सरमथुरा, 18 सितंबर 2025: ग्राम पंचायत गोलारी (सरमथुरा) की ताल पर आज 28 गांवों की एक ऐतिहासिक पंचायत का आयोजन हुआ, जिसमें सेंचुरी टाइगर प्रोजेक्ट के तहत प्रस्तावित विस्थापन का ग्रामीणों और किसानों ने एकजुट होकर कड़ा विरोध किया। पंचायत में उपस्थित लोगों ने इस प्रोजेक्ट को अपनी जमीन, आजीविका और गांवों पर सीधा हमला करार दिया। इस आंदोलन को “गांव बचाओ आंदोलन” का नाम दिया गया।
सभा को संबोधित करते हुए किसान नेता मोहन सिंह गुर्जर और वीरेंद्र मोर ने कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार गांवों और जंगलों को उजाड़कर केवल जानवरों को बसाने का काम कर रही है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों पर निशाना साधते हुए कहा कि न तो इस फैसले का सदन में विरोध किया गया और न ही दशकों से जनता को इसकी सच्चाई से अवगत कराया गया। नेताओं ने जोर देकर कहा कि यह फैसला ग्रामीणों के हित में नहीं, बल्कि उनके जीवन और सांस्कृतिक इतिहास को नष्ट करने वाला है।
किसान नेताओं ने ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए चेतावनी दी कि स्थिति को कानून-व्यवस्था के संकट में नहीं बदलना चाहिए। उन्होंने गांधीवादी और अहिंसक तरीके से आंदोलन चलाकर सरकार को फैसला वापस लेने के लिए मजबूर करने की अपील की।
पूर्व कस्टम अधिकारी रामेश्वर दयाल ने बताया कि धौलपुर और करौली जिलों को वन अधिकारों से वंचित रखा गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि नेताओं ने दशकों तक टाइगर प्रोजेक्ट के मुद्दे पर जनता को अंधेरे में रखा और इन जिलों में विकास को रोका गया, ताकि मनुष्यों की बजाय जानवरों को प्राथमिकता दी जाए।
सरमथुरा नगर पालिका चेयरमैन जलाल खान और रामेश्वर दयाल खिन्नोट ने आंदोलन के साथ-साथ कानूनी लड़ाई की आवश्यकता पर बल दिया। पंचायत में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि आंदोलन का नेतृत्व “किसान मजदूर नौजवान सभा” करेगी। साथ ही, 24 सितंबर को सरमथुरा में होने वाले प्रदर्शन में गोलारी गांव के प्रत्येक घर से कम से कम एक व्यक्ति की भागीदारी अनिवार्य होगी।
पंचायत में सीताराम सरपंच, मालू सिंह सरपंच सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे। सभा की अध्यक्षता रामसहाय गुर्जर ने की, जबकि संचालन भरत सिंह गुर्जर ने किया।
यह आंदोलन न केवल ग्रामीणों के हक की लड़ाई है, बल्कि उनके अस्तित्व और आजीविका को बचाने की एक सशक्त पहल भी है।
 
								
 
															






