“आप एक सागर की लहरों की तरह, एक ही आकाश के तारों की तरह, एक ही पेड़ को सजाने वाले फलों की तरह, एक ही बगीचे के गुलाबों की तरह बनें, ताकि आपके माध्यम से मानवता की एकता विश्व में मानवजाति के मंदिर की स्थापना कर सके, क्योंकि आप ही वे हैं जिन्हें पृथ्वी के राष्ट्रों के बीच एकता के उद्देश्य को ऊंचा उठाने के लिए बुलाया गया है।”
-अब्दुलबहा
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