जब बात जनता के पैसे की आती है तो सरकार का कर्तव्य है कि वह इसे सही हाथों में पहुंचाए. लेकिन क्या हो जब पेंशन जैसी महत्वपूर्ण योजना का लाभ उन लोगों को मिलने लगे, जो इसके योग्य नहीं हैं या फिर जो इस दुनिया में ही नहीं हैं? यही सवाल पंजाब में एक बड़े सर्वेक्षण के बाद सामने आया, जिसने न केवल सरकार को हिला दिया, बल्कि आम जनता को भी चौंका दिया. पंजाब सरकार ने पेंशन योजना के तहत 2.44 लाख ऐसे लाभार्थियों से 145.73 करोड़ रुपये की वसूली की है, जो या तो इस योजना के लिए अयोग्य थे या फिर जिनकी मृत्यु हो चुकी थी. यह वसूली एक बड़े सर्वे के बाद की गई है, जिसने सरकार को उन लोगों की पहचान करने में मदद की, जो लाभ ले रहे थे, मगर इस योजना के लिए योग्य नहीं थे.
पंजाब की सामाजिक सुरक्षा, महिला और बाल विकास मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने इस वसूली को सरकार की निष्पक्षता और पारदर्शिता का प्रतीक बताया. उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि पेंशन योजना का लाभ केवल उन्हीं लोगों को मिले जो इसके वास्तविक हकदार हैं. पंजाब सरकार ने इस वित्त वर्ष (2024-25) में पेंशन योजना के तहत 33.58 लाख लाभार्थियों को कुल 2,505.52 करोड़ रुपये वितरित किए हैं. इस योजना के तहत बुजुर्गों, विधवाओं, आश्रित बच्चों और दिव्यांगों को प्रति माह 1,500 रुपये की पेंशन दी जाती है.
पिछले वर्षों में हुई वसूली
सर्वे रिपोर्ट से पता चला कि वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान लगभग 1.23 लाख लाभार्थियों के नाम पर पेंशन जारी की गई थी, जो या तो अयोग्य थे या फिर जिनकी मृत्यु हो चुकी थी. उनसे सरकार ने 77.91 करोड़ रुपये की वसूली की. इसी प्रकार, वित्त वर्ष 2023-24 में 1.07 लाख लाभार्थियों को अयोग्य और मृत पाया गया, जिससे 41.22 करोड़ रुपये की वसूली की गई. जबकि 2024-25 में (जुलाई 2024 तक) 14,160 लाभार्थियों से 26.59 करोड़ रुपये की वसूली की गई है.
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सरकार का कड़ा रुख
यह सर्वे और वसूली केवल एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि यह सरकार की पारदर्शिता के प्रति प्रतिबद्धता का संकेत है. सरकार इस पर कड़ा रुख अपनाए हुए है. पेंशन योजना जैसी योजनाएं बुजुर्गों, विधवाओं, आश्रित बच्चों और विकलांगों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. इसलिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि इसका लाभ सही लोगों तक पहुंचे.
पंजाब सरकार द्वारा पेंशन योजना के तहत की गई इस कार्रवाई से न केवल पेंशन योजना के वास्तविक लाभार्थियों को न्याय मिलेगा, बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी एक उदाहरण प्रस्तुत होगा कि किस प्रकार ऐसी योजनाओं में अनियमितताओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जा सकते हैं.