बांग्लादेश में इस वक्त तनाव का दौर चल रहा है. जब से यहां की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई गई है, तब से यहां हालात बिगड़े हुए हैं. फैसले के बाद रात भर बांग्लादेश सुलगता रहा. इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल-1 ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को पिछले साल के छात्र आंदोलन पर हुए हिंसक दमन के लिए मानवता के खिलाफ अपराध मामले में मौत की सजा सुनाई, जिसके बाद पूरे देश में प्रदर्शनों और हिंसा की तस्वीरें दिखने लगीं. शेख हसीना के खिलाफ निर्णय आते ही एक बार फिर से एक गुट उनके पुश्तैनी घर पर पहुंचकर तोड़-फोड़ करने लगा. ग्रेनेड और बम फेंके जाने की घटनाएं सामने आईं और 2 लोगों की मौत भी हो गई. चलिए जानते हैं कि आखिर शेख हसीना की मौत की सजा पर बांग्लादेश में क्या बवाल है, क्यों एक बार फिर से बांग्लादेश फिर से उबलने लगा है.
शेख हसीना के बयान पर रोक:
शेख हसीना को मौत की सज़ा सुनाए जाने के बाद देश की नेशनल साइबर सिक्योरिटी एजेंसी (NCSA) ने मीडिया से अपील की है कि वे हसीना के बयान प्रसारित न करें. स्थानीय मीडिया के अनुसार, इसे अंतरिम सरकार के चीफ एडवाइज़र मुहम्मद यूनुस द्वारा अवामी लीग और उसकी नेता हसीना की गतिविधियों को दबाने की एक और कोशिश के रूप में देखा जा रहा है. एजेंसी ने हसीना को दोषी करार दी गई भगोड़ी कहा है और निर्देश दिए हैं कि जो हिंसा, अव्यवस्था और आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा दे सकते हैं, ऐसे कंटेंट नहीं चलाए जाएं. NCSA ने यह भी कहा कि वह मीडिया की स्वतंत्रता का सम्मान करती है, लेकिन मीडिया संस्थानों को दोषी व्यक्तियों के बयानप्रसारित न करने और कानून का पालन करने की सलाह दी.
शेख हसीना के घर पहुंच गए प्रदर्शनकारी
वैसे तो शेख हसीना का यह घर पिछले साल हसीना के पतन के दौरान आंशिक रूप से जला दिया गया था और अभी भी कड़ी सुरक्षा में है. फैसला आने के बाद करीब 300 प्रदर्शनकारी फिर जुटे और सड़कों पर टायर जलाए, जिन्हें बाद में सुरक्षा बलों ने हटा दिया. इसके अलावा ट्राइब्यूनल के बाहर पीड़ित परिवारों ने फैसले का स्वागत किया और कई लोगों ने अदालत परिसर में ही प्रार्थनाएं शुरू कर दीं. ढाका और अन्य शहरों में आगज़नी, बम धमाके और राजनीतिक झड़पें भी हुईं. स्थानीय मीडिया के मुताबिक फैसले से पहले और बाद में लगभग 50 वाहनों में आग लगाई गई और कई देसी बम फोड़े गए.
ढाका यूनिवर्सिटी के डिप्टी रजिस्ट्रार गिरफ्तार
उध फैसले के बाद ढाका विश्विविद्यालय के डिप्टी रजिस्ट्रार को पुलिस ने उठा लिया. दरअसल उन्होंने इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाते हुए फेसबुक पर लिखा था – ‘पुलिस और कुछ लोग आए, वे मुझे ले जाएंगे. मैंने कुछ गलत नहीं किया है, मैंने लिखा था कि शेख हसीना वापस आएंगी, जय बंग्ला और ये अपराध नहीं है.’ इससे साफ पता चल रहा है कि बांग्लादेश की सरकार शेख हसीना के समर्थकों पर शिकंजा कस रही है.
फैसले पर दो हिस्सों में बंटी जनता
गोपालगंज, मौलवीबाजार, गाजीपुर और अशुलिया जैसे संवेदनशील इलाकों में हिंसा देखने को मिली. इस फैसले पर जनता दो हिस्सों में बंटती हुई दिखाई दी. मृतक छात्रों के परिजनों और विपक्षी समर्थकों ने इसे न्याय की जीत कहा और मिठाइयां बांटी गईं. हसीना के खिलाफ अब भी मिसिंग पोस्टर लगाए गए. वहीं शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने शटडाउन का ऐलान किया है. इस पूरे मामले पर भारत ने कहा है कि वो वही करेगा, जो बांग्लादेश के लोगों के हित में होगा क्योंकि आईसीटी का फैसला राजनैतिक प्रतिशोध से प्रेरित है.





