हे चेतना के पुत्र ! तेरे लिए शांति नहीं है सिवाय इसमें कि तू अपने आपको तज दे और मेरी ओर अभिमुख हो, क्योंकि तुझे शोभा यह देता है कि मेरे नाम में गौरव करे, न कि अपने नाम में, मुझ में अपना भरोसा रखे, न कि अपने आप में क्योंकि मैं चाहता हूँ कि मैं अकेला ही और प्रत्येक विद्यमान वस्तु से अधिक चाहा जाऊं।- बहाउल्लाह
Author: Sanjeevni Today
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