बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की सियासी एक्सरसाइज फिर शुरू हो गई है. बीजेपी के नए अध्यक्ष का नाम तय करने के लिए पिछले तीन दिनों से दिल्ली में जबरदस्त सियासी माथापच्ची हो रही है. महाराष्ट्र, उत्तराखंड, हिमाचल और तेलंगाना के नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए सोमवार को नामांकन दाखिल किए जाएंगे और एक जुलाई को बीजेपी नए प्रदेश अध्यक्षों के नाम का ऐलान कर सकती है, लेकिन मामला उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष को लेकर फंसा हुआ है.
बीजेपी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए 19 राज्यों में संगठन चुनाव पार्टी के लिए जरूरी है. ऐसे में 14 राज्यों में बीजेपी अपने प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर चुकी है, चार प्रदेशों में सोमवार को नामांकन भरे जाएंगे और पांच राज्यों में जल्द प्रदेश अध्यक्ष की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी. इस कड़ी में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड समेत देश के नौ राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्ष का नाम तय करने के लिए बैठकों का सिलसिला चल रहा है.
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के लिए नामांकन को लेकर पार्टी ने शुक्रवार को महाराष्ट्र, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में संगठनात्मक चुनाव की निगरानी के लिए तीन वरिष्ठ नेताओं को नियुक्त किए हैं. पश्चिम बंगाल में संगठनात्मक चुनावों की जिम्मेदारी पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, महाराष्ट्र की केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू और उत्तराखंड के लिए केंद्रीय मंत्री हर्ष मल्होत्रा को जिम्मेदारी सौंपी है.
वहीं, अब महाराष्ट्र, उत्तराखंड, हिमाचल और तेलंगाना के नए प्रदेश अध्यक्ष चुनाव के लिए सोमवार को नामांकन भरे जाएंगे. इसके बाद मंगलवार को इन चारों राज्यों में बीजेपी अध्यक्ष के नामों का ऐलान किया जा सकता है. पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार केंद्रीय मंत्री बन चुके हैं और अब उनकी जगह पर नया चेहरा लाने की तैयारी है. प्रदेश अध्यक्ष के लिए कई नामों पर चर्चा है.
महाराष्ट्र में वर्तमान कार्यकारी अध्यक्ष रविंद्र चव्हान को मौका दिए जाने की संभावना है. ऐसे ही हिमाचल प्रदेश के लिए बीजेपी अध्यक्ष के नाम का ऐलान केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह करेंगे. उत्तराखंड के बीजेपी अध्यक्ष की कमान फिलहाल महेंद्र भट्ट के हाथ में है और उनका कार्यकाल पूरा हो गया है. ऐसे में महेंद्र भट्ट को एक और कार्यकाल या फिर किसी नए चेहरों को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है.
कहा- ‘सरदार जी 3’ को रिलीज करना चाहिए……’दिलजीत दोसांझ के सपोर्ट में उतरे जावेद अख्तर……
बीजेपी अध्यक्ष के लिए संगठन चुनाव जरूरी
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल पूरा हो चुका है. 2020 में उन्हें बीजेपी की बागडोर सौंपी गई थी और पिछले साल जून में विस्तार दिया गया था. ऐसे में जेपी नड्डा की जगह पर नए अध्यक्ष का चुनाव करना है, जिसके लिए सियासी कसरत पार्टी ने शुरू कर दी है. पार्टी के संविधान के अनुसार, बीजेपी में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तब तक नहीं हो सकता, जब तक कि 50 फीसदी से अधिक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इकाइयों में संगठनात्मक चुनाव पूरे न हो जाएं.
देश में 37 राज्य-केंद्र शासित प्रदेश हैं, जिनमें से कम से कम 19 राज्यों में संगठन के चुनाव की प्रक्रिया पूरी कर लेनी होती है. बीजेपी ने संगठन इकाइयों में से 14 राज्य संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया पूरी कर ली है. उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे बड़े और अहम राज्यों में भी बीजेपी के संगठनात्मक चुनाव होने बाकी है, जिसमें से हिमाचल, उत्तराखंड, महाराष्ट्र और तेलंगाना में एक जुलाई को प्रदेश अध्यक्ष के नाम का ऐलान हो सकता है. इसके लिए तीन दिनों से बीजेपी नेतृत्व सियासी माथापच्ची करने में जुटा हुआ है.
पीएम मोदी के विदेश दौरे से पहले लगेगी मुहर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बुधवार से पांच देशों की आठ दिवसीय विदेश यात्रा पर रवाना हो रहा है. इसके लिए शुक्रवार से हो रही संघ की अखिल भारतीय प्रांत प्रचारकों की बैठक से पूर्व राज्यों के अध्यक्षों के नाम पर अंतिम सहमति बनाने की है. ऐसे में पार्टी चाहती है कि इस संबंध में भी प्रांत प्रचारकों की बैठक और पीएम मोदी के दौरे से पहले प्रदेश अध्यक्ष के नाम सहमति बना ली जाए. ऐसे नहीं हुआ तो पार्टी के अध्यक्ष का चुनाव बिहार विधानसभा चुनाव तक टल जाएगा, क्योंकि अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं.
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के लिए पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के खिलाफ किसी मजबूत महिला चेहरे की तलाश है, जिसे पार्टी संगठन की कमान सौंपी जानी है. महाराष्ट्र में वर्तमान कार्यकारी अध्यक्ष रविंद्र चव्हान को मौका दिए जाने की संभावना है. कर्नाटक में बीजेपी बीवाई विजयेंद्र की जगह सीटी रवि या सुनील कुमार को पार्टी अध्यक्ष बनाने की फिराक में है. मध्य प्रदेश में इस पद के लिए अलग-अलग चार नामों पर मंथन हुआ है.
यूपी बीजेपी अध्यक्ष पर फंसा सियासी पेंच
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्षों में सबसे ज्यादा मुश्किल यूपी में हो रही है. मौजूदा उत्तर प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी का कार्यकाल समाप्त हो चुका है और उनकी जगह नए चेहरे की तलाश चल रही है. ऐसे में कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में नए अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा. जिस तरह से उत्तर प्रदेश में नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को प्राथमिकता दी है क्योंकि यह राज्य राजनीतिक रूप से बेहद अहम है और 2027 में यहां विधानसभा चुनाव होने हैं.
बीजेपी की रणनीति उत्तर प्रदेश में बतौर प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी या दलित चेहरे को मौका देने की है. प्रदेश की सत्ता पर योगी आदित्यनाथ विराजमान हैं, जो ठाकुर जाति से आते हैं. सत्ता सवर्ण हाथों में है तो संगठन की जिम्मेदारी ओबीसी या फिर दलित को सौंपने की है. बीते लोकसभा चुनाव में दलित और ओबीसी दोनों ही वर्ग के वोट बैंक छिटके हैं, ऐसे में पार्टी तय नहीं कर पा रही है कि मौजूदा परिस्थितियों में किस वर्ग पर दांव खेल जाए. कई नामों पर सियासी मंथन के बाद अभी तक मामला फाइनल नहीं हो सका है.
