पटना. बिहार विधानसभा उपचुनाव के लिए आगामी 13 नवंबर को मतदान होगा. यह चुनाव इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले इसे सेमीफाइनल माना जा रहा है. यानी इस चुनाव में जिनका प्रदर्शन अच्छा होगा वह गठबंधन या दल बुलंद हौसलों के साथ आगामी विधानसभा चुनाव की लड़ाई लड़ेगा. वहीं, इस उपचुनाव के बीच कई तरह के राजनीतिक उथल-पुथल और बदलाव देखने को मिल रहे हैं. जहां प्रशांत किशोर की जन सुराज ने सक्रिय राजनीति में एंट्री कर ली, वहीं राजद ने भी अपनी ‘भूल सुधार’ की कवायद शुरू कर दी है. सूत्रों से खबर है कि सिवान के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब आरजेडी ज्वाइन करने वाले हैं. आज आधिकारिक रूप से ओसामा शहाब राजद की सदस्यता ले लेंगे. बताया जा रहा है कि ओसामा के राजद ज्वाइन करने के समय तेजस्वी यादव स्वयं मौजूद रहेंगे और इसके बाद वह लालू प्रसाद यादव से भी मिल सकते हैं.
कहा जा रहा है कि लंबे समय से दिवंगत शहाबुद्दीन के परिवार ने राजद से दूरी बना रखी थी. लेकिन, सूत्रों से खबर है कि लालू प्रसाद यादव एक्टिव हुए हैं और अब दिवंगत मो. शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब आरजेडी ज्वाइन करने जा रहे हैं. इसे राजद की मुस्लिम वोट बैंक की मजबूती से जोड़कर देखा जा रहा है. बता दें कि सिवान के पूर्व सांसद मोहम्मद मोहम्मद शहाबुद्दीन के देहांत के बाद 3 साल से अधिक समय गुजर गए, लेकिन इस बीच शहाबुद्दीन के परिवार और राजद के बीच दूरियां रहीं.
आरजेडी से शहाबुद्दीन के परिवार की दूरी
मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना साहब के लोकसभा चुनाव निर्दलीय लड़ने के बाद राजद से इस परिवार की दूरी भी साफ तौर पर दिखी. हालांकि, बीच-बीच में हिना शहाब को राष्ट्रीय जनता दल से राज्यसभा भेजने की चर्चा जोर पकड़ती रही, लेकिन जब राज्यसभा भेजने की बात हुई तो हिना शहाब की जगह राजद ने तेजस्वी यादव के करीबी संजय यादव को तरजीह दी. राजनीति के जानकार कहते हैं कि शहाबुद्दीन का परिवार इससे खफा था.
Health Tips: जानिए इस खतरनाक बीमारी से बच्चों को कैसे बचाएं…….’तेजी से बढ़ रहा डेंगू का प्रकोप…..
पीके की एक्टिव एंट्री से टेंशन में आरजेडी
हालांकि, राजनीति बदलती रहती है और इसी बीच प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी की सक्रिय राजनीति में एंट्री ने राजद की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. खास तौर पर जन सुराज मुस्लिम वोट बैंक को टारगेट कर रहा है ऐसे में राजद ने भी भूल सुधार का मन बना लिया है. यह इसलिए भी कि सीमांचल क्षेत्र में और मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में असदुद्दीन ओवैसी फैक्टर ने राजद नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें पैदा कर दी हैं.
मुस्लिम वोट बैंक को लेकर सक्रिय हुई आरजेडी
राजनीति के जानकार कहते हैं कि ओसामा शहाब की राजद में एंट्री ऐसे में समय हो रही है जब मुस्लिम मतों के बिखराव का सबसे अधिक खतरा दिख रहा है. यही कारण है कि समय पर आरजेडी एक्टिव हो गई है और वह अपने मुस्लिम मतों को एकजुट करने के लिए कवायद में लग गयी है. हाल में गिरिराज सिंह की हिंदू स्वाभिमान यात्रा का जिस तरह से मुखर विरोध तेजस्वी यादव ने किया वह भी इसी राजनीति का फलाफल माना जा रहा है.
आरजेडी को सबक तो हिना को मिली सीख!
बता दें कि बीते 3 वर्षों में ओसामा साहब भी कुछ न कुछ विवादों में घिरे रहे हैं, शायद इस यही वजह रही कि राजद ने उनसे दूरी बनाए रखी. इस बीच हिना शहाब ने राजद जॉइन करने से भी इनकार कर दिया था और लोकसभा चुनाव उन्होंने निर्दलीय के तौर पर लड़ा. हालांकि, उनकी हार हो गई और शायद उन्होंने भी यह सबक लिया कि उनकी ताकत भी राजद के साथ आने से बरकरार रहेगी न कि अलग होने से.