जिम्मी मगिलिगन मेमोरियल सस्टेनेबल सप्ताह के तीसरे दिन आज पिव्डाय गाँव में मानव चेतना विकास केंद्र पर ” सोलर थर्मल टेक्नोलोजीस से ग्रामीण भारत का सस्टेनेबल डेवेल्प्मेंट “चर्चा हुई। मानव चेतना विकास केंद्र के संस्थापक श्री अजय दायमा ने सभी का स्वागत किया । डॉ अभय वांनखेड़े ने मानव चेतना विकास केंद्र का परिचय दिया कि उनका उदेश्य जीवन विद्या देना और प्रकृति संरक्ष्ण करना है
मुख्य वक्ता ,समाजिक कार्यकर्ता जनक पलटा मगिलिगन ने अपने पिछले 39 साल के ग्रामीण व आदिवासी महिला सशक्तिकरण प्रशिक्ष्ण के अनुभव के आधार पर कहा ” प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन कर हर दिन बढ़ते हुए भारत के समाजिक, आर्थिंक और जलवायु संकट के और बढने से पहले, खासकर गाँव के लिए सोलर थर्मल कुकिंग सिस्टम्स के प्रति लोगों को जागरूक करना ,इनका निर्माण करना और बहुत बड़ी संख्या में लोगों तक पहुचाना समय की सबसे महत्वपूर्ण जरूरत है । हमारे पास एक ही जीवन है ,ईश्वर ने इंसान को विवेक और आत्मा दी है और यह भी स्पष्ट है कि सभी से सद्भावना से रहने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का सदुपयोग करते हुए जीना ही विकल्प है। विश्व के कल्याण के लिय पर्यावरण संरक्ष्ण के लिए उपभोकतावाद वाली संस्कृति छोड़ विवेक और संयम से जीना पड़ेगा ।
इसी परिस्थिति से निपटने के लिए मैंने अपने पति जिम्मी मगिलिगन के साथ बरली संस्थान में सबसे पहले सोलर कुकिंग करने , सोलर कुकर का रखरखाव ,साफसफाई की ट्रेनिंग दी गई ! जैसे जैसे उनकी रूचि बढ़ने लगी तबसे लेकर आज तक 1000 सोलर कुकर उन्हें उनके अपने 10 प्रतिशत सहयोग राशी और परोपकारी लोगो के 90 प्रतिशत सहयोग से उपलब्ध करवाये गए ! इनको देख कर स्वयं-सहायता समूह भी प्रशिक्षित हुए सोलर कूकर से चाय नमकीन मिठाई बनाकर आजीविका शुरू हो गयी ! सोलर कुकर के इस्तेमाल से उनकी ज़िंदगी ही बदल गई है। दाल-सब्जी- चावल रखने से अपने आप पक जाते हैं। चूल्हे में फूंक मारने का भी काम खत्म हो गया और अब धुंए रहित रसोई तथा बिना खर्चे से उनके जीवन में कई सारी छोटी-छोटी लेकिन महत्वपूर्ण खुशियां आ गई है ,उनकी आर्थिक स्थिति , मनोबल बढ़ गया सबसे बड़ी फायदे की बात जो उन्होंने बताई की दूर लकड़ी लेने कई बार एक दो दिन रात लगते थे जिसमे बलात्कार व यौन शोषण का खतरा नहीं ,इज्जत बच गयी सोलर कुकर्स से हम सुरक्षित है ! बहुत से गर्भवती महिलाये भारी लकड़ी चलने से गर्भपात से बची ! धुए से बची , पेड़ नहीं कटेंगे ! गाँव में सोलर चाय वाली महिला तीन घंटे में 1400 रूपये कमा लेती है ! पिछले 13 साल में जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर लाखो यूवा सोलर कुकर व सोलर कुकिंग सीख के बारे में निशुल्क सीख चुके है ! अपने अनुभव से प्रमाणित किया कि वर्तमान में समाजिक, आर्थिंक और जलवायु चुनौतियों का महत्वपूर्ण समाधान है भारत को 2030 तक सस्टेनेबल डेवेल्प्मेंट गोल्स प्राप्ति के लिए सोलर थर्मल टेक्नोलोजीस को प्रार्थमिकता से स्केल-अप करना होगा ! भारत को सोलर पॉवर के साथ अब सोलर कुकिंग को प्रार्थमिकता देकर विश्व में सबसे आगे लाना होगा
सूरत से आये श्री घनश्याम लुखी भारत के पहले सोलर फ़ूड प्रोसेसर जो पवित्र नदी तापी के नाम से बनाई जिस की थी बड़ी संख्या में ग्रामीणो का आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देना था। उनकी छोटी सी कंपनी का विस्तार उनके उदेश्य 2030 तक 1000 लोगों का रोजगार और 1 मिलियन मीट्रिक टन फल और सब्जी से प्रसंस्करण के मुख्य उद्देश्य के साथ शुरू हुआ है। यह भारत का पहला फल प्रसंस्करण उद्योग है, जो 2007 से 40 सोलर कंसन्ट्रेटर डिशेस व्यंजन सौर ऊर्जा का व्यावसायिक उपयोग कर रहा है। घनश्याम लुखी ने यह बताया कि विचार को एक्शन में तब्दील करना चाहिए और अपने सिद्धांतों पर अडिग रहकर , हमेशा संतोष के साथ सफलता का आनंद ले सकते हैं उन्होंने अपनी किस तरह उनकी कंपनी एक छोटे से गृह उद्योग से लेकर आज शेयर बाजार में पब्लिक लिस्टेड कंपनी बन गई है। आज दुनिया के 20 देशों में निर्यात कर रहे । कर्यक्रम के अंत में बेंगलोर से आई बायोटेक्नोलॉजीस्ट जिम्मी एंड जनक मगिलिगन फाउनडेशन फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट की ट्रस्टी आभा पलटा तिवारी ने मानव चेतना विकास केंद्र को इस आयोजन के लिए और श्री घनश्याम लुखी और जनक पलटा मगिलिगन को उनके व्यक्तव्य के लिए आभार प्रकट किया