चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन के दौरान एक ऐसी तस्वीर दिखाई दी है, जिससे पाकिस्तान की करारी बेइज्जती हुई है. दरअसल, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच गजब की ट्यूनिंग दिखाई दी है, ये नजारा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ चुपचाप खड़े-खड़े देखते रहे. जिस समय पीएम मोदी और पुतिन बात करते हुए आगे बढ़ रहे थे उस समय उन्होंने शहबाज की तरफ देखा तक नहीं. दोनों नेताओंने ने उन्हें पूरी तरह से इग्नोर किया.
पीएम मोदी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से एससीओ बैठक के दौरान पूरी तरह से दूरी बनाई हुई है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार पीएम मोदी से शहबाज शरीफ का आमना-सामना हुआ है, लेकिन पीएम ने पूरी तरह से इग्नोर किया है. वहीं, पुतिन, पीएम मोदी और शी जिनपिंग तीनों नेताओं मे गर्मजोशी से मुलाकात की.
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पुतिन और मोदी की द्विपक्षीय बैठक से पहले हुई मुलाकात
राष्ट्रपति पुतिन और पीएम मोदी ने एक-दूसरे को गले लगाकर गर्मजोशी से अभिवादन किया, जिसके बाद वे एससीओ सदस्यों की पारिवारिक फोटो के लिए मंच की ओर बढ़े. वहीं, पीएम मोदी, पुतिन और जिनपिंग के बीच करीब दो मिनट तक बातचीत हुई है. इस दौरान तीनों नेता मुस्कुराते हुए नजर आए. प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच यह बातचीत उनकी द्विपक्षीय बैठक से पहले हुई, जो पूर्ण अधिवेशन के बाद होने वाली है.
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने रविवार को बताया था, ‘प्रधानमंत्री शिखर सम्मेलन के पूर्ण अधिवेशन को संबोधित करेंगे, जहां वे एससीओ के अंतर्गत क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित करेंगे. इस बैठक के बाद, उनका रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक करने का कार्यक्रम है, जिसके बाद वे भारत के लिए रवाना होंगे.’
पीएम मोदी और जिनपिंग का किस पर रहा जोर?
पीएम मोदी ने एससीओ नेताओं के शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय वार्ता की. दोनों नेताओं ने अक्टूबर 2024 में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के समय कजान में अपनी पिछली बैठक के बाद से द्विपक्षीय संबंधों में सकारात्मक गति और स्थिर प्रगति का स्वागत किया. उन्होंने पुष्टि की कि दोनों देश विकास भागीदार हैं न कि प्रतिद्वंद्वी और उनके मतभेद विवादों में नहीं बदलने चाहिए.
पीएम मोदी और जिनपिंग ने भारत और चीन के बीच आपसी सम्मान, आपसी हित और आपसी संवेदनशीलता के आधार पर एक स्थिर संबंध और सहयोग का आह्वान किया, जो दोनों देशों के विकास और प्रगति के साथ-साथ 21वीं सदी के रुझानों के अनुरूप एक बहुध्रुवीय विश्व और एक बहुध्रुवीय एशिया के लिए जरूरी है.
