जैसे-जैसे डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने का समय करीब आता जा रहा है, कई लोगों की चिंता बढ़ती जा रही है. वे अपने जीवन के आने वाले दिनों को लेकर भारी तनाव में हैं. उन्हें नहीं पता है कि उनका भविष्य कैसा होगा? बल्कि यूं कहें कि उनका भविष्य भारी अनिश्चतताओं से भरा हुआ है. इसमें सबसे बड़ा तबका उन अप्रवासियों का है जो कई सालों से अमेरिका में रह रहे हैं लेकिन उनके पास यहां रहने के वैध दस्तावेज नहीं हैं. इसमें बड़ी तादाद मेक्सिकन लोगों की है, जो बॉर्डर पार करके अमेरिका में आए और अब ट्रंप द्वारा डिपोर्ट करने की घोषणा ने उन्हें डरा दिया है.
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ट्रंप की जीत के दिन से ही सदमे में
सीएनएन ने एक ऐसे ही मैक्सिकन परिवार से बात की, जिसमें इस परिवार ने अपनी पहचान छिपाने का आग्रह करते हुए अपना दर्द बयान किया है. सुजाना (बदला हुआ नाम) बताती हैं कि जिस दिन डोनाल्ड ट्रंप की जीत हुई उसी दिन से हम भारी तनाव में हैं. ट्रंप हमेशा से हम लोगों को देश से बाहर भेजने की बात करते रहे हैं. जब ट्रंप जीते तो हमने अपने दोनों किशोर बेटों को डाइनिंग टेबल पर बिठाया और उन्हें वह रहस्य बताया, जिससे वो अनजान थे.
बेटा चाहता था ट्रंप जीते, पर अब
सुजाना और उनके पति कार्लोस ने इस सीक्रेट को सालों से अपने बेटों से छिपाकर रखा था कि वे आखिर कभी मैक्सिको क्यों नहीं गए, जबकि उनके कई प्रियजन वहां रहते हैं. यहां तक ये पति-पत्नी तब भी चुप रहे जब उनका 13 वर्षीय छोटा बेटा एन्ड्रेस 2024 के राष्ट्रपति अभियान के दौरान बार-बार यह कह रहा था कि वह चाहता है कि ट्रंप ही चुनाव जीतें.
हालांकि चुनाव नतीजे आने के बाद सुजाना और कार्लोस ने अपने बेटों को जब बताया कि उनके पास इस देश में रहने के लिए कोई दस्तावेज नहीं हैं और अब उनके परिवार के लिए चीजें जल्द ही बदल सकती हैं तो यह खबर उन लड़कों के लिए सदमे की तरह आई. जबकि उनके तीनों बच्चे कैलिफोर्निया में पैदा हुए थे और अमेरिकी नागरिक हैं. लेकिन उनके माता-पिता अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे हैं.
अचानक बम ना फूटे
सुजाना कहती हैं, ”उन्हें इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि हमारे पास कागजात नहीं हैं. लेकिन अगर हमारी स्थितियां अचानक बदल जाएं तो उन्हें झटका ना लगे इसलिए हमने उन्हें सच बताने का फैसला किया था.”
हर दिन करीब आ रही मुसीबत
अब जैसे-जैसे ट्रंप का कार्यकाल शुरू होने का दिन करीब आ रहा है सुजाना और उनका परिवार ट्रंप के सामूहिक-निर्वासन के वादे को लेकर खासे चिंतित हैं. हम तय नहीं कर पा रहे हैं कि क्या हमें खुद ही अमेरिका छोड़ देना चाहिए? वहीं उनकी सबसे छोटी 6 साल की लड़की को तो अभी तब इस बात की भनक भी नहीं है कि उनका परिवार कितने बड़े संकट में है.
40 लाख बच्चों के जीवन पर संकट
प्यू रिसर्च सेंटर के अनुमान के अनुसार, पूरे अमेरिका में 4 मिलियन से अधिक बच्चे ऐसे हैं जो अमेरिकी नागरिक हैं लेकिन उनके माता-पिता गैर-दस्तावेजी अप्रवासी हैं जिन्हें जल्द ही ट्रंप के वादे के तहत निशाना बनाया जा सकता है. जाहिर है सुजाना के तीनों बच्चे भी इनमें शामिल हैं.
सुजाना कहती हैं, “हमें बहुत सोच-समझकर निर्णय लेना होगा क्योंकि हमारे बच्चे अमेरिका में जन्मे हैं और बड़े हुए हैं. वे मेक्सिको और उसके जीवन को नहीं जानते हैं.”
इससे कई साल पहले कैलिफोर्निया की आग में इस परिवार का जलकर खाक हो गया था. यानी कि एक बार पहले ही अपना घर खो चुके इस परिवार पर दूसरी बार अपना घर छोड़ने का संकट पैदा हो चुका है. सुजाना कहती हैं कि मैं मानती हूं कि हम गैर कानूनी तरीके से यहां रह रहे हैं लेकिन हम इस देश में टैक्स देते हैं और अपना परिवार चलाने के लिए यहां कड़ी मेहनत भी करते हैं.
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