हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) और टर्म लाइफ इंश्योरेंस (Term Life Insurance) पर जीएसटी को लेकर बीते कई दिनों से चर्चाएं जोरों पर थीं, लेकिन बीते शनिवार को GoM की बैठक में एक बड़ा फैसला लिया गया, जो बेहद ही राहत भरा है. राज्य मंत्रिस्तरीय पैनल के अधिकांश सदस्यों ने आम आदमी को लाभ पहुंचाने के लिए जीएसटी में कटौती का समर्थन किया है. राज्य मंत्रिस्तरीय पैनल के अधिकांश सदस्यों ने इनके प्रीमियम पर लगने वाले जीएसटी में कटौती का समर्थन किया है. ऐसे में उम्मीद जागी है कि अब ये खत्म किया जा सकता है. हालांकि, इस पर अंतिम फैसला GST Counsil की अगली बैठक में ही होगा. लेकिन यहां बता दें कि जीएसटी में ये छूट सभी को नहीं मिलेगी, आइए जानते हैं एक-एक डिटेल.
5 लाख रुपये तक की पॉलिसी पर छूट
टर्म लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी और सीनियर सिटीजंस के हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम को जीएसटी से छुटकारा मिल सकता है. बीते शनिवार को ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (GoM) की बैठक में इस पर ज्यादातर मेंबर्स ने अपनी सहमति जताई है. पीटीआई की रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से भी कहा गया है कि ‘हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम जीएसटी पर निर्णय लेने वाले जीओएम (Group of Ministers) ने 5 लाख रुपये तक की हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी पर वरिष्ठ नागरिकों के अलावा अन्य व्यक्तियों द्वारा भुगतान किए जाने प्रीमियम पर जीएसटी से छूट देने का निर्णय लिया.’
जीएसटी काउंसिल की बैठक में अंतिम मुहर
गौरतलब है कि अभी टर्म लाइफ इंश्योरेंस और फैमिली फ्लोटर पॉलिसी के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम पर 18 फीसदी जीएसटी लगाया जाता है. लेकिन शनिवार की बैठक के बाग एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया कि लाइफ इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस पर जीएसटी रेट पर चर्चा को लेकर ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की बैठक हुई.
इस दौरान वरिष्ठ नागरिकों के अलावा अन्य व्यक्तियों के लिए 5 लाख रुपये तक के कवरेज वाले हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर जीएसटी छूट देने का फैसला हुआ है. हालांकि, इस पर आखिरी मुहर आने वाले दिनों में होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में लगेगी.
13-सदस्यीय GoM की बैठक में सहमति
5 लाख रुपये से अधिक के स्वास्थ्य बीमा कवर पर 18 फीसदी जीएसटी लगता रहेगा. ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की यह पहली बैठक थी और इसे हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम पर लगने वाले जीएसटी रेट में सुधार पर सुझाव देने के लिए पिछले महीने गठित किया गया था. राज्य मंत्रिस्तरीय इस जीओएम में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश, गोवा, गुजरात, मेघालय, पंजाब, तमिलनाडु और तेलंगाना सरकार के प्रतिनिधि शामिल हुए थे.
नितिन गडकरी ने भी की थी मांग
गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर लगने वाले 18% जीएसटी को कम करने की मांग की थी. बीते 28 जुलाई 2024 को Nitin Gadkari ने एक पत्र लिखकर वित्त मंत्री से लाइफ और मेडिकल इंश्योरेंस पर लागू जीएसटी (GST On Insurance) हटाने की मांग की थी. उन्होंने इस टैक्स को ‘जिंदगी की अनिश्चितताओं पर टैक्स लगाने जैसा’ करार दिया है.
फाइनेंशियल सर्विस के तौर पर लगता है GST
1 जुलाई 2017 में पूरे देश में लागू किए गए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) ने भारत के टैक्स सिस्टम में बड़ा बदलाव किया है और तब से पूरे देश में अलग-अलग कर की जगह एक ही कर लगाया जाता है. GST के एक अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax) होता है, जो कि घरेलू उत्पाद, कपड़े, उपभोक्ता वस्तुओं, इलेक्ट्रॉनिक्स, परिवहन, रियल एस्टेट के साथ ही सेवाओं पर लगाया जाता है. बीमा (Insurance) को भी एक फाइनेंशियल सर्विस मानते हुए इस कैटेगरी में शामिल किया जाता है. टर्म इंश्योरेंस (Term Insurance) और मेडिकल इंश्योरेंस दोनों पर एक समान 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगता है.