इंदौर, 12 मार्च 2025 – जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट में होली महोत्सव के तहत आयोजित छह दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन आज हुआ। इस अवसर पर वैष्णव कॉलेज के बी.बी.ए. और बी.सी.ए. के 50 छात्र एवं प्राध्यापक श्रीमति श्रुति पुस्तके और श्री राहुल बोराडे शामिल हुए।
प्राकृतिक संसाधनों से आत्मनिर्भर जीवन
सभी विद्यार्थियों ने जैविक खेती, सोलर कुकर, सोलर किचन, पवन ऊर्जा का उपयोग और जल संचयन जैसी पर्यावरण हितैषी तकनीकों को नजदीक से देखा और आत्मनिर्भर जीवनशैली के महत्व को समझा।
कार्यशाला का शुभारंभ अथर्व पंड्या की गणेश वंदना से हुआ। फाउंडेशन के ट्रस्टी श्री वीरेंद्र गोयल ने कहा, “औद्योगीकरण के दुष्परिणामों को रोकने के लिए हमें सस्टेनेबल लाइफस्टाइल अपनानी होगी और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करना होगा।”
विद्यार्थियों ने सीखे प्राकृतिक रंग बनाने के अनोखे तरीके
जनक पलटा मगिलिगन ने विद्यार्थियों को टेसू, पोई, पलाश, परिजात, गुलाब, बोगनविलिया और नारंगी के छिलकों से प्राकृतिक रंग बनाना सिखाया। उन्होंने टेसू के फूलों में गर्म पानी डालते ही पानी को नारंगी होते दिखाया, जिससे सभी विद्यार्थी अचंभित रह गए। इसी तरह पोई से श्याम रंग तैयार किया गया।
जनक दीदी ने समझाया कि रसायनयुक्त रंग स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए हानिकारक होते हैं, वे त्वचा और कपड़ों पर चिपकते हैं और जल एवं मिट्टी को दूषित करते हैं। इसलिए हमें प्राकृतिक रंगों से होली खेलनी चाहिए, जो सुरक्षित और आनंददायक हो।
विद्यार्थियों का संकल्प – प्राकृतिक होली अपनाएंगे
छात्रों अथर्व, जाह्नवी, भविष्य, देवांशी और माही ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि वे अब पूजा में इस्तेमाल हुए फूलों और अन्य प्राकृतिक चीज़ों से रंग बनाएंगे और सस्टेनेबल जीवनशैली अपनाएंगे।
कार्यक्रम के अंत में जनक दीदी ने सभी को होली की शुभकामनाएं दीं और विद्यार्थियों को अपने घर के पेड़ के सिंदूर से ‘हैप्पी होली’ का तिलक लगाकर आशीर्वाद दिया। बच्चों ने खुशी-खुशी वादा किया कि अब वे हमेशा प्राकृतिक रंगों से ही होली मनाएंगे।
श्री वीरेंद्र गोयल ने सभी को धन्यवाद और शुभकामनाएं दीं, और इस पहल को आगे बढ़ाने की अपील की। यह कार्यशाला पर्यावरण संरक्षण और सस्टेनेबल होली को बढ़ावा देने में सफल रही।
