दिल्ली-एनसीआर में पलूशन की वजह से एक्यूआई लेवल काफी बढ़ा हुआ है। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी चल रही है। बुधवार को सीजेआई बीआर गवई ने मामले की सुनवाई के दौरान गाड़ियों की उम्र को लेकर बड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि कारों से होने वाला प्रदूषण सिर्फ उनकी उम्र पर निर्भर नहीं होता है। गाड़ी कितनी चली है, उसे भी ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ गाड़ियां एक ही साल में 30 हजार किलोमीटर तक चल जाती हैं, तो कुछ गाड़ियां जैसे कि जस्टिस की ऑफिशियिल गाड़ियां पांच साल में भी 15 हजार किलोमीटर से ज्यादा नहीं चलतीं।
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के मामले में सीजेआई बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच सुनवाई कर रही है। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट के उस पूर्व आदेश का जिक्र किया, जिसमें अदालत ने 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से अधिक पेट्रोल गाड़ियों को चलाने पर रोक लगाई गई है। उन्होंने कहा कि बीएस-4 गाड़ियों को जीआरपी उपायों से छूट दी गई है और बीएस-3 गाड़ियों के लिए भी इसी प्रकार के उपाय करने का अनुरोध किया गया।
एक आर्टिकल का हवाला देते हुए सीजेआई ने कहा कि किसी गाड़ी का कार्बन उत्सर्जन में योगदान इस बात पर निर्भर करता है कि उसने सालों में कितनी दूरी तय की, ना कि उसकी उम्र पर। उन्होंने कहा, ”कल मैंने एक आर्टिकल पढ़ा, वाहनों की उम्र का प्रदूषण उत्सर्जन से कोई लेना-देना नहीं है। कुछ गाड़ियां एक साल में 30 हजार किलोमीटर चल जाती हैं। जैसे हमारे वाहन पांच साल के दौरान भी 15 हजार किलोमीटर नहीं चलेंगे।
कोर्ट ने अपने आदेश में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को संबंधित हितधारकों से परामर्श के बाद वायु प्रदूषण कम करने के लिए उचित उपाय करने की अनुमति दी। वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने न्यायमित्र के रूप में न्यायालय की सहायता की। सीएक्यूएम की कार्रवाई रिपोर्ट की समीक्षा के लिए अब यह मामला मासिक रूप से सूचीबद्ध किया जाएगा। पीठ ने सीएक्यूएम द्वारा ग्रेप – 3 के तहत प्रतिबंधों को ग्रेप -2 में करने के प्रस्ताव पर कहा कि प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से किसी भी प्रतिबंधात्मक कार्रवाई का स्वागत किया जाएगा लेकिन इस बात पर जोर दिया कि कार्यान्वयन से पहले सभी हितधारकों से परामर्श किया जाना चाहिए।





