Explore

Search
Close this search box.

Search

November 7, 2024 4:18 pm

लेटेस्ट न्यूज़

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला……….’सरकारी नौकरियों के लिए भर्ती नियमों को बीच में नहीं बदल सकते’

WhatsApp
Facebook
Twitter
Email

सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने सरकारी नौकरियों की चयन प्रक्रिया के नियमों को लेकर गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकारी नौकरियों में नियुक्ति के लिए भर्ती नियमों को बीच में नहीं बदला जा सकता है। ऐसा तब तक तो बिल्कुल नहीं कर सकते हैं, जब तक ऐसा निर्धारित न हो।

दरअसल, कोर्ट इस सवाल पर फैसला सुना रही थी कि क्या राज्य और उसके संस्थान प्रक्रिया शुरू होने के बाद नौकरियों के लिए चयन प्रक्रिया के नियमों में बदलाव कर सकते हैं। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने से पहले एक बार तय किए गए नियमों को बीच में नहीं बदला जा सकता। पीठ में न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा, न्यायमूर्ति पंकज मिथल और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे।

BB18: कहा- ट्रॉफी छोड़ो इसने किसी को थप्पड़ भी मारा तो…….’इस कंटेस्टेंट से है रजत की पहले से दोस्ती…….

पीठ ने कहा कि चयन नियम मनमाने नहीं होने चाहिए। यह संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुसार होने चाहिए। शीर्ष कोर्ट ने सर्वसम्मति से कहा कि पारदर्शिता और गैर-भेदभाव सार्वजनिक भर्ती प्रक्रिया की पहचान होनी चाहिए। बीच में नियमों में बदलाव करके उम्मीदवारों को हैरान-परेशान नहीं किया जाना चाहिए।

पीठ ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया आवेदन आमंत्रित करने वाले विज्ञापन जारी करने से शुरू होती है और रिक्तियों को भरने के साथ समाप्त होती है। ऐसे में भर्ती प्रक्रिया में अधिसूचित चयन सूची में रखे जाने के लिए पात्रता मानदंड को तब तक बीच में नहीं बदला जा सकता, जब तक कि मौजूदा नियम इसकी अनुमति न देते हों या फिर विज्ञापन मौजूदा नियमों के विपरीत न हो। यदि मौजूदा नियमों या विज्ञापन के तहत मानदंडों में बदलाव की अनुमति है, तो उसे संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) की हर जरूरत को पूरा करना होगा और मनमानी न करने की कसौटी पर खरा उतरना होगा।

शीर्ष अदालत ने मार्च 2013 में तीन न्यायाधीशों की पीठ की ओर से संदर्भित सरकारी नौकरियों के लिए नियुक्ति मानदंडों से संबंधित एक प्रश्न का उत्तर दिया। तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 1965 के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा था कि यह एक अच्छा सिद्धांत है कि राज्य या उसके निकायों को पात्रता मानदंडों के निर्धारण के संबंध में ‘खेल के नियमों’ के साथ छेड़छाड़ करने की अनुमति न दी जाए। पीठ ने कहा था, ‘क्या इस तरह के सिद्धांत को चयन की प्रक्रिया निर्धारित करने वाले ‘खेल के नियमों’ के संदर्भ में लागू किया जाना चाहिए, विशेषकर तब जब परिवर्तन की मांग चयन के लिए अधिक कठोर जांच लागू करने के लिए की गई हो, इसके लिए इस न्यायालय की एक बड़ी पीठ की ओर आधिकारिक घोषणा की आवश्यकता है।’

ताजा खबरों के लिए एक क्लिक पर ज्वाइन करे व्हाट्सएप ग्रुप

Leave a Comment

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर