यह समाचार एक महत्वपूर्ण पहल की जानकारी देता है, जिसमें जिम्मी एंड जनक मगिलिगन फाउंडेशन फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट द्वारा प्राकृतिक रंग बनाने की कार्यशाला आयोजित की जा रही है। यह कार्यशाला 7 मार्च से 12 मार्च 2025 तक चलेगी और इसमें पोई, टेसू, अम्बाड़ी, गुलाब की पत्तियां, संतरे के छिलके जैसे प्राकृतिक तत्वों से जैविक रंग बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
इसका मुख्य उद्देश्य इको-फ्रेंडली, सुरक्षित और स्वस्थ होली मनाने को बढ़ावा देना है, जिससे लोग जिम्मेदार निर्माता और उपभोक्ता बनें। कार्यशाला जिम्मी मगिलिगन सेंटर पर होगी, जहां हर दिन सुबह 9:30 से दोपहर 12:30 बजे तक सेंटर की निदेशक डॉ. जनक पलटा मगिलिगन सोलर कुकर की मदद से प्राकृतिक रंग बनाना सिखाएंगी।
इस पहल में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, श्री वैष्णव इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड साइंस, सेंट पॉल इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज, पटेल ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशंस और आस-पास के स्कूल-कॉलेजों के छात्र व स्वयंसेवक भी भाग लेंगे। यह न केवल होली के लिए बल्कि स्थानीय ग्रामीण समुदायों की आजीविका बढ़ाने में भी सहायक होगा।
इस प्रकार, यह कार्यक्रम पर्यावरण संरक्षण और पारंपरिक प्राकृतिक रंगों के पुनरुद्धार की दिशा में एक सराहनीय कदम है।
