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November 13, 2025 10:52 pm

तुलसीदास जयंती विशेष – राम कथा के तुलसी

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भक्ति की बगिया में खिला, तुलसी सुवास,
राम कथा का कथानक, करता चित्त प्रकाश।
अवधपुरी की साँझ तले, जब लेखनी उठाई,
‘रामचरितमानस’ बना, सगुण भक्ति की छाई।

शब्दों में रचा सौंदर्य, चौपाइयों में भरी प्राण,

श्रद्धा से सिंचित हर छंद, प्रेम से किया विधान।

मानवता को दिया दिशा, नीति का दीप जलाया,

सरल वाणी में तुलसी ने, धर्म का पथ दिखलाया।

कलम बनी वज्र तुलसी की, बाँटी सबको ज्ञान,
सीता-राम की मर्यादा, बनी युगों की पहचान।
भेदभाव के बंधन सारे, तोड़ दिए उस वीर ने,
दिया समता का सन्देश, निर्भय तुलसी धीर ने।

ना था कोई साधन उनके, न संसाधन भारी,
राम नाम का संबल लेकर, रच दी पंक्तियाँ सारी।
संकट की घड़ी में भी, जब मन में पले अंधकार,
तुलसी की चौपाइयाँ करें आत्मा को भवपार।

जो भी भूले थे राम को, रम गए अब ध्यान में,
तुलसी की वाणी गूंजे, हर जन के मन-मंदिर में।
जाति-पांति का भेद मिटा, दिया सबको अधिकार,
सीता-राम की मर्यादा, बनी सृष्टि का आधार।

हर युग-हर घड़ी में, जो देते रहे उत्तम विचार,
‘रामचरितमानस’ बन गया, आत्मा की पुकार।
हे तुलसी! हे राम! हे रामभक्ति की अमर कहानी,
अमर रहो संत तुम, राम का मर्म है तुमसे जानी।

महेन्द्र तिवारी
स्थापना अनुभाग, राष्ट्रीय अभिलेखागार, जनपथ, नई दिल्ली -110001

Sanjeevni Today
Author: Sanjeevni Today

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