‘यह मेरी जिंदगी का अभी तक का सबसे बड़ा अफसोस’, सूर्यकुमार यादव ने बताया
Suryakumar Yadav react on MS Dhoni: सूर्यकुमार यादव के करियर में अबतक का सबसा बड़ा अफसोस क्या रहा है. इसको लेकर सूर्या ने अपनी राय दी है.
- भारत के टी-20 कप्तान सूर्यकुमार यादव ने अपने करियर के सबसे बड़े अफसोस के बारे में खुलकर बात की है
- उन्होंने धोनी को एक आदर्श बताया जिनसे वे हमेशा सीखने का प्रयास करते थे चाहे वे विरोधी टीम में हों
- सूर्यकुमार ने बताया कि धोनी का शांत और संयमित स्वभाव उनके लिए प्रेरणादायक रहा है
- भारत के टी-20- कप्तान सूर्यकुमार यादव ने अपने करियर को लेकर बात की है और बताया है कि उनके करियर में अबतक का सबसा बड़ा अफसोस क्या रहा है. सूर्यकुमार, जिन्होंने हाल ही में दुबई में भारत को एशिया कप 2025 में जीत दिलाई, उन्होंने इंटरनेशनल करियर में जिन तीन कप्तानों के साथ काम किया, उनके प्रभाव के बारे में खुलकर बात की. JITO कनेक्ट 2025 कार्यक्रम में बोलते हुए, उन्होंने स्वीकार किया कि धोनी एक ऐसी शख्सियत हैं जिनसे वह हमेशा सीखने की कोशिश करते थे, भले ही वह मैदान के दूसरी तरफ से ही क्यों न हों.
“धोनी के साथ हमेशा मौका चाहता था”
मुंबई के इस बल्लेबाज, जिन्होंने 2021 में विराट कोहली की कप्तानी में इंग्लैंड के खिलाफ भारत के लिए पदार्पण किया था, उन्होंने कहा कि जब भी वे आईपीएल में आमने-सामने होते थे, तो वह अक्सर धोनी का संयम देखते थे.”
सूर्या ने कहा, “सबसे पहले, मैं हमेशा से चाहता था कि जब वह भारत के कप्तान थे, तब मुझे मौका मिले. लेकिन मुझे कभी मौका नहीं मिला. जब भी मैं उनके खिलाफ खेला, मैंने उन्हें स्टंप के पीछे देखा. वह बहुत शांत स्वभाव के रहे हैं. एक बात जो मैंने उनसे सीखी है, वह यह है कि हर दबाव की स्थिति में शांत रहना चाहिए. वह खेल के चारों ओर देखते हैं, देखते हैं कि क्या हो रहा है और फिर फैसला लेते हैं.”
कोहली-रोहित से बहुत कुछ सीखा
सूर्यकुमार ने अपने शुरुआती इंटरनेशनल करियर को आकार देने में कोहली की तीव्रता को एक बड़ा प्रभाव बताया. स्काई ने स्वीकार किया कि कोहली एक अलग व्यक्तित्व के हैं, उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा, “मुझे लगता है कि मैंने कप्तान के रूप में विराट भाई के नेतृत्व में अपनी शुरुआत की. विराट भाई बहुत सख्त हैं. वह आपकी सीमाओं को तोड़ते हैं, और वह सर्वश्रेष्ठ चाहते हैं. मेरा मतलब है, सभी कप्तान सभी खिलाड़ियों से सर्वश्रेष्ठ की उम्मीद करते हैं, लेकिन वह मैदान पर और मैदान के बाहर भी ऊर्जा से भरपूर रहते थे. वह थोड़े अलग थे. “