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August 11, 2025 9:56 pm

​​​​​​​Rajasthan News: मिलावट में देश में राजस्थान और प्रदेश में जयपुर नंबर 1, हर चौथा सैंपल फेल…..’आपकी चाय-कॉफी में गोबर तो नहीं…….

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सवाल आपको भले अटपटे लगें, लेकिन ये चिंता बढ़ाने वाला कड़वा सच है। ये सच सामने आया है हाल ही में खाद्य सुरक्षा विभाग की ओर से जारी आंकड़ों से।

मिलावट के मामले में राजस्थान देश में और जयपुर प्रदेश में नंबर 1 है। दुनिया के बड़े देशों में सैंपल फेल होने का अधिकतम आंकड़ा 17% है। भारत में ये आंकड़ा 22 फीसदी है। वहीं राजस्थान में 27 फीसदी और जयपुर में 30 फीसदी सैंपल फेल हो गए।

मिलावट के खेल का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले आठ महीने में मिलावट खोरों पर 7 करोड़ रुपए से ज्यादा की पेनल्टी लगाई जा चुकी है।

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बड़े देशों में मिलावट का अधिकतम आंकड़ा 17%

खाद्य सुरक्षा निदेशालय के अतिरिक्त आयुक्त पंकज ओझा का कहना है कि विभाग के साथ आमजन के लिए भी ये खतरे की घंटी है। राजस्थान के 27% और जयपुर के 30% नमूनों का लैब टेस्ट में फेल होना गंभीर है। क्योंकि अंतरराष्ट्रीय पैमानों पर दुनिया के बड़े देशों में खाने-पीने की चीजों में मिलावट का आंकड़ा 17% से ज्यादा नहीं है। देश की बात करें तो लैब टेस्ट में फेल होने वाले सैंपल्स का आंकड़ा 22 फीसदी है। खाद्य सुरक्षा के अलग-अलग मानकों पर इन नमूनों का फेल होना साबित करता है कि प्रदेश में खाद्य पदार्थों में मिलावट खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गई है।

जयपुर से लिए 886 सैंपल में से 30% फेल

ओझा ने बताया कि 1 जनवरी से 30 अगस्त के बीच जयपुर के 886 सहित प्रदेश के अलग-अलग जिलों से 16691 सैंपल लिए गए हैं। इनमें जयपुर प्रथम से 404 और जयपुर द्वितीय से 482 सैंपल लिए गए थे। लैब में टेस्ट के बाद जयपुर प्रथम के 404 में से कुल 118 व जयपुर द्वितीय के 482 में से 138 सैंपल फेल हो गए।

पूरे राजस्थान की बात करें तो लिए गए कुल नमूनों में से 27 फीसदी नमूने मानकों पर खरे नहीं उतरे। जांच में कई तरह की लापरवाही सामने आई। लाल मिर्च पाउडर में डंढल मिले हुए थे। चटनी को चटख और फ्रेश दिखाने के लिए उसमें रंगों का इस्तेमाल किया गया था। गेहूं के चोकर को रंग कर धनिया जैसे मसालों में इस्तेमाल किया गया। कचौरी-समोसे तलने के लिए एक ही तेल का कई बार इस्तेमाल।

जयपुर के डी मार्ट में मिला दो अलग ब्रांड्स का नकली घी

खाद्य सुरक्षा आयुक्तालय की ओर से जून में मालवीय नगर स्थित डी मार्ट स्टोर पर की गई रेड के दौरान दो अलग अलग ब्रांड का नकली घी पाया गया। प्रो वैदिक और श्री कृष्णा नाम के इन नकली घी से जली हुई चमड़ी जैसी बदबू आ रही थी। 700-800 रुपए में आने वाला गाय के घी का यह ब्रांड करीब 470 रुपए में बिक रहा था। घी तेज गर्मी और धूप में रखे होने के बाद भी पिघल नहीं रहा था।

होटल के फ्रीज में सवा महीने पुराना मांस

अगस्त में त्रिमूर्ति सर्किल स्थित एक फाइव स्टार होटल के किचन और स्टोर में निरीक्षण के दौरान फ्रिज में ब्लैक फंगस लगी मिली। गंदगी के साथ ही तेज बदबू आ रही थी। पत्ता गोभी, मशरूम सहित अन्य सब्जियां खराब मिली। चावल चार दिन पहले ही बना कर रखे हुए थे। उन्हें ग्राहकों को परोसे जाने की तैयारी थी। करीब सवा महीना पुराना मांस पका कर फ्रीज़ में रखा हुआ था। मांस पर फफूंद जमी हुई थी, जिसे काम में लिया जा रहा था। सादे गले ड्राइ फ्रूट के साथ ही काफी खाद्य सामग्री ऐसी पाई गई, जो एक्सपायरी डेट की अवधि पार कर चुकी थी।

अब तक सबसे अधिक 7 करोड़ की पेनल्टी

जांच में फेल हुए नमूनों के आधार पर खाद्य सुरक्षा विभाग दोषियों पर पेनल्टी भी लगाता है। ओझा ने बताया कि एडीएम कोर्ट और ज्यूडिशल कोर्ट से पिछले आठ महीने में 7 करोड़ 34 लाख की पेनल्टी लगा चुका है। यह 2022 में निदेशालय बनने के बाद अब तक की सबसे बड़ी पेनल्टी है।

विभाग की ओर से बीते 8 महीने में करीब 50 हज़ार किलो मिठाई, दूध, घी, पनीर, मावा, मसाले, फल, और रोजमर्रा के इस्तेमाल में आने वाली ऐसे ही अन्य खाद्य सामग्री मौके पर नष्ट करवाई जा चुकी है।

ऐसे पहचानें मिलावटी उत्पादों को

दूध और दूध से बनी वस्तुएं: दूध में पानी, सपरेटा वाला दूध मिलाया जाता है। क्रीम निकालकर मक्खन में आरारोट एवं मैदा मिला देते हैं।

आइसक्रीम एवं आइसकैंडी : बनावटी मिठास और नुकसान पहुंचाने वाले रंग

घी और तेल : घी में वनस्पति तेल, सरसों के तेल में सत्यानाशी का तेल, खनिज तेल या अन्य सस्ता तेल

मिठाइयां : सोप स्टोन, नुकसान देने वाले रंग, सेकरीन एल्यूमीनियम का वर्क

सोडा वाटर: सेकरीन, प्रतिबंधित कोलतार के रंग और गन्दा पानी

चाय और कॉफी: पहले इस्तेमाल की हुई चाय की पत्तियां, सूखा गोबर, बादाम के जलाए हुए छिलके

सब्जियां और फल : इनमें कीटनाशक दवाओं का प्रयोग अधिक किया जाता है। सब्जियों को ताजा दिखाने के लिए रंगों का इस्तेमाल भी किया जाता है।

ऐसे जानलेवा बन सकती है मिलावट

सत्यानाशी का तेल (ऑर्जीमोन ऑयल) : ड्रॉप्सी रोग, हृदय धमनी रुक जाने का खतरा बढ़ जाता है। अधिक उपयोग घातक हो सकता है।

खेसारी दाल : इसके अधिक इस्तेमाल से शारीरिक दुर्बलता की शिकायत हो सकती है।

सीसा (लेड) : सीसा शरीर में पहुंचने से मस्तिष्क संबंधित रोग होने का खतरा बढ़ जाता है, जानलेवा भी हो सकता है।

दूध : दूध में टिन्चर आयोडिन की कुछ बूंदें डालिए। मिलावट की गई है तो दूध का रंग गहरा नीला या काला हो जाएगा। वहीं शुद्ध दूध का रंग कॉफी जैसा होगा।

नमक : नमक में आयोडीन की उपलब्धता सम्बन्धी जांच के लिए टेस्ट किट राज्य सरकार द्वारा सभी स्कूलों एवं आंगनबाडी केन्द्रों में निःशुल्क उपलब्ध कराया गया है।

चाय की पत्ती : एक कागज पर थोड़ा सा पानी डालिए। उस पर हाथ से चाय की पत्ती रगड़िए। मिलावटी पत्ती कागज पर लाल रंग छोड़ेगी। शुद्ध चाय की पत्ती केवल गर्म पानी में ही रंग छोड़ती है।

कॉफी : शुद्ध कॉफी पानी में शीघ्रता से घुल जाती है। कॉफी को पानी में घोलने पर अगर तले में कुछ पाउडर रह जाता है तो समझ जाएं कि कॉफी में मिलावट है।

केसर : शुद्ध केसर पानी में शीघ्र घुल जाती है। असली केसर आसानी से नहीं टूटती है जबकि नकली टूट जाती हैं।

चांदी का वर्क : शुद्ध चांदी का वर्क जलाने पर आसानी से जल जाता जबकि मिलावटी नहीं।

लाल मिर्च : मिलावटी मिर्च पानी में गहरा लाल रंग छोड़ेगी।

लौंग व इलायची : लौंग और इलायची का तेल निकालकर इन्हें असली के नाम से बेचा जाता है। नकली लौंग मुड़ी हुई व जल्दी टूटने वाली होगी। जिन इलायचियों का तेल निकाल लिया जाता है वे सिकुड़ी हुई होगी। हाथ पर रगड़ने से सफेद पाउडर जैसी हो जाएगी।

मिलावट के प्रकार और जुर्माना

मिस ब्रांड : एक्सपायरी डेट अंकित न होना। लाइसेंस नंबर या रजिस्ट्रेशन नंबर, कंपनी का नाम और पता न होना। किसी नामी ब्रांड के लेबल से मिलती-जुलती पैकेजिंग मिस ब्रांड कहलाती है। इसे सरल शब्दों में नकल कहते हैं। 3 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

सब स्टैंडर्ड : अगर कोई प्रोडक्ट गुणवत्ता, मात्रा, अनुपात और मानकों पर खरा नहीं पाया जाए तो इसे सब स्टैण्डर्ड कहते हैं। मसलन, किसी दूध की थैली पर 5.5 ग्राम फैट मेंशन है, लेकिन लैब टेस्ट में वह 4 या बताई गई मात्रा से कम है तो यह सब स्टैण्डर्ड कहलाएगा।

मिसलीडिंग : किसी उत्पाद में दावा किए गए एलिमेंट या फायदा कम मात्रा में मिले तो इसे मिसलीडिंग कहा जाता है। जैसे- बाल फिर से उगाने वाला तेल, दो मिनट में नूडल्स बन जाने का दावा अगर सच न हो तो इसे मिसलीडिंग कहेंगे। इसमें 10 लाख तक का जुर्माने का प्रावधान है।

अनसेफ : इसमें वो मिलावट शामिल होती है जो सेहत के लिए हानिकारक हो। अंगों को क्षतिग्रस्त कर दे। जैसे- मसालों-मिठाई में रंग का इस्तेमाल। इस कैटेगिरी में 3 माह से आजीवन कारावास की सजा और 3 से 10 लाख रुपए तक का जुर्माना है।

यहां करें शिकायत : इसके अलावा दुकानदार से उसका फूड लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन नंबर, साफ सफाई दिखाने को भी कह सकते हैं। मना करने पर खाद्य सुरक्षा विभाग के वॉट्सऐप नंबर 94628-19999 और राजस्थान संपर्क पोर्टल के टोल फ्री नंबर 181 पर अपनी शिकायत भेज सकते हैं। इसके अलावा एफएसएसआई के FOS-COS पोर्टल पर भी अपनी शिकायत भेज सकते हैं।

क्या है फूड सेफ्टी इंडेक्स

फूड सेफ्टी इंडेक्स के जरिए 5 पैरामीटर पर राज्यों की रैंकिंग की जाती है। इसका मकसद ये जानना होता है कि विभिन्न राज्य और केंद्र शासित प्रदेश खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में किस हद तक मानक पूरा कर रहे हैं।

1. मानव संसाधन और संस्थागत ढांचा : इसमें देखा जाता है कि स्टेट के पास खाद्य सुरक्षा को लागू करने के लिए पर्याप्त कर्मचारी और संसाधन हैं या नहीं।

2. अनुपालन : इसमें जांच की जाती है राज्य किस हद तक खाद्य सुरक्षा के मानकों का पालन कर रहे हैं।

3. खाद्य परीक्षण, इन्फ्रास्ट्रक्चर और निगरानी : इसमें लैब की संख्या, गुणवत्ता, आधुनिक उपकरणों और निरीक्षण का मूल्यांकन होता है।

4. प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण : इसके तहत खाद्य सुरक्षा से जुड़े अधिकारियों और खाद्य कारोबारियों को प्रशिक्षण दिया जाता है।

5. उपभोक्ता सशक्तिकरण : इसका उद्देश्य यह है कि उपभोक्ता अपने अधिकारों को समझें और खाद्य सुरक्षा में लापरवाही हो तो रिपोर्ट कर सकें।

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