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August 8, 2025 7:12 pm

सुप्रीम कोर्ट की दो टूक……’पेड़ों को काटने के लिए नहीं, बचाने के लिए हैं कानून…….

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सुप्रीम कोर्ट ने पेड़ों की कटाई के मामले की सुनवाई करते हुए साफ कहा कि पेड़ों पर बने कानून पेड़ों को बचाने के लिए हैं, काटने के लिए नहीं. कोर्ट ने कहा कि वह दिल्ली में पेड़ों की गणना और उन्हें बचाने के लिए कदम उठाने के बारे में आदेश पारित करेगा. न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ पेड़ों की अनधिकृत कटाई और दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम तथा अन्य राज्य कानूनों के प्रावधानों के सख्त क्रियान्वयन से संबंधित मुद्दों पर सुनवाई कर रही थी. पर्यावरणविद् एम सी मेहता की 1985 में दायर जनहित याचिका पर कोर्ट सुनवाई कर रही थी.

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में आगे कहा कि 1994 अधिनियम के तहत अधिकारी 50 या अधिक पेड़ों की कटाई की अनुमति देते हैं, तो अनुमति मिलने के तुरंत बाद वो अधिकारी सभी दस्तावेजों को सीईसी को भेज देंगे. दस्तावेज प्राप्त होने पर सीईसी के लिए अतिरिक्त दस्तावेज तलब करने के लिए अधिकारी को बुलाने का विकल्प खुला रहेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीईसी आवेदन और अन्य सभी पहलुओं पर विचार करेगा तथा तय करेगा कि क्या अनुमति दी जानी चाहिए या कुछ नियमों और शर्तों के साथ दी जाएगी.

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पेड़ लगाने की शर्त लगाई जानी चाहिए

कोर्ट ने कहा कि हम यह स्पष्ट करते हैं कि 50 या अधिक पेड़ों की कटाई की अनुमति देते समय जब तक कि बात असाधारण ना हो, पेड़ लगाने की शर्त लगाई जानी चाहिए, अन्यथा कटाई की अनुमति आगे नहीं बढ़ाई जानी चाहिए.

कोर्ट ने कहा कि सीईसी को आवेदन को अस्वीकार करने या आवेदन को आंशिक रूप से अनुमति देने या अधिकारी द्वारा अनुमति के कारणों को संशोधित करने का अधिकार होगा.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुमति देते समय अधिकारी एक खंड शामिल करेगा कि उचित आदेश पहले सीईसी द्वारा पारित किया जाना चाहिए और फिर अधिकारी संबंधित आवेदक को आदेश की प्रति प्रदान करेगा.

पेड़ों की कटाई पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने हरित क्षेत्र को बढ़ाने के लिए कदम उठाने में कमी के लिए दिल्ली सरकार की आलोचना की थी.

एक वादी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने विशेषज्ञों की समिति का नेतृत्व करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति नजमी वजीरी के नाम का सुझाव दिया.

केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रही अतिरिक्त महाधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी ने कहा, “कृपया इस मामले में माननीय सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को नियुक्त न करें क्योंकि यह एक बार का मुद्दा नहीं है.” पीठ अपेक्षित अनुमति के साथ पेड़ों की कटाई की संख्या की सीमा तय करने पर भी विचार करेगी.

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