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June 30, 2025 1:58 pm

क्‍या डूब जाएगी इंडियन इकोनॉमी और शेयर बाजार……’अमेरिका में आ गई मंदी तो क्‍या होगा भारत पर असर……

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डोनाल्‍ड ट्रंप की आक्रामक व्‍यापार नीतियों के कारण अमेरिका में पूरी उथल-पुथल मची हुई है. अमेरिकी शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिल रही है  और एसएंडपी (S&P 500) अपने उच्चतम स्तर से 10% से अधिक गिर चुका है. आर्थिक मंदी की आशंका तेज होती जा रही है. अमेरिका की अर्थव्यवस्था में सुस्ती के संकेत मिल रहे हैं. व्यापार युद्ध और ऊंचे टैरिफ के कारण अमेरिकी कंपनियां निवेश और रोजगार सृजन में संकोच कर रही हैं. KPMG की प्रमुख अर्थशास्त्री डायने स्वोंक का कहना है कि अमेरिका अगले साल की शुरुआत में मंदी में जा सकता है. ऐसे में सवाल उठता है कि अमेरिका की आर्थिक सुस्ती और ऊंचे टैरिफ का भारत पर क्या असर पड़ेगा?

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विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका अगर मंदी की गर्त में जाता है तो इससे भारत भी अछूता नहीं रहेगा. हालांकि, उनका मानना है कि अमेरिका में मंदी से भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं होगी. भारत सरकार की नीतियां और RBI की मौद्रिक नीति इस प्रभाव को संतुलित करने में सक्षम हैं. ऐसे में भारत को सतर्क रहने की जरूरत है, लेकिन घबराने की नहीं.

दिख रहा है असर 

अमेरिकी बाजार में गिरावट का असर भारतीय शेयर बाजार पर भी दिख रहा है. बीएसई सेंसेक्स अपने उच्चतम स्तर से 14% गिर चुका है. हालांकि, मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय शेयर बाजार लंबी अवधि के लिए मजबूत बना रहेगा और 2025 के अंत तक सेंसेक्स 1,05,000 के स्तर तक जा सकता है. इसके अलावा भारत निर्यात को झटका लग सकता है. अमेरिका भारत के लिए प्रमुख निर्यात बाजारों में से एक है. अगर अमेरिका अपने टैरिफ बढ़ाता है, तो भारतीय उत्पादों की मांग प्रभावित हो सकती है. एलएंडटी के ग्रुप चीफ इकनॉमिस्ट सच्चिदानंद शुक्ला का कहना है कि अमेरिका में आर्थिक सुस्ती से भारत में डॉलर आधारित निवेश और विदेशी पूंजी प्रवाह प्रभावित हो सकता है.

लंबे समय तक नहीं रहेगी मंदी

EY इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डीके श्रीवास्तव ने कहा कि अमेरिका में सरकारी खर्चों में कटौती और कर्मचारियों की तनख्वाह में कटौती से मांग पर असर पड़ सकता है. हालांकि, वह मानते हैं कि यह मंदी लंबे समय तक नहीं रहेगी और ऊर्जा कीमतों में गिरावट से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को राहत मिल सकती है.

एफडीआई पर असर

अमेरिकी मंदी से डॉलर मजबूत हो सकता है, जिससे भारतीय रुपया कमजोर होगा. इससे विदेशी निवेश (FDI) और पोर्टफोलियो निवेश प्रभावित हो सकते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि भारत अभी भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल रहेगा. IMF के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था 6-6.5% की दर से बढ़ने की संभावना है.

बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का कहना है कि ट्रंप की टैरिफ नीति का असर अस्थायी हो सकता है. यदि अन्य देश अपने टैरिफ कम करते हैं, तो अमेरिकी निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे मंदी की आशंका कम हो सकती है. EY के डीके श्रीवास्तव का कहना है कि भारतीय सरकार को घरेलू मांग को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए. सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर खर्च बढ़ाने से भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और वैश्विक मंदी का असर कम होगा.

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