सनावदिया, सनावदिया गाँव में 22 अक्टूबर 2025 की शाम को बहाई धर्म के युगल अवतार बाब और बहाउल्लाह का जन्मोत्सव बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। यह आयोजन बहाई सेविका डॉ. श्रीमती जनक पलटा मगिलिगन के निवास ‘गिरिदर्शन’ पर जिम्मी और जनक मगिलिगन फाउंडेशन फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट द्वारा आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर के स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के निदेशक प्रो. कन्हैया आहूजा उपस्थित थे।
कार्यक्रम का शुभारंभ जनक पलटा मगिलिगन द्वारा बहाई प्रार्थना के साथ हुआ, जिसके माध्यम से ईश्वर का आशीर्वाद माँगा गया। जनक दीदी ने सभी अतिथियों और उपस्थित लोगों का हार्दिक स्वागत करते हुए बधाई दी और अपने जीवन के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि उनका जीवन ईश्वर को धन्यवाद देने, समाज सेवा और पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित है। उन्होंने यह भी साझा किया कि उनके पति जिम्मी मगिलिगन ने बाब और बहाउल्लाह से प्रेरित होकर अपनी मातृभूमि छोड़कर भारत में बहाई सेवा को अपनाया।
डॉ. नीरजा पौराणिक ने संस्कृत में मंत्रोच्चारण कर कार्यक्रम को और पवित्र बनाया। मुख्य वक्ता प्रो. राजीव संगल, जो आईआईटी बीएचयू और ट्रिपल आईआईटी हैदराबाद के सेवानिवृत्त निदेशक हैं, ने बाब और बहाउल्लाह के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि बहाई अनुयायी मानते हैं कि बाब और बहाउल्लाह वह वादा किए गए अवतार हैं, जो शांति और सद्भाव के युग की स्थापना के लिए आए। प्रो. संगल ने कहा, “दिव्यात्मा बाब ने 1844 में अपनी घोषणा की और 1850 में उनकी शहादत तक बाबी धर्म सक्रिय रहा। बाब स्वयं को अग्रदूत मानते थे और अपने अनुयायियों को ‘जिन्हे ईश्वर प्रकट करेंगे’ की खोज के लिए प्रेरित करते थे।” उन्होंने आगे बताया कि मिर्ज़ा हुसैन-अली, जिन्हें बाद में बहाउल्लाह के नाम से जाना गया, ने 1863 में घोषणा की कि वे वही प्रतीक्षित अवतार हैं, जिनकी भविष्यवाणी बाब ने की थी। बहाउल्लाह ने मानवता की एकता, शांति, लैंगिक समानता, विज्ञान और धर्म के सामंजस्य जैसे सिद्धांतों को बढ़ावा दिया।
मुख्य अतिथि प्रो. कन्हैया आहूजा ने बाब और बहाउल्लाह के जन्मोत्सव पर अपनी शुभकामनाएँ दीं और कहा, “उन्होंने ईश्वर की एकता और मानवता की एकता के लिए अपना जीवन समर्पित किया। उनकी शिक्षाएँ इस युग की आवश्यकता हैं और मानवता के हित में हैं।” उन्होंने इस आयोजन में शामिल होने पर स्वयं को धन्य बताया।
कार्यक्रम में डॉ. उषा मलिक (सुप्रसिद्ध न्यूरो फिजिशियन), डॉ. अपूर्व पौराणिक, डॉ. रवि वर्मा (सर्जन), प्रो. आशीष दुबे, श्रीमती निशा संगल, प्रो. ऋषिना नातू, पुष्पा जैन, चेरी, सनमान, नीलेश चौहान, इंदर भंडारी, पटेल मास्टर जी सहित इंदौर और गाँव के कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।
कार्यक्रम के अंत में जिम्मी और जनक मगिलिगन फाउंडेशन फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट की ट्रस्टी श्रीमती अनुराधा दुबे ने सभी का हृदय से धन्यवाद दिया। यह आयोजन न केवल बाब और बहाउल्लाह के संदेश को याद करने का अवसर था, बल्कि सामाजिक एकता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति समर्पण को भी दर्शाता था।






