रूस में असहमति के खिलाफ कार्रवाई तेज हो रही है. इस बार निशाने पर हैं जानी-मानी राजनीतिक विश्लेषक येकातेरिना शुल्मान, जो फिलहाल जर्मनी में रह रही हैं. रूसी अधिकारियों ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है.
शुल्मान रूस की राजनीति और विधायी मामलों की विशेषज्ञ मानी जाती हैं. लेकिन 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद वह जर्मनी चली गई थीं. अब मास्को की एक अदालत ने उनके खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिसमें उन्हें एक “अवांछनीय” संगठन से जुड़े होने का दोषी ठहराया गया है.
पहले पूरा मामला यहां समझिए
जानी मानी राजनीतिक विश्लेषक येकातेरिना शुल्मान इस समय कार्नेगी रूस-यूरेशिया सेंटर से जुड़ी हुई हैं, जो अमेरिकी थिंक टैंक Carnegie Endowment for International Peace का हिस्सा है. रूस ने इस संगठन को 2023 में “अवांछनीय” घोषित कर दिया था. रूस के सख्त कानूनों के तहत किसी भी रूसी नागरिक को ऐसे संगठनों के साथ काम करने या सहयोग करने की अनुमति नहीं होती.
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रूस का ‘अवांछनीय संगठन’ कानून कब हुआ था लागू
2015 में लागू इस कानून के तहत विदेशी NGOs और संस्थानों पर प्रतिबंध लगाया गया था. इस कानून के तहत रूसी नागरिकों को ऐसे संगठनों के साथ किसी भी तरह का जुड़ाव रखने या उन्हें फंडिंग करने से रोका जाता है. बीते कुछ वर्षों में इसका इस्तेमाल अब उन संगठनों और व्यक्तियों के खिलाफ किया जा रहा है जो सरकार की आलोचना करते हैं. खासकर स्वतंत्र मीडिया, मानवाधिकार संगठनों और पर्यावरणीय समूहों पर.
पहले भी हो चुकी हैं निशाने पर शुल्मान
यह पहला मौका नहीं है जब शुल्मान को निशाना बनाया गया हो. 2022 में रूस ने उन्हें “विदेशी एजेंट” घोषित कर दिया था, जिसके तहत उन पर कई तरह की पाबंदियां लगाई गई थीं. इस टैग के तहत शुल्मान को अपने सभी सार्वजनिक बयानों और सोशल मीडिया पोस्ट पर यह उल्लेख करना जरूरी था कि वह एक “विदेशी एजेंट” हैं. नियम तोड़ने पर उन पर 2023 में, इस नियम का पालन न करने पर उन पर 50,000 रूबल (लगभग 600 अमेरिकी डॉलर) का जुर्माना लगाया गया था.
