मेरी बुढ़ापे की लाठी टूट गई। धमाके से 10 मिनट पहले ही बेटे से बात हुई थी। उसने परिवार के साथ डिनर की योजना बनाई थी। इसके लिए तय समय से पहले ही भागीरथ पैलेस स्थित अपनी दवा की दुकान को बंद कर दिया था और परिवार का लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास इंतजार कर रहा था। वह काफी खुश था। लेकिन, कुछ देर बाद कॉल की तो किसी अनजान महिला ने उसका फोन उठाया और कहा कि यहां बड़ा धमाका हो गया है। इस दौरान चीख-पुकार की आवाज आ रही थी।
लाल किला के पास धमाके में जान गंवाने वाले श्रीनिवासपुरी एन ब्लॉक निवासी अमर के पिता जगदीश कटारिया यह बताते हुए इकलौते बेटे की याद में फफक-फफक कर रोने लगे। जैसे ही अमर की मौत की सूचना दोस्तों व परिवारजनों को मिली, वैसे ही उनके घर पर मातम पसर गया। अमर को चाहने और जानने वालों का तांता लग गया। उनके दोस्तों को अमर की मौत की सूचना पर यकीन नहीं हो रहा था। वहीं, अमर की पत्नी कीर्ति और मां भारती कटारिया का रो-रोकर बुरा हाल था। जगदीश ने बताया कि बेटे की उम्र 34 वर्ष थी। उसने एमबीए की पढ़ाई की थी। पहले वह नौकरी करता था, लेकिन कोरोना महामारी से छह महीने पहले ही दवा का कारोबार शुरू किया था।
विदेश यात्रा का विचार चल रहा था
जगदीश कटारिया ने कहा कि उनके बेटे को घूमने का बहुत शौक था। वह समय-समय पर विदेश की यात्रा पर परिवार को ले जाता था। अगली यात्रा पर जाने का विचार किया जा रहा था। लेकिन इससे पहले ही वह दुनिया को अलविदा कह गया। अमर अपने पीछे तीन साल का बेटा विहान और पत्नी कीर्ति को छोड़ गया है। अमर की पहचान उसके हाथ में बने टैटू और कपड़ों से हुई थी। उनके पिता ने इसकी पुष्टि की है।
लैपटॉप, सोने की चेन गायब
अमर कटारिया के ससुर स्वदेश सेठी ने आरोप लगाते हुए बताया कि ऑफिस से निकलते वक्त अमर के पास लैपटॉप बैग था लेकिन, वह अबतक बरामद नहीं हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि अमर के गले की सोने की चेन भी थी जो गायब है।
परिवार और दोस्तों की ढाल बनकर खड़े रहते थे
लोगों ने बताया कि अमर परिवार के साथ दोस्तों की ढाल बनकर मुश्किल समय में हर किसी के साथ खड़े रहते थे। उनके दोस्त सचिन ने कहा कि उन्होंने अपना जिगरी व मददगार दोस्त खो दिया। परिवार के सदस्य जीत ने बताया कि अमर दवा के कारोबार के साथ सामाजिक कार्य व आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की भी मदद भी करते थे।





