दिल्ली हाई कोर्ट ने न्यूनतम उपस्थिति मानदंड से कम होने के बावजूद एलएलबी परीक्षा में बैठने की अनुमति देने की मांग को ठुकरा दिया और इसको लेकर दाखिल एक छात्रा की याचिका को खारिज कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि व्यवसायिक डिग्री पाठ्यक्रमों में छात्रों को पढ़ाई पूरी गंभीरता और परिश्रम से करनी चाहिए.
छात्रा ने एकल पीठ ने आदेश को चुनौती दी थी. एकल पीठ ने दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के विधि संकाय में तीसरे सेमेस्टर के बैचलर ऑफ लॉज (एलएलबी) की परीक्षा में बैठने की अनुमति मांगने वाली उसकी याचिका को खारिज कर दिया था. दो सदस्यीय पीठ ने अपील खारिज करते हुए कहा कि हम भी एकल पीठ के दिए गए तर्क से सहमत है. सभी संभावनाओं को नियमों में ही निर्धारित किया जाना चाहिए. सामान्यतः उपस्थिति में कमी को केवल पूछ कर माफ नहीं किया जाना चाहिए, जब तक कि कोई अत्यावश्यक या अपरिहार्य परिस्थितियां जैसे कि चिकित्सा आपातस्थितियां उत्पन्न न हो जाए.
गर्भवती महिलाओं के लिए कोकून हॉस्पिटल, जयपुर में बेबी शॉवर कार्यक्रम का आयोजन किया गया
अदालत ने कहा कि इस मामले में ऐसा कोई अपवाद नहीं बताया गया है. याचिकाकर्ता छात्रा ने कहा था कि 22 दिसंबर 2024 को अधिकारियों ने परीक्षा देने से वंचित किए जाने वाले छात्रों की एक अंतरिम सूची जारी की थी, जिसमें उन सभी छात्रों को अधिसूचित किया गया था जो न्यूनतम उपस्थिति मानदंड को पूरा नहीं किया था. उस सूची में उसका नाम न होने के बावजूद 4 जनवरी को प्रकाशित अंतिम सूची में शामिल किया गया था. उसे परीक्षा का एडमिट कार्ड जारी नही किया गया था. व्यवस्थित होकर, उसने सूची से अपना नाम हटाने की मांग करते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उसे एकल पीठ ने खारिज कर दिया था.
