Explore

Search

November 13, 2025 2:09 am

ऑर्गनाइजर ने संभल को बनाया कवर स्टोरी; क्या लिखा…..’मोहन भागवत के बयान से RSS भी असहमत!

WhatsApp
Facebook
Twitter
Email

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पिछले दिनों हर मस्जिद के नीचे मंदिर न खोजने की नसीहत दी थी। इसके अलावा उन्होंने कहा था कि कुछ राम मंदिर जैसे मामले खड़े करके हिंदुओं के नेता बनना चाहते हैं। ऐसा नहीं होने दिया जा सकता। मोहन भागवत के इस बयान पर विपक्ष ने भाजपा और अन्य संगठनों से इस पर अमल करने को कहा है। वहीं आरएसएस में अंदरखाने की मोहन भागवत के बयान से असहमति जताई जा रही है। यही नहीं आरएसएस से जुड़ी पत्रिका ऑर्गनाइजर ने तो अपने ताजा में अंक में संभल के मुद्दे को ही कवर स्टोरी बनाया है। संभल को पत्रिका के पहले स्थान पर जगह दी गई है, जिसका शीर्षक है- सभ्यतागत न्याय की लड़ाई।

ऑर्गनाइजर ने लिखा है कि यह लड़ाई तो किसी का भी व्यक्तिगत या सामुदायिक अधिकार है। पत्रिका का कहना है कि कोई भी अपने पूजा स्थलों को मुक्त कराने के लिए कानूनी ऐक्शन की मांग कर सकते है। इसमें आखिर क्या गलत है। यह तो हम सभी को मिला एक संवैधानिक अधिकार है। इसके अलावा पत्रिका ने इसे सोमनाथ से संभल तक की लड़ाई से जोड़ दिया है। मैगजीन के कवर पेज में संभल की एक तस्वीर को रखा गया है। पत्रिका में लिखा गया है कि संभल में जो कभी श्री हरिहर मंदिर था, वहां अब जामा मस्जिद बनी है। उत्तर प्रदेश के इस ऐतिहासिक कस्बे में ऐसे आरोप ने नया विवाद खड़ा कर दिया है।

Bigg Boss 18: सारा अरफीन खान ने करणवीर का किया मुंह काला…….’टास्क के बीच हुआ बवाल…….

प्रफुल्ल केतकर की ओर से संपादकीय में लिखा गया कि हिंदू मुस्लिम के विवाद पर सीमित रहने बजाय छद्म निरपेक्षों से सभ्ययतात न्याय के बारे में बात करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि संभल से सोमनाथ तक और उससे भी आगे यह ऐतिहासिक सच की लड़ाई है। इसमें धार्मिक श्रेष्ठा के लिए संघर्ष वाली बात नहीं है। यह हमारी राष्ट्रीय पहचान को फिर से तैयार करने और सभ्यतागत न्याय की मांग करने जैसा है। आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने बीते सप्ताह कहा था कि कुछ लोग तो इसी में जुटे हैं कि जगह-जगह राम मंदिर जैसे विवाद खड़े किए जाएं और उनके माध्यम से ही नेता बन लिया जाए। कुछ लोग ऐसे विवादों के जरिए ही अपनी हिंदू नेता की इमेज बनाना चाहते हैं। ऐसा स्वीकार नहीं किया जा सकता।

पुणे में मोहन भागवत में सहजीवन पर आयोजित व्याख्यानमाला में ऐसी टिप्पणी की थी। उनके इस बयान पर हिंदू समाज के ही कई संतों ने ऐतराज जताया है। शंकराचार्य़ स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और रामभद्राचार्य ने आपत्ति जताई है। यहां तक कि भाजपा सांसद साक्षी महाराज का भी कहना है कि कौन नहीं जानता कि मंदिरों को तोड़कर ही मस्जिदें बनाई गई हैं। उन्होंने कहा कि कुतुब मीनार में तो लिखा ही गया है कि इसका निर्माण 27 मंदिरों को तोड़कर किया गया है।

DIYA Reporter
Author: DIYA Reporter

ताजा खबरों के लिए एक क्लिक पर ज्वाइन करे व्हाट्सएप ग्रुप

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर