जयपुर के शांत माने जाने वाले विद्याधर नगर इलाके में 20 अक्टूबर की रात कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरे शहर को हिला दिया। एक पार्क के बाहर एक शव मिला हाथ में सिरिंज, पास में नशे की शीशी। पहली नजर में मामला नशे की ओवरडोज़ जैसा लग रहा था, लेकिन जयपुर पुलिस की पैनी नजर और सीसीटीवी की सूक्ष्म जांच ने इस मौत के पीछे की भयावह सच्चाई को उजागर कर दिया।
मृतक की पहचान भवानी सिंह के रूप में हुई, जो रेलवे स्टेशन के पास मजदूरी करता था। शुरुआत में यह सोचा गया कि शायद नशे की लत ने उसकी जान ले ली हो। लेकिन जब पुलिस ने घटनास्थल का मुआयना किया, तो कई बातें मेल नहीं खा रहीं थीं। शव की स्थिति, सिरिंज का स्थान, और आसपास की परिस्थितियाँ सब किसी साजिश की ओर इशारा कर रही थीं।
डीसीपी नॉर्थ करण शर्मा की टीम ने इलाके के सीसीटीवी कैमरों की जांच शुरू की। 19 अक्टूबर की रात करीब 1:45 बजे का फुटेज देखकर पुलिस भी हैरान रह गई। वीडियो में दो लोग स्कूटी पर दिखाई दिए बीच में एक व्यक्ति की निष्प्राण देह थी। दोनों स्कूटी सवार अम्बाबाड़ी पार्क के पास रुके और शव को सड़क किनारे पटककर अंधेरे में गायब हो गए। यह वीडियो पूरे मामले की दिशा बदलने वाला सबूत साबित हुआ।
पुलिस ने रूटचार्ट तैयार कर स्कूटी का पीछा किया। जल्द ही दोनों संदिग्धों की पहचान हुई नवीन कुमार डंगोरिया और अजय स्वामी। दोनों मृतक भवानी सिंह के परिचित थे और साथ में मजदूरी करते थे। जयपुर रेलवे स्टेशन के आसपास ये लोग खुले मजदूर के रूप में काम करते थे। लेकिन काम की हिस्सेदारी और “खुली मजदूरी” को लेकर भवानी और नवीन के बीच लंबे समय से तनाव चल रहा था।
जांच में खुलासा हुआ कि 19 अक्टूबर की रात भवानी सिंह बडौदिया बस्ती में मेट्रो रेल प्रोजेक्ट की खाली पड़ी जगह पर अकेला बैठा था। उसी दौरान नवीन वहां पहुंचा। उसने भवानी से कहा कि उसके पास एक “नशे का इंजेक्शन” है जो मजा देगा, और उसे वह इंजेक्शन लगा दिया। पर यह कोई साधारण इंजेक्शन नहीं था इसमें नशे के साथ जानलेवा मिश्रण था। इंजेक्शन लगते ही भवानी सिंह वहीं गिर पड़ा, और कुछ ही देर में उसकी मौत हो गई।
मौत के बाद नवीन ने अपने साथी अजय स्वामी को बुलाया। दोनों ने मिलकर भवानी की लाश को स्कूटी पर लादा और विद्याधर नगर के एक पार्क के पास फेंक दिया। ताकि लगे कि वह नशे की ओवरडोज़ से मरा है, दोनों ने शव के पास सिरिंज और नशे की शीशियाँ रख दीं। योजना इतनी सोच-समझकर बनाई गई थी कि किसी को शक न हो।
लेकिन जयपुर पुलिस ने घटनास्थल की छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज नहीं किया। डीसीपी करण शर्मा और उनकी टीम ने तकनीकी साक्ष्यों, सीसीटीवी, और लोकल इंटेलिजेंस के आधार पर इस रहस्य से पर्दा उठा दिया। दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया और पूछताछ में उन्होंने अपराध कबूल कर लिया।
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