निवास स्थान बनाया | जहां वह सस्टेनेबल जीवन जी रही और अपने पति जिम्मी मगिलिगन के निधन के बाद उनके नाम से जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट की शुरुआत की जिम्मी मगिलिगन जो की पर्वतारोही और पर्यावरणविद थे जिन्होंने ग्वालियर 76 एकड़ को भूमि पुनर्स्थापित किया था | उन्होंने बताया कि समस्तप्रनिओ के साथ सद्भवाना से जीते हुए अब विश्वस्तर पर सोचते हुए स्थानीय स्तर पर बिना किसे से आर्थिक सहायता से स्वयं सोलर कुकिंग, zerowate जैविक भोजन,कचरा और केमिकलमुक्त जीवन जी रही है 14 साल से 50 आदिवासी परीवारों को 19 स्ट्रीट लाइट निशुल्क दे रही है लाखो लोगो को पर्यावरण संरक्षण, सस्टेनेबल लिविंग सिखा चुकी है |
उन्होंने कहाः पिछले ३२ साल से हर साल पर्यावरण परिसंवाद करती है जिसमे जल और मृदा संरक्षण, वृक्षारोपण और वायु में होने वाले प्रदूषण को किस प्रकार कम किया जा सकता है और बढ़ते तापमान , वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए आम जन की भागीदारी के लिया अवाहान किया | अपनी खपत कम करनी है धरती
माँ की रक्षा अपने स्तर पर और सामुहिक जिम्मेवारी से होगा

फाउंडेशन के सीनियर ट्रस्टी श्री वीरेंद्र गोयल जी ने बताया की प्लास्टिक ने पूरी दुनिया में कितना नुकसान जीवो पर किया हे यह किसीसे छुपा नहीं हैं | प्लास्टिक बॉटल और दूसरी प्लास्टिक की चीजों का इस्तेमाल तो बड़े पैमाने पर हो रहा हैं | दूसरे देशो से यूज़ एंड थ्रो का माइंडसेट हमारे देश में भी पहुंच चूका हैं | यूरोप और अमेरिका में टैब का पानी पी सकते हे तो हमारे देश नहीं कर सकते, ट्रैन में करोड़ो लोग सफर कर रहे जहा प्लास्टिक बॉटल की जगह टेब के पानी का उपयोग किया सकता हैं |

गुजराती कॉलेज के रिटायर्ड प्रिंसिपल पर्यावरणविद ओ. पी. जोशी जी ने बताया की इंदौर में नौलखा का नाम 9 लाख पेड़ होने कारण पड़ा था, ऐसे ही इंदौर में माणिकबाग़, लालबाग़ जैसे बहुत सारे बगीचे होने के कारण पेड़ो और बगीचों का शहर कहा जाता था | इंदौर में जहां 1970 के समय 30% जगह पर, 1980 में 22% हरियाली थी वर्तमान में मुश्किल से केवल 8 -10% हरियाली बची हैं| इंदौर में हरियाली का संकट बढ़ता जा रहा हैं, इसलिए अब न केवल प्लानिंग बल्कि लागु भी करना होगा | योजनाए लचीली होना चाहिए और यह हरियाली की तरफ लचीली होना चाहिए, कोई भी विकास हरियाली को कम करके नहीं करना हैं |

भू-वैज्ञानिक डॉ सुधिंदर मोहन ने बताया की अगला विश्व युद्ध पानी के लिए होगा| दुनिया में दो नदियों के पानी के लिए 3 देश सीरिया, इराक और टर्की में पिछले 40 सालो से लड़ाई चल रही हे जबकि यह देश सबसे महंगे संसाधन तेल के ऊपर बैठे है लेकिन उसके लिए लड़ाई नहीं कर रहे | पानी शब्द सुनकर आम आदमी के दिमाग में पहला विचार प्यास, किसान से दिमाग में फसल क लिए पानी, भू-वैज्ञानिक के दिमाग में कुआ ,पर्यावरणविद के दिमाग में पेड़ के लिए पानी अर्थात पानी सार्वभौमिक हैं | इसके अलावा उन्होंने बताया की भारत में वर्चुअल ट्रांसफर बहुत ज्यादा हे यानि की गेहू अगर सीहोर में चावल अगर पंजाब में उगाया जा रहा हे तो उसका उपभोग इंदौर में किया जा रहा हैं | हमे यह सोचना होगा की एक किलो चावल उगाने से लेकर बनाकर खाने तक कितना ज्यादा पानी खर्चा हो ज्यादा हैं,ताकि हम उसे व्यर्थ ना करे और रोजमर्रा के कार्यो में भी कम से कम पानी का उपयोग करे |


एम. पी. पोल्युशन कंट्रोल बोर्ड के रिटायर्ड ऑफिसर श्री दिलीप वाघेला जी द्वारा जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट कैंपस के पानी और वायु की जाँच करके उसके रिपोर्ट सबसे सामने प्रस्तुत की | उन्होंने बताया की यहां ट्यूबवेल का पानी पीने योग्य है जिसकी गुणवत्ता भी बहुत अच्छी है जिसमे केमिकल की मात्रा साधारण है | हवा भी बिलकुल साफ एवं शुद्ध हैं | इसके साथ ही उन्होंने हवा को साफ रखने कुछ तरीके बताये जैसे की डस्ट को उड़ने नहीं देना ,कचरा जलाना बहुत टॉक्सिक होता है इसलिए ऐसा ना करे अगर कोई हैं तो 311 ऍप पर नगर निगम में कंप्लेन कर सकते हैं | इंदौर दन्त चिकित्सा कालेज की डीन डॉ संध्या जैन ने बताया कि जनक दीदी की प्रेरणा से हमने स्टील के बर्तन पानी के मटके शुरू किये है|

डॉ कुलदीप राना भी बहुत खुश हुए इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डी.ए.वि.वि की कुलपति डॉ रेणु जैन ने बताया की पर्यावरण संपूर्ण विश्व की चिंता विषय हैं, जिसके लिए खासतौर युवाओं को जागरूक होना होगा साथ ही उन्हें अपनी जरूरतों को कम से कम करना होगा | संसाधन सिमित हैं इसलिए जनसंख्या नियंत्रण पर भी ध्यान देना होगा | उन्होंने डी.ए.वि.वि को जीरो वेस्ट कैंपस बनाने का संकल्प लिया | संगीत गुरुकुल के ग्रुप द्वारा मंत्रमुग्ध कर देने वाली बहुत बढ़िया प्रस्तुति के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया | आज इस कार्यक्रम में इंदौर की नेति रीती सेठी जनक दीदी से इंटर्नशिप करके सस्टेनेबल लिविंग की आर्थिक लाभ पर येल यूनिवर्सिटी में दाखला मिल गया है और पूरा स्कोलरशिप भी और उसने बताया कि उन का आधार जनक दीदी वाला मॉडल है |

आज के इस कार्यक्रम में पर्यावरणविद, सोलर एंज्नीय्रर सुष्मिता भट्टाचार्यजी , मोनिका और कस्तूरबा ग्राम कालेज की प्राचार्य डॉ रशिना उनके स्टाफ, सनावादिया के सामाजिक कार्यकर्ता महेंद्र धाकड़ ,जनक दीदी के साथ मास्टर ऑफ़ सोशल वर्क के निलेश , पूजा और इकोनॉमिक्स ओनर्स के इंटर्नr पर्यावरण युवा सेवक, , पर्यावरणप्रेमी उपस्थित थे | श्री वीरेंद्र गोयल जी ने आभार प्रकट किया

Sanjeevni Today
Author: Sanjeevni Today

ताजा खबरों के लिए एक क्लिक पर ज्वाइन करे व्हाट्सएप ग्रुप

Leave a Comment

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर