शुक्रवार को रुपया 84.3750 पर बंद हुआ था और यह मई के बाद की सबसे बड़ी वीकली गिरावट थी। हालांकि इसके बावजूद भारतीय करेंसी सबसे कम उतार-चढ़ाव वाली करेंसीज में शुमार रही।
Trump Effect on Rupee:
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद अमेरिकी टैरिफ के बढ़ने की आशंका बनी है। ऐसे में चाइनीज युआन के साथ भारतीय रुपये की गिरावट के लिए भी केंद्रीय बैंक RBI ने कमर कस ली है। यह जानकारी न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग को सूत्रों ने दी है। सूत्रों के मुताबिक युआन के गिरने से चाइनीज वस्तुओं की कीमतें कम होंगी जिससे आयात बढ़ सकता है और किसी भी देश के साथ भारत का जो कारोबारी घाटा है, वह और बढ़ सकता है। सूत्रों ने बताया कि रुपये की गिरावट को लेकर आरबीआई तैयार है और विदेशी मुद्रा भंडार के जरिए इसकी गिरावट को नियंत्रित करने की कोशिश की जाएगी।
ट्रंप जब पहली बार राष्ट्रपति बने थे तो टैरिफ में बढ़ोतरी के चलते 2018-19 में डॉलर के मुकाबले युआन 11.5% गिरा था और मॉर्गन स्टेनली के अनुसार इसने टैरिफ में बढ़ोतरी के असर को दो-तिहाई कम कर दिया थाअसर कम किया था। इस दौरान रुपया 11.2% गिरा था। इस साल रुपया अधिकतर समय युआन के मुकाबले 11.50-12 के दायरे में ऊपर-नीचे हो रहा है। दोनों करेंसीज इस साल डॉलर के मुकाबले समान रूप से कमजोर हुई हैं- युआन में 0.9% की गिरावट आई है, जबकि रुपया 1.4% गिरा है।
एनालिस्ट्स का क्या है अनुमान
एनालिस्ट्स ने पहले ही रुपये की गिरावट का अनुमान जारी करना शुरू कर दिया है। एचडीएफसी बैंक के एनालिस्ट्स का अनुमान है कि एक साल के भीतर एक डॉलर की तुलना में रुपया 85 रुपये के लेवल को पार कर जाएगा। वहीं आईडीएफसी फर्स्ट बैंक का भी अनुमान है कि यह 84.50 तक पहुंच सकता है और यह इसके पहले के अनुमान मार्च से पहले ही हो सकता है।
एचडीएफसी बैंक के अभीक बरुआ के मुताबिक ओवरवैल्यूएशन से जुड़ी चिंताओं और कमजोर होते युआन पर रुपये को कॉम्पटीटीव बनाए रखने के लिए आरबीआई अगले साल रुपये को कमजोर बनाए रखने की स्ट्रैटेजी अपना सकता है। एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की प्रमुख इकनॉमिस्ट माधवी अरोड़ा का कहना है कि चीन के साथ द्विपक्षीय व्यापार घाटे के बीच युआन के खिलाफ रुपये को धीरे-धीरे स्थिर किया है और यह रुपये को अपने हिसाब से एक दिशा में बढ़ने नहीं देगा।
शुक्रवार को रुपया 84.3750 पर बंद हुआ था और यह मई के बाद की सबसे बड़ी वीकली गिरावट थी। हालांकि इसके बावजूद भारतीय करेंसी सबसे कम उतार-चढ़ाव वाली करेंसीज में शुमार रही। आरबीआई ने इसकी चाल को अपने विशाल विदेशी मुद्रा भंडार के जरिए को संभाले रखा जो 6800 करोड़ डॉलर का है और यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा फोरेक्स रिजर्व है।
चीन की करेंसी में क्यों है गिरावट की आशंका?
डोनाल्ड ट्रंप चीन की चीजों पर 60 फीसदी आयात शुल्क लगाने का वादा पूरा करते हैं तो इसकी करेंसी युआन कमजोर हो सकती है। इसके चलते एशिया में कारोबार भी प्रभावित होगा। ऐसी स्थिति में रुपये पर सख्ती से नियंत्रण रखना भारत और चीन के बीच व्यापार घाटे को और बढ़ा सकता है, जो पिछले तीन वर्षों में दोगुना होकर 2023 में लगभग 8300 करोड़ डॉलर तक पहुँच गया है। भारत की कोशिश है कि चीन से बाहर निकलने वाली सप्लाई चेन वाली कंपनियां यहां आएं ताकि यहां मैनुफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा मिले। ऐसा तभी होगा, जब बाकी करेंसी की तुलना में रुपया कॉम्पटीटिव रहे। भारत ने हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में चीन से निर्यात बाजार हिस्सेदारी हासिल करना शुरू किया है।