आरटीयू से मान्यता प्राप्त पहला शिक्षण संस्थान जिसे यूजीसी ने ऑटोनॉमस का दर्जा दिया
जयपुर। वर्तमान में इंडस्ट्री रेडी स्टूडेंट मार्केट की मांग है, अब इंडस्ट्री ट्रेनिंग में खर्च करने से गुरेज कर रही है। ये कहना है राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी (आरटीयू) के वाइस चांसलर प्रो. एस के सिंह का। वे शनिवार को स्वामी केशवानन्द इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नॉलजी, मैनेजमैंट एवं ग्रामोथान (एसकेआईटी) में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। कांफ्रेंस का आयोजन एसकेआईटी के प्रदेश का पहला ऑटोनॉमस इंजीनियरिंग शिक्षण संस्थान बनने के उपलक्ष में किया गया था। इसके साथ आरटीयू से संबद्ध एसकेआईटी प्रदेष का ऐसा पहला काॅलेज बन गया है, जिसे यह ऑटोनाॅमस एफिलिएसन मिला है।
यूजीसी की ओर से एसकेआईटी को पिछले माह 24 अप्रेल को ऑटोनाॅमस की मान्यता दी गई थी, जिस पर 2 मई को आरटीयू ने अधिकारिक रूप से मोहर लगा दी। प्रेस कांफ्रेंस के दौरान वाइस चांसलर प्रो. एस के सिंह ने कहा कि कॉलेज की नेक ग्रेड, एनबीए एक्रेडिटेशन, लगातार 7 सालो से आरटीयू क्यूआइवी मे पहले स्थान पर रहने के साथ- साथ ही बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर समेत इंजीनियरिंग के लिए आवश्यक तमाम सुविधाओ से लबरेज होने के कारण कॉलेज को यूजीसी एवं आरटीयू से यह मान्यता मिली है। उन्होंने बताया कि इस एफिलिएषन के बाद कोर्स डिजायन संस्थान के द्वारा किया जाएगा और डिग्री आरटीयू के द्वारा ही दी जाएगी।
ऑटोनॉमस मान्यता की जानकारी सांझा करने के लिए अयोजित प्रेस वार्ता को आरटीयू के वाइस चांसलर प्रो. एस के सिंह, कॉलेज के चेयरमैन सूरजाराम मील, निदेशक जयपाल मील, प्रिंसिपल रमेश कुमार पचार ने संबोधित किया।
10 वर्षो के लिए मिली मान्यता:
यूजीसी एवं आरटीयू की ओर से एसकेआईटी को ऑटोनॉमस की यह मान्यता 10 वर्षों के लिए दी गई है, जो की 2024-25 से 2033-34 तक रहेगी। इस दौरान संस्थान अपने कोर्सेज के लिए स्वयं सिलेबस डिजाइन करेगा। चेयरमैन सूरजाराम मील ने बताया कि ऑटोनॉमस मान्यता प्राप्त होने के बाद स्टूडेंट्स के लिए ग्लोबल पैरामीटर पर आधारित सिलेबस तैयार किया जा सकेगा, जिससे वे विभिन्न स्तर पर बेहतर परफॉर्म कर सकेंगे एवम सेमेस्टर लॉन्ग इंडस्ट्री इंटर्नशिप पर भी जा सकेंगे। उन्होंने कहा कि इससे स्टूडेंट्स के सभी पाठ्यक्रम एकेडमिक कैलेंडर के अनुसार तय समय पर जारी हो सकेंगे और रिजल्ट भी तय समय पर जारी हो सकेगा। निदेशक जयपाल मील ने बताया कि यह पूरे प्रदेश के लिए गौरव की बात है, कि राजधानी के किसी कॉलेज को यह मान्यता मिली है।