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December 7, 2025 3:20 pm

जयपुर में आवारा कुत्तों का आतंक: डॉग बाइट केसों में 36% उछाल, हर माह 680+ लोग शिकार

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गुलाबी नगर में इंसान और जानवर का रिश्ता अब डर की सरहद पर खड़ा है। राजधानी जयपुर में कुत्तों के काटने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि हर महीने औसतन 680 से अधिक लोग डॉग बाइट का शिकार हो रहे हैं, जबकि पिछले साल यह संख्या करीब 500 प्रति माह थी। यानि एक साल में मामलों में 36% से ज्यादा इजाफा हुआ है।

 

नगर निगम की ओर से वर्षों से श्वानों की बर्थ कंट्रोल योजना चलाई जा रही है, लेकिन इसका असर अब सीमित क्षेत्रों तक ही सिमट गया है। शहर के बीचोंबीच तो कुछ नियंत्रण हुआ है, मगर आउटर कॉलोनियों, कस्बों और गांवों में कुत्तों की तादाद बेतहाशा बढ़ी है। यही वजह है कि इन इलाकों में डॉग बाइट की घटनाएं भी रफ्तार पकड़ रही हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यही रफ्तार रही, तो आने वाले सालों में ये आंकड़े दोगुने तक पहुंच सकते हैं।

एसएमएस हॉस्पिटल की रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी से सितंबर के बीच 6,151 डॉग बाइट केस रिपोर्ट हुए हैं। इनमें से 5 लोगों की मौत रेबीज से हो चुकी है।

साल के शुरुआती महीनों में मामलों की संख्या 600 से 700 के बीच थी, जबकि जुलाई में ये बढ़कर 792 केस तक पहुंच गई। सितंबर में मामलों में कुछ कमी आई, लेकिन खतरा बरकरार है।

माह केस मौत

जनवरी 755 1

फरवरी 623 0

मार्च 707 2

अप्रैल 624 0

मई 728 1

जून 736 1

जुलाई 792 0

अगस्त 668 0

सितंबर 518 0

जयपुर एसएमएस मेडिकल कॉलेज के पूर्व अतिरिक्त प्रिंसिपल और रेबीज विशेषज्ञ डॉ. गोवर्धन मीणा का कहना है, “पहले मरीज सीधे बड़े अस्पतालों में पहुंचते थे, जिससे दबाव बढ़ता था। अब सरकार ने PHC और CHC स्तर पर वैक्सीनेशन की सुविधा शुरू की है, जिससे मरीजों को राहत मिली है।”

वे बताते हैं कि अब गंभीर केसों की संख्या कुल मामलों का 1% से भी कम है, जबकि मौत का अनुपात 0.05% से नीचे आ गया है।

डॉ. मीणा ने बताया कि यदि किसी को कुत्ता काट ले, तो सबसे पहले साबुन और साफ पानी से 15 मिनट तक घाव धोना चाहिए। ऐसा करने से बीमारी के फैलने का खतरा 50% तक कम हो जाता है। इसके बाद नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर वैक्सीन लगवाना जरूरी है।

वे कहते हैं, “अक्सर लोग घबराहट में घरेलू नुस्खे अपनाते हैं, जो खतरनाक हो सकता है। तुरंत वैक्सीनेशन ही एकमात्र सुरक्षित उपाय है।”

रेबीज का असर काटने की जगह पर निर्भर करता है। अगर डॉग ने सिर या चेहरे पर काटा है तो असर 2–3 दिन में दिख सकता है। हाथ पर काटने की स्थिति में यह असर 1 से 1.5 महीने में और पैर पर काटने पर 2 से 2.5 महीने में नजर आता है।

यानी देरी करना मौत को दावत देने जैसा है।

ग्रामीण इलाकों में अब भी यह भ्रांति है कि डॉग बाइट के बाद पेट में 14 इंजेक्शन लगवाने पड़ते हैं।

डॉ. मीणा बताते हैं, “अब वैक्सीन तकनीक बदल चुकी है। अब इंजेक्शन हाथ की भुजा पर 3 से 5 डोज़ में लगते हैं, और उतने ही प्रभावी हैं जितने पहले वाले।”

नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि शहर में प्रतिदिन करीब 200 से ज्यादा कुत्तों का बंध्याकरण (sterilization) किया जा रहा है। हालांकि, संसाधनों की कमी के कारण सभी क्षेत्रों को कवर नहीं किया जा पा रहा।

विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर बर्थ कंट्रोल अभियान का दायरा नहीं बढ़ाया गया, तो आने वाले समय में जयपुर में डॉग बाइट पब्लिक हेल्थ का बड़ा संकट बन सकता है।

DIYA Reporter
Author: DIYA Reporter

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