नई दिल्ली. जिन लोगों को आरएसी टिकट मिलती है उन्हें साइड वाली 1 सीट हाफ-हाफ बांट दी जाती है. यानी वो आराम से उस पर बैठकर यात्रा कर सकते हैं. वहीं, रात को 10 बजे के बाद दोनों एडजस्ट करते हुए पैर फैलाकर सो भी सकते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि साइड लोअर के ऊपर वाली सीट यानी साइड अपर पर बैठे शख्स के लिए ये स्थिति कई बार परेशानी खड़ी कर देती है.
दरअसल, ट्रेन में सुबह 6 रात 10 बजे तक का समय बैठने के लिए होता है. यानी आपके पास अपर सीट है या मिडिल सीट, आप रात 10 बजे तक लोअर सीट पर आराम से आकर बैठ सकते हैं. लेकिन साइड वाली सीट पर कुछ जटिलताएं पैदा हो सकती हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि वो सीट खुल सकती है. यानी बीच में से ब्रेक होकर एक-एक सीट बन जाती है. अब अगर साइड अपर बर्थ वाला शख्स नीचे बैठने आना चाहे और नीचे पहले से बैठे दोनों लोगों ने अपनी-अपनी सीट बैठने के लिए उठा रखी है तब साइड अपर वाला क्या करेगा?
क्या है रेलवे का नियम
इस संबंध में रेलवे का कोई नियम नहीं है. रेलवे मानकर चलता है कि लोग आपसी सौहार्द और सद्भावना ने इसका निर्धारण करें. वैसे यह जरूर तय है कि सुबह 6 से रात 10 तक ऊपर वाला व्यक्ति नीचे आकर बैठ सकता है. आपको बता दें कि साइड वाली बर्थ में 2 ही सीटें होती हैं. इसलिए वहां 3 लोगों के लिए बैठना थोड़ा मुश्किल होता है. हालांकि, दोनों सीटों को ओपन कर दिया जाए तो वहां 3 लोग आराम से बैठ सकते हैं. बशर्ते कि तीनों के बीच सहमति हो. लोअर बर्थ पर बैठे आरएसी वाले लोग साइड अपर पर बैठे कंफर्म टिकट वाले को वहां से बैठने से मना नहीं कर सकते.
रात को हटना होगा
रात को 10 बजे के बाद साइड अपर वाले यात्री को अपनी सीट पर जाना होगा. 10 बजे से सुबह 6 बजे तक आरएसी सीट वाले लोग उसे वहां बैठने से रोक सकते हैं. निर्धारित समय के बाद रात को दोनों आरएसी टिकट वाले यात्री अपनी टांगे फैलाकर आराम से वहां सोने के अधिकारी हैं. जैसे ही उनमें से किसी एक भी टिकट कंफर्म होती है तो दूसरे शख्स को वो पूरी सीट ऑटोमेटिकली अलॉट हो जाती है.
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