Explore

Search

November 14, 2025 2:33 am

तुर्की: सामने आई एर्दोआन की टेंशन बढ़ाने वाली रिपोर्ट…..’तुर्की में कहां से आ गए 3 लाख 90 हजार आतंकवादी……

WhatsApp
Facebook
Twitter
Email

तुर्की में 15 जुलाई 2016 की वो रात जब सेना के कुछ अफसरों ने सत्ता पलटने की कोशिश की, इतिहास बन गई. उस रात करीब 250 लोगों की जान गई, सड़कों पर खून बहा और राजधानी अंकारा दहल उठी. तख्तापलट नाकाम रहा, एर्दोआन की कुर्सी बच गई. लेकिन उसी रात शुरू हुआ एक ऐसा सिलसिला जो नौ साल बाद भी खत्म नहीं हुआ है.

सरकार ने इसे आतंकी साजिश बताया, और इसके बाद देश में जो हुआ वो किसी थ्रिलर से कम नहीं. ताजा आंकड़े बताते हैं कि तब से अब तक तुर्की में 3 लाख 90 हजार लोगों को आतंकवाद या तख्तापलट से जुड़े मामलों में हिरासत में लिया जा चुका है. इनमें से 1 लाख 13 हजार से ज्यादा लोग बाकायदा गिरफ्तार भी किए गए हैं. अब सवाल ये है कि अगर 2016 की साजिश में मुट्ठीभर लोग शामिल थे, तो 2025 तक तुर्की में तीन लाख नब्बे हजार ‘आतंकी’ कहां से आ गए?

गुलेन आंदोलन: बहाना या सचमुच का खतरा?

एर्दोआन सरकार ने शुरू से ही इस तख्तापलट की साजिश के लिए अमेरिका में निर्वासित धर्मगुरु फेतुल्लाह गुलेन को जिम्मेदार ठहराया. गुलेन ने हमेशा इससे इनकार किया और अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की. जो कभी हुई ही नहीं. तब से अब तक, ‘गुलेन नेटवर्क’ से जुड़े होने के नाम पर 1.26 लाख लोगों को सजा सुनाई जा चुकी है. इनमें से 11,000 से ज्यादा लोग आज भी जेल में हैं, जबकि सैकड़ों अब भी ट्रायल से पहले की हिरासत में हैं. करीब 24,000 लोगों के केस अब भी कोर्ट में लंबित हैं.

High BP Causes: फॉलो करें ये डाइट……’नमक ही नहीं शरीर में पोटैशियम की कमी भी हो सकती है हाई बीपी की वजह……

लेकिन जुर्म क्या था?

कुछ ने ‘गुलेन समर्थक’ बैंक में खाता खोला था, कुछ ने ByLock नाम का एक मैसेजिंग ऐप इस्तेमाल किया था, तो कुछ ने बस किसी संबंधित अखबार की सदस्यता ली थी. यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय ने इन सबको अपर्याप्त सबूत मानते हुए इन्हें गलत ठहराया है. मगर तुर्की की सरकार इसे अब भी देश की सुरक्षा का मामला बताती है.

तो वाकई हैं 3 लाख 90 हजार आतंकी?

जिन्हें गिरफ्तार किया गया, उनमें से कई सिर्फ इस वजह से पकड़े गए कि उन्होंने सरकार की नीतियों का विरोध किया, सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट किया या बस किसी गलत जगह मौजूद थे. तख्तापलट के आरोपियों की तलाश में तुर्की सिर्फ अपने ही नागरिकों तक सीमित नहीं रहा. 118 देशों में 2,364 प्रत्यर्पण की अर्जियां भेजी गईं और 3,579 रेड नोटिस जारी हुए. लेकिन नतीजा? सिर्फ 131 लोगों को वापस लाया गया, जिनमें से 128 को सीधे उठा कर लाया गया, बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के. संयुक्त राष्ट्र तक ने इन कार्रवाइयों को मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन बताया है. एक रिपोर्ट में साफ लिखा गया कि तुर्की सरकार की ये ट्रांसनैशनल ऑपरेशन पूरी तरह से नियमों के खिलाफ हैं.

DIYA Reporter
Author: DIYA Reporter

ताजा खबरों के लिए एक क्लिक पर ज्वाइन करे व्हाट्सएप ग्रुप

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर