हे चेतना के पुत्र ! मुझसे वह न मांग जिसे हम तेरे लिए नहीं चाहते। तेरे हित हमने जो उपलब्ध कराया है, उस पर संतोष कर, क्योंकि एकमात्र यही तेरे लिए लाभदायक होगा अगर उससे स्वयं को संतुष्ट कर ले।

Author: Sanjeevni Today
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